Bihar News: कटिहार में फायरिंग, दरभंगा में तनाव; फिर भी 'इतरा' रहे सीएम नीतीश कुमार!
Firing in Katihar, tension in Darbhanga CM Nitish Kumar remained hindi news bihar
पटना: बिहार की हालत ठीक नहीं है। सियासी स्थिरता के बावजूद सरकार में शामिल दलों के दिल एक दूसरे से मेल नहीं खा रहे तो सामाजिक स्तर पर कटुता भी कम नहीं। प्रशासिनक व्यवस्था इतनी चरमरा गई है कि महीने भर के अंदर ट्रांसफर-पोस्टिंग का आदेश पलट दिया जाता है। जिन लोगों ने नई जगहों पर जिम्मेवारी संभाली, उन्हें पुरानी जगहों पर वापस लौटने की नौबत आ गई है। कभी शिक्षकों पर लाठी चलती है तो कभी भाजपा के नेता प्रदर्शन के दौरान डंडे खाते हैं। बिजली जैसी जरूरी मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाले लोगों पर पुलिस फायरिंग करती है। दो की मौत हो जाती है और दर्जनों लोग पिट कर अस्पताल पहुंचते हैं। बेहतर सामाजिक तालमेल का सरकार का दावा दरभंगा में फेल हो जाता है। इंटरनेट बंद करने की नौबत आ जाती है। बिहार की लड़की को नंगा कर पीटा जाता है। इन सबके बावजूद बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता। वे इसी बात से आह्लादित हैं कि विपक्षी दलों को एकजुट कर दिया। नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है। भाजपा मुक्त भारत की ओर कदम बढ़ चुके हैं।
सुधाकर ने कहा- कटिहार की घटना के लिए सीएम जिम्मेवार
कटिहार में बिजली की आपूर्ति ठीक करने की मांग करने वाले लोगों पर पुलिस ने फायरिंग की। मौके पर ही दो लोगों की मौत हो गई। कई घायल भी हुए हैं। इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। अपने धर्म का पालन करते हुए विपक्ष तो इसके खिलाफ आवाज उठा ही रहा है, सत्ताधारी दल के नेता भी काफी गुस्से में हैं। पूर्व मंत्री और आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह ने गोलीकांड के बहाने सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला है। सुधाकर का कहना है कि इस घटना की सारी जवाबदेही नीतीश कुमार की है। किसानों पर गोली चलाना जघन्य अपराध है। बिजली की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों के हाथों में कोई हथियार नहीं था। इसके बावजूद पुलिस ने उन पर गोलियां चलाईं। ऐसे पुलिस कर्मियों पर धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज करना चाहिए। मारे गए लोगों को तो तुरंत राहत पहुंचाने की आवश्यकता है। मारे गए लोग बेगुनाह थे। उन पर तो गोली चलानी ही नहीं चाहिए थी।
सुधाकर सिंह ने कहा कि गोली कांड पर गलत बयान देने वाले लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज होना चाहिए। प्रदर्शन करने वाले किसान थे। उन्हें बिजली नहीं मिल रही थी। आश्चर्य है कि राज्य के किसान खेती करने के लिए भी अब गुनहगार करार दिए जाने लगे हैं। जिस दिन किसान खेती करना छोड़ देंगे, उस दिन राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। दरअसल, नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के साथ साथ राज्य के गृहमंत्री भी हैं, इसलिए उन्हें जिम्मेवारी तय करनी चाहिए। अगर वे जवाबदेही तय नहीं करते हैं तो उन्हें खुद इसकी जिम्मेवारी लेनी चाहिए। इस घटना में शामिल लोगों की जवाबदेही तय नहीं होती है तो मानना चाहिए कि घटना के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेवार हैं।
भाजपा का हमला- बिहार में चल रही है मवालियों की सरकार
बिहार के पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक जीवेश मिश्रा कटिहार में हुई पुलिस फायरिंग से बेहद गुस्से में हैं। उन्होंने ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है। मिश्रा का कहना है कि बिहार सरकार में गुंडा-मवालियों का वर्चस्व कायम हो गया है। पुलिस इतनी निरंकुश हो चुकी है कि उसे यह नहीं पता कि कब और किस पर गोली चलानी है। कटिहार में जो लोग बिजली की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे, उन्होंने बाजाप्ता इसकी इजाजत ली थी। जिले की 29 पंचायतों के प्रतिनिधि प्रदर्शन में शामिल थे। इतने बड़े प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 10 पुलिसकर्मियों की तैनाती की थी। प्रदर्शनकारियों ने पहले से इजाजत ले रखी थी, इसलिए उनकी हिफाजत की जिम्मेवारी सरकार की थी। राज्य सुखाड़ की चपेट में है। धान की रोपनी के लिए बिजली नहीं मिल रही है या जरूरत भर नहीं मिल रही। ऐसे में बिजली की मांग करने वाले किसानों को सरकार बिजली देने के बजाय गोली दे रही है। पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई। फायरिंग करने वालों पर कार्रवाई के बजाय ऊर्जा मंत्री कहते हैं कि जो बदमाशी करेगा, उसे गोली मारी ही जाएगी। पुलिस की गोली तीन लोगों को लगी थी, जिनमें दो ने मौके पर दम तोड़ दिया। ऐसे मंत्री को तो कैबिनेट से तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए।
दरभंगा में दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ा, इंटरनेट सेवा बंद
बिहार में सामाजिक समरसता का दावा अक्सर नीतीश कुमार करते रहते हैं। उनका एक रटा रटाया तकिया कलाम है- क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म से कोई समझौता नहीं करेंगे। दरभंगा में दो समुदायों के बीच मुहर्रम के दिन तनाव पैदा हुआ। मारपीट हुई। तनाव बढ़ता देख अब दरभंगा में 30 जुलाई तक इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ी है। गृह विभाग के फरमान पर यह कदम उठाया गया है। दरभंगा के डीएम और एसएसपी की रिपोर्ट में बढ़ते तनाव का जिक्र है। प्रशासन का मानना है कि सोशल मीडिया के जरिए दरभंगा में माहौल बिगाड़ने की कोशिश हो रही है। सरकार ने 22 सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तो बंदिश लगाई ही है, इंटरनेट सेवा भी 30 जुलाई की शाम चार बजे तक बंद कर दी गई है।
23 जुलाई को मुहर्रम के झंडे को लेकर विवाद शुरू हुआ था। जम कर रोड़ेबाजी हुई। रोड़ेबाजी में पुलिस के आधा दर्जन से अधिक जवान जख्मी हुए थे। सड़क किनारे खड़े वाहनों के शीशे तोड़ दिए गए। फिर भी सरकार कहती है कि कम्युनलिज्म से कोई समझौता नहीं। करप्शन की तो अब बात ही बेमानी है। करप्शन को लेकर ही नीतीश ने 2017 में महागठबंधन की सरकार गिराई थी। अब नीतीश खुद इस पर कुछ नहीं बोलते। कभी जेडीयू के साथ रहे चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज यात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर कहते हैं कि नीतीश के मुंह में दही जमी हुई है। वे खुद नहीं बोलते, बल्कि अपनी बात ललन सिंह के मुंह से कहलवाते हैं।
ओमप्रकाश अस्क