भारत जोड़ो यात्रा ने इस गांव में वर्षों पुराना विवाद किया समाप्त, राहुल ने ईंट बिछाकर की शुरुआत
1993 में जातीय हिंसा के चलते कर्नाटक के एक गांव की सड़क बंद हो गई थी। भारत जोड़ो यात्रा इस गांव में पहुंची तो पूरे गांव के लोग साथ आ गए। सबने सड़क को फिर से चालू करने की हामी भरी। सबने पैसा और श्रमदान भी दिया। राहुल गांधी जी ने गांव के लोगों के साथ मिलकर रंग-बिरंगी ईंटें बिछाईं। इस सड़क का नाम 'भारत जोड़ो रोड' रखा गया है। सड़क के किनारे दीवार पर मेलजोल, समानता और सामाजिक न्याय का संदेश लिखा गया है।
कुछ लोग सवाल करते हैं कि 'भारत जोड़ो यात्रा' का मकसद क्या है? जातिवादी हिंसा की रुकावट को तोड़ते हुए भारत जोड़ो सड़क तैयार करने जैसी घटनाएं ही भारत जोड़ो यात्रा का असल मकसद बताती हैं। समाज में सांप्रदायिकता व जातिवाद जैसी कई रुकावटें हैं। भाजपा जैसे राजनीतिक दल सांप्रदायिकता व जातिवाद को और पैना कर समाज के विकास में अड़ंगा खड़ा करते हैं। लेकिन महात्मा बुद्ध, बाबा साहेब अंबेडकर, महात्मा गांधी जी ने वर्षों पहले हमें इन रुकावटों को तोड़कर देश में विकास की राह बनाने के जंतर दिए थे। हमें हमारा संविधान दिया था।
भारत जोड़ो यात्रा रुकावटों को हटाकर, रास्ता तैयार करने वाली यात्रा है। सोचिए जिस तरह से नफरत व द्वेष के चलते 30 साल से बंद ये सड़क जोड़ने के नारे के साथ खुली, उसी तरह भारत जोड़ो के नारे के साथ हम नफरत की दीवारों को तोड़ते हुए कितनी और राहें तैयार कर सकते हैं। विकास के इन रास्तों पर नफरत की बजाय नौकरियां होंगी, कमरतोड़ महंगाई नहीं, अच्छी कमाई और सबकी भलाई होगी, केवल झूठे विज्ञापन नहीं, सच का परिवर्तन होगा। हमें यकीन है कि भारत जोड़ो के नारे के साथ हम सब मिलकर विकास की इस राह को तैयार करेंगे।