महाराष्ट्र और मुंबई फिर चर्चा में हैं. चर्चा इसलिए नहीं कि कोरोना वायरस की महामारी बेलगाम हो रही है, बल्कि इसलिए कि सूबे में सियासी बवाल मचा है. एंटीलिया के बाहर जिलेटिन के छड़ों वाली स्कॉर्पियो मिलने के बाद उसे लेकर शुरू हुई जांच अब महाराष्ट्र सरकार तक पहुंचती नजर आ रही है. मुंबई के पुलिस कमिश्नर पद से हटाए गए परमबीर सिंह ने ऐसा चिट्ठी बम फोड़ा है, जिससे महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा धमाका हुआ है.
परमबीर सिंह की चिट्ठी पर बवाल मचा है. यह चिट्ठी परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे को लिखी है जिसमें गृह मंत्री अनिल देशमुख पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. परमबीर सिंह ने यह आरोप लगाया है कि एंटीलिया केस में गिरफ्तार निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को गृह मंत्री अनिल देशमुख ने 100 करोड़ रुपये की वसूली का टारगेट दिया था. परमबीर का यह पत्र सामने आने के बाद महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आ गया है. आरोपों के घेरे में आए अनिल देशमुख ने ट्वीट कर सफाई दी है कि परमबीर ने एंटीलिया केस की जांच से अपने आपको बचाने के लिए झूठे आरोप लगाए हैं. उन्होंने मानहानि के दावे की भी बात कही है.
वहीं, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी आक्रामक हो गई है. विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अनिल देशमुख को पद से हटाने की मांग की है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने भी ट्वीट कर देशमुख को गृह मंत्री पद से हटाने की मांग की है. सूत्र बताते हैं कि देशमुख एक-दो दिन के अंदर कुर्सी छोड़ भी देंगे. ऐसा इसलिए, क्योंकि दबाव बढ़ता जा रहा है. सरकार बैकफुट पर आ गई है.
खबर तो ये भी है कि खुद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने परमबीर की चिट्ठी सामने आने के पहले ही देशमुख को दो टूक कह दिया था कि उन्हें मंत्रालय से हटाया जाएगा. पवार ने हाल ही में दिल्ली में देशमुख के साथ हुई बैठक में उन्हें गृह मंत्रालय से हटाने की बात करते हुए कहा था कि आपके खिलाफ शिकायतें आ रही हैं. हम आपको इस मंत्रालय से हटाएंगे. देशमुख को पवार का ये इशारा परमबीर सिंह की चिट्ठी के सामने आने से पहले ही मिल चुका था. पवार के साथ मुलाकात के बाद उनके आवास से निकले गृह मंत्री तब इस्तीफे के संबंध में पूछे जाने पर वहां से निकल लिए थे. अब मुख्यमंत्री उद्धव को चिट्ठी भेज परमबीर सिंह ने जो आरोप लगाए हैं, वो बेहद गंभीर हैं.
परमबीर सिंह की चिट्ठी को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया है कि जो मेल मिला है, वो उनकी आधिकारिक ई-मेल आईडी से नहीं भेजा गया है. उस पर पूर्व पुलिस कमिश्नर के साइन भी नहीं थे. ऐसे में मुख्यमंत्री कार्यालय यह पुष्टि करना चाहता था कि शिकायती चिट्ठी कितनी सही है. लेकिन परमबीर सिंह ने तमाम शंकाओं को फौरन दूर कर दिया. उन्होंने कहा कि भेजी गई चिट्ठी उन्हीं की है और साइन की हुई चिट्ठी भी जल्द सभी तक पहुंच जाएगी.
गौरतलब है कि 17 मार्च को महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह का ट्रांसफर कर दिया था. परमबीर जिस चैट का हवाला दे रहे हैं, वह 16 मार्च का है. बहरहाल, परमबीर की चिट्ठी को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच एंटीलिया केस अब और पेंचीदा हो गया है. जिलेटिन वाली साजिश के तार कहां जाकर रूकेंगे, इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.