सोनिया को अधीर रंजन चौधरी से इतना मोह क्यों?
कांग्रेसी नेताओ की खामोशी का क्या है राज ?
क्या कांग्रेसी नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति को राष्ट्र पत्नी कहना उचित था ? यदि हां तो पार्टी के सभी नेताओं द्वारा चौधरी की पैरवी की जानी चाहिए । यदि नही तो सोनिया, राहुल, प्रियंका, अशोक गहलोत, सचिन पायलट, मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश सहित चौधरी की ईमानदारी के साथ न केवल कड़ी आलोचना की करनी चाहिए बल्कि ऐसे बेवकूफ और नासमझ व्यक्ति को अविलम्ब पार्टी से बर्खास्त कर नैतिकता परिचय देना चाहिए ।
राष्ट्रपति एक संवैधानिक पद है । इस पर अमर्यादित टिप्पणी करने का किसी को अधिकार नही है । अधीर रंजन चौधरी जो लोकसभा में कांग्रेस के नेता है, द्वारा अमर्यादित टिप्पणी करना अक्षम्य है । कांग्रेस पार्टी को चाहिए कि अधीर रंजन चौधरी को पार्टी से बेदखल कर सार्वजनिक रूप से राष्ट्रपति से बिना लाग लपेट के क्षमा मांग कर सदयशता का परिचय देना चाहिए । कांग्रेस पार्टी पहले ही रसातल की ओर अग्रसर है । चौधरी ने इसे और धकेल दिया ।
माना कि स्मृति ईरानी अपनी बेटी के कारनामो से बिफरी हुई है । लेकिन चौधरी ने उन्हें सोनिया सहित पूरी पार्टी को कठघरे में खड़ा करने का मौका दे दिया । जिस महिला की बेटी अवैध रूप से बार का संचालन करती हो, उसे नैतिकता का पाठ पढ़ाने का कोई नैतिक अधिकार नही है । लेकिन अधीर रंजन चौधरी जैसे बेवकूफ नेता को ऊपरी संरक्षण मिला हो, उस पर हमला होना स्वाभाविक है ।
इस मुद्दे को खत्म करना है तो स्वयं सोनिया को पार्टी की ओर से क्षमा याचना करते हुए चौधरी को हमेशा के पार्टी से निकालकर एक मिसाल कायम करनी चाहिए । दूसरी ओर मोदी सरकार को स्मृति ईरानी की बेटी के बार कांड की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए । नैतिकता का राग अलापने वाली स्मृति को भी तब तक मंत्री पद से अलग हो जाना चाहिए जब तक उनको क्लीन चिट नही मिल जाती ।