राजनीतिक चौपाल : राहुल गांधी के नए तेवर और कलेवर से भाजपा खेमा हुआ बेचैन
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा पप्पू घोषित किए जाने वाले राहुल गांधी के नए तेवरों से भाजपा खेमे में बेचैनी दिखाई देने लगी है.!
माजिद अली खान
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा पप्पू घोषित किए जाने वाले राहुल गांधी के नए तेवरों से भाजपा खेमे में बेचैनी दिखाई देने लगी है. जिस प्रकार राहुल गांधी को पप्पू कहकर अकसर भाजपा नेता चुस्की लिया करते थे अब वह राहुल गांधी की चर्चा करने से भी परहेज करते हैं. इसके क्या कारण हो सकते हैं और कौन सा डर है जो राहुल गांधी के बदली भाषा से संघ और भाजपा खेमे में छाया हुआ है. कुछ दिनों पहले राहुल गांधी ने वीडियो जारी कर ज़ोर देकर कहा था कि कांग्रेस में निडर लोग चाहिए और जो डरता हो या संघ को पसंद करता हो कांग्रेस को छोड़कर चला जाए. इस वीडियो के बाद राहुल गांधी को हलके में लेने वाले अचंभित थे कि ऐसी बातें कहकर राहुल ने खुद को बहुत मजबूत नेता के तौर पर पेश किया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संघ की पृष्ठभूमि से आए हुए लोग कांग्रेस की बागडौर गैर नेहरू परिवार के किसी व्यक्ति को दिलाने के लिए कोशिश करते रहते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि भाजपा और संघ अच्छी तरह जानते हैं कि कांग्रेस में नेहरू परिवार के अलावा कोई भी व्यक्ति ऐसा नही है जिसे डराया ना जा सके या कांग्रेस छोड़कर ना जा सके. इसलिए कांग्रेस को नेहरू परिवार से आज़ाद कराकर कमज़ोर रखा जाए जिससे भाजपा को आराम से जीतने के अवसर मिलते रहें.
वरिष्ठ पत्रकार प्रणव प्रियदर्शी के अनुसार "आजकल ऐसे विद्वानों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई है जो हर संभव तरीके से आरएसएस-बीजेपी के इस नैरेटिव को फैलाने में लगे रहते हैं कि कांग्रेस पहले गांधी परिवार से मुक्त हो तभी कुछ कर पाएगी.
सुष्मिता देव इस नैरेटिव के पीछे की असली मंशा उजागर करने वाली नवीनतम मिसाल बन गयी हैं. आरएसएस बीजेपी को पता है कि कांग्रेस में सोनिया, राहुल और प्रियंका के अलावा कोई ऐसा नेता नहीं जिसके मौका देखकर किसी और पार्टी का दामन थाम लेने का डर न हो. दूसरे शब्दों में सिर्फ यही तीन हैं जिनसे बीजेपी आरएसएस को स्थायी खतरा है. इसलिए कांग्रेस को इनकी लीडरशिप से निकालो और फिर चैन की बंशी बजाओ. इस नैरेटिव को आगे बढ़ाने वाले तमाम विद्वान जाने अनजाने बीजेपी आरएसएस का यही एजेण्डा आगे बढ़ा रहे हैं."
संघ के इस एजेंडा से अनुमान लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय पप्पू घोषित कर दिए गए राहुल गांधी को लेकर कितना डर संघ व भाजपा के अंदर पाया जाता है. राहुल गांधी जिस प्रकार भाजपा सरकार पर हमला बोल रहे हैं और उसका जवाब देने के लिए भाजपा के छह छह मंत्री प्रेसवार्ता कर जवाब देने पर मजबूर हुए हैं इससे राहुल गांधी के वजूद का पता चलता है.
पिछले दिनों दिल्ली की एक बलात्कार पीड़िता के मामले में जिस तरह राहुल गांधी पीड़ित परिवार से मिलकर उन लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए सड़क पर उतरे और पीड़िता के फोटो जिसकी बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई ट्वीटर पर ट्वीट करने के बाद पूरी भाजपा और उसकी सरकार राहुल गांधी के मुकाबले में खड़ी हो गई, ट्वीटर ने राहुल गांधी का ट्वीटर एकाउंट भी बंद कर दिया था जिस पर कई दिन हंगामा रहा, हंगामे के बाद ट्वीटर ने राहुल गांधी के एकाउंट को दोबारा शुरू किया.
राहुल गांधी ने जारी किए गए अपने बयान में ट्विटर पर आरोप लगाते हुए कहा था , "एक कंपनी अपने बिज़नेस के ज़रिये हमारी राजनीति को परिभाषित कर रही है, और एक राजनेता के बतौर मुझे ये अच्छा नहीं लग रहा." उन्होंने कहा था, "मेरे ट्विटर को बंद कर वो हमारी राजनीतिक प्रक्रियाओं में दखल दे रहे हैं. ये देश के लोकताँत्रिक ढांचे पर एक हमला है." "यह राहुल गांधी पर हमला नहीं है. यह केवल मुझे ख़ामोश करने की बात नहीं है. ट्विटर पर मेरे 19-20 मिलियन फ़ॉलोअर्स हैं. आप उनके किसी विचार को जानने के अधिकार को नकार रहे हैं." राहुल ने ट्विटर पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा था, "हमारे लोकतंत्र पर हमला हो रहा है. हमें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा. हमें लगा था ट्विटर एक आशा की किरण है.
मगर अब ये साफ़ है कि ट्विटर एक निष्पक्ष मंच नहीं, ये एक पक्षपाती मंच है, जो उस वक़्त की सरकार की बात सुनती है." इसके साथ ही राहुल गांधी ने चेतावनी दी थी कि राजनीतिक संदर्भ में पक्षपात करने का ट्विटर पर असर होगा और ये निवेशकों के लिए 'एक ख़तरनाक बात' है. लोगों का कहना था कि ट्वीटर भाजपा के दबाव में कार्य करता है जिसके चलते ट्वीटर ने राहुल गांधी का एकाउंट बंद कर दिया है. आखिर राहुल गांधी में ऐसा क्या है कि पूरी भाजपा सरकार उनकी बात को दबा देना चाहती है. कश्मीर दौरे पर जाकर राहुल गांधी ने बडे तपाक अंदाज़ में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र स्वामी पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि आक्रमण सिर्फ जम्मू और कश्मीर पर ही नहीं हो रहा है, ये आक्रमण पूरे हिंदुस्तान पर हो रहा है. उन्होंने कहा, "ग़ुलाम नबी आज़ाद जी ने कहा कि हमें संसद में बोलना चाहिए. मगर संसद में हमें बोलने नहीं दिया जाता. पार्लियामेंट में हमें दबा देते हैं. मैं संसद में पेगासस, रफाएल, जम्मू-कश्मीर के बारे में, भ्रष्टाचार के बारे में या बेरोजगारी के बारे में नहीं बोल सकता. और हिंदुस्तान की सभी संस्थाओं पर ये लोग आक्रमण कर रहे हैं. न्यायपालिका पर आक्रमण कर रहे हैं. विधानसभा, लोकसभा और राज्य सभा पर आक्रमण कर रहे हैं."
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि "भारत के संवैधानिक ढांचे पर भी आक्रमण किया जा रहा है और बाकी हिंदुस्तान पर इन-डायरेक्ट और जम्मू-कश्मीर पर डायरेक्ट..." राहुल गांधी ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के साथ इज़्ज़त और प्यार का रिश्ता चाहते हैं, मैं नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ लड़ता हूं, और हम लड़ेंगे और नरेंद्र मोदी और उनकी हिंदुस्तान को बांटने-तोड़ने की और हिंसा की विचारधारा के ख़िलाफ़ हम लड़ेंगे और हराएंगे."
राहुल गांधी के इस आत्मविश्वास ने सत्ता पक्ष के अंदर तो खलबली पैदा की ही है जनता में भी ये संदेश दिया कि राहुल गांधी आने वाले समय के बेहतरीन परिपक्व नेता और मजबूत प्रशासक बनकर उभरेंगे.