सभी संघी व भाजपाई ज़रा सोचें कि 1996 में भारत में पहली भाजपा सरकार क्या अटल जी, अडवाणी जी, मोहन भागवत जी, मोदी जी, अमित शाह जी, बाबा रामदेव या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रयासों, संघ की लोकप्रियता, गुणों या चाणक्य नीति से बनी थी ? क्या 1998 में भी भाजपा सरकार पुनः उपरोक्त कारणों से ही बनी थी ?
कुछ याद आया?
ये बनी थीं एक जुझारू, निडर, निष्पक्ष और योद्धा पत्रकार श्री विनीत नारायण के जोखिम भरे संघर्ष के कारण। जिन्होंने 1993 में 'जैन हवाला कांड' उजागर करके , अगले तीन वर्षों में पूरे देश में घूम-घूम कर व सर्वोच्च न्यायालय में डटे रहकर, एक ऐसा अभूतपूर्व ख़तरनाक संघर्ष किया, जिससे पहली बार भारत की राजनीति में भूचाल आ गया और सभी राजनैतिक दल कठघरे में खड़े हो गए। इससे देश की राजनीति में एक ऐसा शून्य पैदा हो गया, जिसका फ़ायदा भाजपा को मिला और उसकी केंद्र में पहली सरकार बनी।
विनीत नारायण ने अपनी इस ऐतिहासिक कामयाबी को सत्ता में ऊंचा पद या पैसा लेकर नहीं भुनाया बल्कि बरसाना के विरक्त संत श्री रमेश बाबा की आज्ञा मानकर यश और प्रलोभन ठुकरा दिया। 2002 में भगवान श्री कृष्ण की लीला भूमि ब्रज (मथुरा) को सजाने का संकल्प लिया। वहाँ मथुरा में भी श्री नारायण ने गत 18 वर्ष चुपचाप निष्काम सेवा करके ब्रज सजाने में इतिहास रचा।
अपनी मातृभूमि और सनातन धर्म के प्रति ऐसे निष्काम कर्मयोगी सेवक के साथ संघ और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने, योगी सरकार के माध्यम से 2017 से, कैसा घृणित षड्यन्त्र व व्यवहार किया, इसे जाकर मथुरावासियों से ही पूछिये और श्री नारायण के काम को वहां अपनी आंखों से देखिये। आप दंग रह जाएंगे। दूसरी ओर, हज़ारों करोड़ का चंदा लेकर संघ वाले अयोध्या में राम मंदिर के नाम पार क्या-क्या गुल खिला रहे हैं वो अब जगज़ाहिर हैं।
अब संघ और भाजपा यूपी का अगला विधान सभा चुनाव जीतने की रणनीति बना रहे हैं। ये ढिंढोरा पीटकर कि वो ही हिंदुओं के 'सच्चे' हितैषी हैं। इससे बड़ा पाखंड और क्या हो सकता है कि जो संघ नेतृत्व भ्रष्टाचारियों को तो बढ़ावा दे और विनीत जैसे धर्मसेवी के सेवा कार्यों पर षड्यंत्र करके प्रतिबंध लगवा दे?
निष्पक्षता से सोचें, तथ्यों को परखें और फिर इनके चाल-चरित्र के बारे में निर्णय करें। इनसे हिंदू धर्म को लाभ होगा या उसकी जड़ों में मट्ठा पड़ेगा? आज इनकी बौखलाहट भी इनकी भ्रष्ट और ढोंगी नीतियों का परिणाम है।