Sushil Kumar Modi Cancer: 6 महीने से कैंसर से संघर्ष कर रहे हैं 'मोदी', पोस्ट में बीजेपी के दिग्गज नेता का छलका दर्द

Sushil Kumar Modi Cancer: पिछले कई महीनों से बीजेपी के दिग्गज नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। जिसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर दी है।

Update: 2024-04-03 08:53 GMT

Sushil Kumar Modi Cancer: पिछले कई महीनों से बीजेपी के दिग्गज नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। जिसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर दी है। उन्होंने पोस्ट करते हुए कहा,, ‘पिछले 6माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोक सभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। पीएम को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित।’ उनके इस खुलासे पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने सुशील मोदी के स्वास्थ्य पर कहा कि मैं बहुत दुखी हूं। मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

सुशील मोदी बिहार के डिप्टी सीएम के अलावा राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। उनका राजनीतिक करियर 33 साल का रहा है इस दौरान वो राज्यसभा, लोकसभा, विधान परिषद और विधानसभा के भी सदस्य रह चुके हैं। सुशील मोदी बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।

राज्यसभा उम्मीदवारों में नहीं था नाम

भाजपा ने हाल ही में राज्यसभा उम्मीदवारों का ऐलान किया था जिसमें सुशील मोदी का नाम नहीं था। सुशील मोदी को राज्यसभा से टिकट ना मिलने पर अटकलें लगाई जा रही थीं कि उन्हें पार्टी लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है। लेकिन हाल ही में जब पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की तो उसमें भी सुशील मोदी का नाम नहीं था। जिससे ये साफ हो गया कि सुशील मोदी अब लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ेंगे।

छात्र नेता के रूप में शुरू किया था करियर

भाजपा नेता ने अपना राजनैतिक करियर पटना यूनिवर्सिटी से छात्र नेता के रूप में शुरू किया था। फिर उसके बाद 1973 में वह पीयू छात्रसंघ महासचिव बने। उन्होंने 1974 में बिहार छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया था। जेपी आंदोलन और आपातकाल के दौरान उन्हें पांच बार गिरफ्तार किया गया। इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में MISA की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी, जिसके बाद MISA की धारा 9 को असंवैधानिक करार दिया गया था।

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