कर्नाटक की हार से तेलंगाना में भाजपा दो फाड़, हिंदुत्व के मुद्दे पर नेता हुए असहमत
बीआरएस और केसीआर को घेरने के पक्षधर गुट के भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का मानना है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों ने दिखा दिया है कि दक्षिण भारतीय राज्यों में हिंदुत्व का मुद्दा नहीं है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में हार का असर भारतीय जनता पार्टी की तेलंगाना इकाई में भी नजर आ रहा है। खबर है कि राज्य में पार्टी हिंदुत्व और मौजूदा भारत राष्ट्र समिति की सरकार पर हमले के मुद्दे पर दो फाड़ हो गई है। तेलंगाना में भी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। दक्षिण भारत के एकमात्र गढ़ कर्नाटक को गंवाने के बाद भाजपा के लिए तेलंगाना की चुनावी जंग काफी अहम हो गई है।
कहा जा रहा है कि पार्टी में पहले भी इस मुद्दे पर राय अलग-अलग रही है, लेकिन कर्नाटक के नतीजों के चलते अब खुलकर सामने आने लगी हैं। एक ओर जहां तेलंगाना भाजपा के प्रमुख बंडी संजय के समर्थक मानते हैं कि पार्टी को हिंदुत्व के मुद्दे पर ही जोर देते रहना चाहिए। वहीं, दूसरे समूह में शामिल नेताओं का मानना है कि पार्टी को मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और उनकी पार्टी को असफल वादों को लेकर घेरना चाहिए।
बीआरएस को घेरने के पक्षदर गुट में अधिकांश ऐसे नेता हैं, जो हाल ही में भाजपा का हिस्सा बने हैं और अन्य दलों से आए हैं। उनका मानना है कि कर्नाटक के नतीजों ने दिखा दिया है कि दक्षिण भारतीय राज्यों में हिंदुत्व का मुद्दा सीमित है। कहा जा रहा है कि अमूल बनाम नंदिनी डेयरी मामले को क्षेत्रीय राजनीति का अच्छा उदाहरण बता रहे हैं। कुछ नेताओं का मानना है कि नंदिनी के समर्थन से कांग्रेस को फायदा हुआ है।
इधर, करीमनगर सांसद संजय लगातार हिंदुत्व के मुद्दे को उठा रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि हैदराबाद के सचिवालय में नए बने गुंबद मस्जिद की तरह नजर आ रहे हैं। उन्होंने पार्टी के सत्ता में आने पर इन्हें हटाने की कसम खाई है।
खबरें हैं कि भाजपा नेता इताला राजेंद्र अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। पार्टी ने अब तक मीटिंग की वजह का खुलासा नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले रणनीति को नया आकार दे रही है।