कांग्रेस में दो फाड़, कार्यसमिति की बैठक में एक तरफ गांधी तो दूसरी तरफ बागी
संजय रोकडे
जिस तरह से कांग्रेस की कार्यसमिति में हंगामें की अशंका जताई जा रही थी वह सच होते ही दिखी। आज की कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक महाभारत में तब्दील हो गई है। सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की और साथ में उस चिट्ठी का जवाब भी दिया जिसमें नेतृत्व पर सवाल उठाए गए थे।
इसके बाद कांग्रेस समिति दो भागों में बंट गई। एक तरफ गांधी परिवार के समर्थन में लोग दिखे तो दूसरी तरफ बागी नेताओं ने भी अपने तेवर सख्त अख्तियार कर खुली चुनौती दे दी।
सोनिया गांधी के समर्थन में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और वरिष्ठ कांग्रेसी एके एंटनी ने चिट्ठी लिखने के कदम की आलोचना और नेतृत्व में बदलाव की मांग करने वाले नेताओं के प्रति गुस्सा भी जाहिर किया।
इसके बाद राहुल गांधी ने बेहद तीखे लहजे में लेटर की टाइमिंग पर सवाल खड़े करते हुए यहां तक कहा दिया कि चिट्ठी बीजेपी के साथ मिलीभगत कर लिखी गई है। राहुल के बाद प्रियंका गांधी ने भी गुलाम नबी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की।
राहुल गांधी ने कड़े तेवर में कहा कि सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती होने के समय ही पार्टी नेतृत्व को लेकर पत्र क्यों भेजा गया था?
राहुल ने बैठक में कहा कि पार्टी नेतृत्व के बारे में सोनिया गांधी को पत्र उस समय लिखा गया था जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार संकट का सामना कर रही थी। पत्र में जो लिखा गया था उस पर चर्चा करने का सही स्थान सीडब्ल्यूसी की बैठक है, मीडिया नहीं।
गांधी परिवार द्वारा लगाए आरोप को लेकर गुलाम नबी आजाद सीडब्ल्यूसी की बैठक में उखड़ गए। भाजपा के साथ मिलीभगत के आरोप पर आजाद ने कहा कि अगर मिलीभगत साबित हो गई तो वे इस्तीफा दे देंगे। हालाकि आजाद ने जवाब देते समय राहुल गांधी का नाम नहीं लिया।
कपिल सिब्बल ने भी ट्वीट कर राहुल गांधी के आरोपों का जवाब दिया। सिब्बल ने कहा कि बीजेपी की मदद करने का आरोप लगाया गया है जबकि मैंने राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रेस पार्टी का बचाव किया है। मणिपुर में पार्टी का बचाव किया। पिछले 30 सालों में कभी भी किसी मुद्दे पर बीजेपी के पक्ष में बयान नहीं दिया। फिर भी हम बीजेपी से मिले हुए हैं!
इधर सिब्बल के ट्वीट पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि राहुल गांधी ने इस तरह की (बीजेपी से साठगांठ) कोई बात नहीं कही है। इस तरह की गलत खबरों से भ्रमित न हों। हमें आपस में या कांग्रेस पार्टी से लडऩे की जगह निरंकुश मोदी सरकार से मिलकर लडऩा चाहिए।
वहीं, सिब्बल ने इसके बाद दूसरा ट्विट करते हुए लिखा कि राहुल गांधी ने खुद उन्हें बताया कि उन्होंने ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है। ऐसे में मैं अपना पुराना ट्वीट हटा रहा हूं।
दूसरी तरफ, कांग्रेस आईटी सेल की पूर्व चीफ दिव्या स्पंदना ने चिट्ठी लिखने वालों पर निशाना साधते हुए लिखा कि, न सिर्फ उन्होंने मीडिया में चिट्ठी लीक की, बल्कि सीडब्ल्यूसी की हर एक बात भी लीक कर रहे है। कमाल है!
बता दें कि सोनया गांधी को 7 अगस्त को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने एक पत्र लिखकर कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे। 23 नेताओं के हस्ताक्षर के साथ ये लेटर लिखा गया बताया जा रहा है।
हालांकि, सूत्रों का ये भी कहना है कि सिर्फ 23 नहीं, बल्कि देशभर के कुल 303 कांग्रेस नेताओं ने डिजिटल माध्यम से इस पत्र पर सहमति जताई है।
सोनिया को लिखे गए पत्र में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, जितिन प्रसाद, मुकुल वासनिक, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मिलिंद देवड़ा, रेणुका चौधरी, अखिलेश प्रसाद, पीजे कुरियन, संदीप दीक्षित, टीके सिंह, कुलदीप शर्मा, विवेक तन्खा, पृथ्वीराज चव्हाण, मनीष तिवारी और अरविंदर सिंह लवली जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम हैं जो पार्टी नेतृत्व में बदलाव चाहते है।
वहीं, कांग्रेस के तीनों मौजूदा मुख्यमंत्री डटकर गांधी परिवार के साथ खड़े नजर आ रहे है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सार्वजनिक तौर पर गांधी परिवार के प्रति अपना विश्वास जताया है।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी तीनों मुख्यमंत्री गांधी परिवार के समर्थन में खड़े नजर आए है।