राज्यसभा की जंग: कर्नाटक मध्यप्रदेश में मुकाबला रोचक, दिग्विजय-सिंधिया जैसे दिग्गज मैदान में
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरने के बाद जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपना बहुमत साबित किया तो उनके पाले में 112 थे. इनमें 107 विधायक बीजेपी के थे, जबकि सपा, बसपा और निर्दलीयों ने उनकी सरकार को समर्थन दिया.
कोरोना वायरस से चल रही देश की जंग के बीच चुनावी गतिविधियां भी अमल में आने लगी हैं. चुनाव आयोग ने दस राज्यों की 24 राज्यसभा सीटों पर चुनाव का ऐलान कर दिया है. सभी सीटों पर 19 जून को चुनाव कराया जायेगा.
आंध्र प्रदेश की 4, गुजरात की 4, झारखंड की 2, मध्य प्रदेश की 3, राजस्थान की 3 और मणिपुर व मेघालय की 1-1 सीट के अलावा जून-जुलाई में खाली हो रही अरुणाचल प्रदेश की 1, कर्नाटक की 4 और मिजोरम की 1 सीट पर ये चुनाव होने हैं. सबसे दिलचस्प लड़ाई मध्य प्रदेश और कर्नाटक में नजर आ रही है, क्योंकि इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस को बड़ी बगावत का सामना करना पड़ा है जिससे उसके हाथों से सत्ता भी खिसक गई है.
मध्य प्रदेश का मुकाबला और भी ज्यादा दिलचस्प है क्योंकि यहां कांग्रेस का बड़ा चेहरा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी के पाले में हैं. सिंधिया अकेले बीजेपी के पास नहीं गये, बल्कि बीस से ज्यादा विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर कमलनाथ सरकार को आउट कर दिया. अब ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा चुनाव के प्रत्याशी के तौर पर किस्मत आजमा रहे हैं. जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी मैदान में हैं.
मध्य प्रदेश में तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशी हैं. ऐसे में मुकाबला काफी रोचक हो गया है. बीजेपी से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी चुनाव लड़ रहे हैं तो कांग्रेस से दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया हैं. हालांकि, कांग्रेस ने फर्स्ट प्रायोरिटी दिग्विजय सिंह को दी है, ऐसे में उनकी सीट सेफ मानी जा रही है. दूसरी तरफ बीजेपी ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को फर्स्ट प्रायोरिटी पर रखा है. ऐसे में माना जा रहा है कि ये दोनों ही नेता राज्यसभा पहुंचने में सफल हो जाएंगे लेकिन तीसरी सीट को लेकर पेच फंसा है. कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद पूरा गणित बिगड़ गया है.
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरने के बाद जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपना बहुमत साबित किया तो उनके पाले में 112 थे. इनमें 107 विधायक बीजेपी के थे, जबकि सपा, बसपा और निर्दलीयों ने उनकी सरकार को समर्थन दिया.
कर्नाटक में भी खींचतान
कर्नाटक की हालत भी कुछ एमपी जैसी ही है. यहां कांग्रेस अपने समर्थन से जेडीएस के साथ मिलकर सरकार चला रही थी, लेकिन एक दर्जन से ज्यादा विधायकों ने बगावत कर बीजेपी का पाला संभाल लिया. इससे न सिर्फ कांग्रेस-जेडीएस की सरकार चली गई बल्कि राज्यसभा चुनाव में भी हालात चुनौतीपूर्ण बन गये.
कर्नाटक में चार सीटों पर चुनाव होने हैं. प्रत्येक उम्मीदवार को जीत के लिए करीब 45 वोट की जरूरत होगी. जेडीएस की तरफ से एचडी देवेगौड़ा तो कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे का प्रत्याशी होना तय माना जा रहा है. विधायकों की संख्या के लिहाज से कांग्रेस एक सीट आसानी से जीत लेगी. जबकि बचे वोटों से वह जेडीएस की नैया भी पार लगा सकती है.
फिलहाल, कर्नाटक विधानसभा का समीकरण देखा जाये तो कुल 225 सीटों में से बीजेपी के पास 116, कांग्रेस के पास 68, जेडीएस के पास 34 विधायक हैं. जबकि बसपा- 1, निर्दलीय- 2, स्पीकर- 1, नामित- 1 सदस्य हैं. दो सीटें खाली हैं. यानी बीजेपी चार में से दो सीटों पर बीजेपी के जीतने की प्रबल संभावना है, लेकिन वह चाहेगी क्रॉस वोटिंग के सहारे तीसरी सीट पर भी कब्जा जमाया जाए. हालांकि, अभी उम्मीदवारी को लेकर पार्टी की स्थिति स्पष्ट नहीं है.