चौकीदार चोर पर मोदी ने लिखा था चौकीदार, तो क्या अब लिखेंगे पनौती?
पिछले चुनाव में यानी कर्नाटक से लेकर छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश और राजस्थान में आपने गालियां दिए जाने की बात लगभग मंच से खूब कही लेकिन जनता ने नकार दिया है। क्योंकि जिन वादों के बूते पर देश में राजनीत बदलने गए थे उस पार आप ने कोई काम नहीं किया। बल्कि देश की सबसे बड़ी जनसंख्या को राशन के मुहाने पर खड़ा किया है और यह बात आप बड़ी खुशी से कहते है कि में इस देश की 80 करोड़ जनसंख्या को राशन देता हूँ। आपने किसान सम्मान निधि की किस्त एमपी चुनाव से के दिन पहले किसानों के खाते में देकर क्या संदेश दिया है। जनता जानना चाहती है।
देश में राजनीत का स्तर दिन प्रति दिन गिरता जा रहा है। बात चाहे बीजेपी , कांग्रेस , आप , सपा , बीआरएस , बसपा या फिर एनसीपी टीएमसी और डीएमके , राजद , शिवसेना हो। जब से बातचीत का दायरा बीजेपी ने बिगाड़ दिया तब से लगातार बिगड़ रहा है। उससे पहले अगर कोई कभी बोल देता था उसे बाद में सुधार करता है।
बीजेपी ने कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल को पप्पू की संज्ञा देकर राजनीत की संज्ञा देकर छोटे से बड़े नेता यही कहते रहे उसके बाद पीएम के प्रतिष्ठ पद पर बैठे नरेंद्र मोदी ने जब अपने आपको देश का चौकीदार बताया उसके बाद राहुल गांधी ने उन्हे चौकीदार चोर है की संज्ञा दे दी है जो भी गलत थी। मीडिया ने उसका जमकर प्रचार करके राहुल को पीछे और मोदी को आगे किया। और उसका फायदा मीडिया ने मोदी को दिला दिया।
अब इस बार पनौती शब्द जब मार्केट में आया तो राहुल ने अपनी पहली सभा में कहा कि देश के लड़के इस मैच को जीत जाते तो लेकिन तभी पनौती पहुँच गए। इसके बाद मीडिया ने जमकर राहुल को लताड़ा और पनौती पीएम मोदी को बताकर एक बार फिर से सिमपेथि के लिए चलाया जो इस बार नहीं चला क्योंकि इससे पहले कांग्रेस किसी भी बात का प्रतिकार करने में पीछे रहती थी सरेआम चैनलों पर प्रवक्ता तो प्रवक्ता खुद एंकर बीजेपी की कमान संभालते नजर आते है।
आज परस्तिथि बदली और अब पिछले एक वर्ष के दौरान बीजेपी लगातार सोशल मीडिया पर पिछड़ती जा रही है इसका कारण सिर्फ बीजेपी तथ्यात्मक बातें प्रस्तुत करने में नाकाम दिखी। इसका सबसे बड़ा खामियाजा देश के नंबर चैनल ने खूब भुगता है जो आज 5 वें नबंर पर आ गया है।
अब क्या पनौती शब्द वायरल होने के बाद क्या देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपने नाम के साथ पनौती शब्द लिखेंगे यह बात कांग्रेस के नेता कहते नजर आ रहे है। अं सवाल यह है कि अगर आप देश में तेल की कीमतों को कम करने पर आप अपने आप को किस्मत वाला यानी नसीब वाला बताकर सस्ता करते है तो आज हारने पर प्रयोग किए गए शब्द पर भी आपको नाराज नहीं होना पड़ेगा।
पिछले चुनाव में यानी कर्नाटक से लेकर छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश और राजस्थान में आपने गालियां दिए जाने की बात लगभग मंच से खूब कही लेकिन जनता ने नकार दिया है। क्योंकि जिन वादों के बूते पर देश में राजनीत बदलने गए थे उस पार आप ने कोई काम नहीं किया। बल्कि देश की सबसे बड़ी जनसंख्या को राशन के मुहाने पर खड़ा किया है और यह बात आप बड़ी खुशी से कहते है कि में इस देश की 80 करोड़ जनसंख्या को राशन देता हूँ। आपने किसान सम्मान निधि की किस्त एमपी चुनाव से के दिन पहले किसानों के खाते में देकर क्या संदेश दिया है। जनता जानना चाहती है।