पूर्व सांसद राजो सिंह के हत्याकांड में आया नया मोड़, जज भी हुए हैरान

राजो सिंह के पौत्र विधायक सुदर्शन कुमार ने कहा है कि उन्हें केस नहीं लड़ना है, इसके बाद तो जज भी आश्चर्य में पड़ गए।

Update: 2022-05-20 08:36 GMT

अट्ठारह साल पुराने पूर्व सांसद राजो सिंह हत्याकांड मामले में नया मोड़ आ गया है। दरअसल राजो सिंह के पौत्र विधायक सुदर्शन कुमार ने कहा है कि उन्हें केस नहीं लड़ना है। इसके बाद तो जज भी आश्चर्य में पड़ गए। राजो सिंह की छवि कांग्रेस के धाकड़ नेता के रूप में थी और वह बेगुसराय से सांसद भी थे। राजो सिंह के पौत्र सुदर्शन कुमार फिलहार बरबीघा विधानसभा क्षेत्र से सत्ताधारी जदयू के विधायक हैं।

राजो सिंह हत्याकांड के सूचक सुदर्शन कुमार ने शेखुपुरा कोर्ट को बताया कि उन्हें केस नहीं लड़ना है। गुरुवार को अपर जिला सत्र न्यायधीश तृतीय की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई। लोक अभियोजक उदय नारायण सिन्हा ने मीडिया को बताया कि सूचक सुदर्शन कुमार ने अदालत में अपनी गवाही देते हुए कहा कि हमें ये केस नहीं लड़ना है।

सुदर्शन कुमार ने जिस आरोपी शंभू यादव को पहले पहचानने की बात स्वीकार की थी, गुरुवार वो बयान से अचानक पलट गए। हालांकि पूरे मामले पर सुदर्शन कुमार की ओर से कोई बयान नहीं आया है। मगर लोक अभियोजक उदय नारायण सिन्हा ने बताया कि इस मामले में पहले ही कई लोग निचली अदालत से बरी हो चुके हैं।

9 सितंबर 2005 को शेखपुरा के कांग्रेस कार्यालय में राजो सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस सनसनीखेज मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ भी सुदर्शन कुमार ने पहले पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बाद में वापस ले ली।

निचली अदालत में जिन दो आरोपियों शंभू यादव और अनिल महतो के खिलाफ मामला चल रहा था वहां गुरुवार को नई गवाही देकर सुदर्शन ने केस से ही पल्ला झाड़ लिया। लोक अभियोग के मुताबिक केस से पल्ला झाड़ने को लेकर न्यायधीश ने सुदर्शन कुमार से सवाल भी किया मगर उन्होंने केस लड़ने से ही इनकार कर दिया।

राजो सिंह हत्याकांड में सूचक के रूप में उनके पौत्र सुदर्शन कुमार ने आरजेडी नेता शंभू यादव और शेखपुरा के पूर्व विधायक रणधीर कुमार सोनी समेत कई लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में मौजूदा भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, शेखपुरा नगर पालिका के अध्यक्ष मुकेश यादव, आरजेडी नेता लट्टू यादव, मुनेश्वर महतो, अनिल महतो भी नामजद थे।

पुलिस ने तो शंभू और अनिल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करके बारी लोगों को बरी कर दिया था। स्थानीय अदालत ने भी पुलिस की जांच रिपोर्ट के आधार पर दो छोड़कर बाकी को बरी कर दिया। इसके खिलाफ सुदर्शन ने पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की और बाद में उसे वापस ले लिया। 

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