राजस्थान में बड़ी तादाद में IAS का तबादला,अखिर जाना ही पड़ा मंजु राजपाल को जेडीए से, सूची पर नजर आती है गहलोत की छाप

सूची पर नजर आती है गहलोत की छाप

Update: 2024-09-06 06:25 GMT

यूपी में 9 IAS अधिकारियों के हुए तबादले। 

महेश झालानी

जैसा कि मैंने पहले ही लिख दिया था कि मंजु राजपाल की जेडीए से रवानगी तय है । राज्य सरकार ने इनको इस पद से मुक्त कर आनंदी को यहां तैनात कर दिया है । इधर आईएएस की तबादला सूची में अशोक गहलोत की छाप स्पस्ट रूप से नजर आ रही है । गहलोत के कई खासमखास अफसरों को बेहतर और मनचाही पोस्टिंग मिली है । इसके अलावा गहलोत के वक्त लगाए गए कुछ अफसरों को कई साल बाद भी छेड़ा नही गया है ।

मंजु राजपाल की कार्यशैली कई राजनेताओ और सीएमओ में तैनात एक अफसर को पसंद नही आ रही थी । ईमानदारी के लिए विख्यात मंजु राजपाल में जेडीए आयुक्त बनने के बाद दलालो और बिचोलियों का पूरा सफाया कर पूरी प्रक्रिया पारदर्शी करदी थी । यही बात अफसरों और राजनेताओ को चुभने लगी थी । अनन्तः इनको आठ महीने में यहां से रवाना कर सहकारिता विभाग के सचिव पद संभालने के लिए भेज दिया गया है ।

निश्चित रूप से आनंदी एक काबिल अफसर मानी जाती है । जेडीए भ्रस्टाचार का बहुत बड़ा समुंदर है । इस समुंदर को कैसे पार किया जाए, यह उनके लिए बहुत बड़ी चुनोती होगी । जमीन माफिया, दलाल और राजनेता गलत कार्य करवाने के लिए निरन्तर दबाव डालते रहेंगे । ये इस मायाजाल से कैसे बचती है, यह देखना होगा । आनंदी अफसरों या राजनेताओ के दबाव में गलत कार्य को अंजाम देगी, ऐसा कोई सोचता है तो यह गलत है । यह मंजु राजपाल की फोटोकॉपी है ।

उधर टी रविकांत के बजाय वैभव गैलेरिया को यूडीएच का प्रमुख शासन सचिव बनाया गया है । टी रविकांत की छवि ईमानदार अफसरों में शुमार होती है तथा ये यूडीएच में काम भी बेहतर तरीके से कर रहे थे । इनको बदलकर गैलेरिया को लाना रहष्य की बात है । गैलेरिया पहले जेडीसी रह चुके है । उस वक्त ये काफी बदनाम हुए थे । अब इनको यूडीएच की कमान देना अफसरों के गले।नही उतर रहा है । ये जेडीसी के अलावा पीडब्लूडी और मेडिकल एजुकेशन जैसे मलाईदार विभाग में काम कर चुके है ।

शुभ्रा सिंह का मेडिकल विभाग से जाना तय माना जा रहा था । इन पर कई प्रकार के गम्भीर आरोप लग रहे थे । चिकित्सा मंत्री भी इंनकी कार्यशैली को पसंद नही करते थे । वैसे भी ये मुख्य सचिव सुधांश पन्त से वरिष्ठ है, इसलिए इनको सचिवालय में रखना कतई उचित नही था । चर्चा थी कि इन्हें रेवेन्यू बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर अजमेर भेजा जा सकता है । लेकिन इसके बजाय रोडवेज का अध्यक्ष बनाया गया है । रोडवेज की खस्ता को ये ठीक कर पाएगी, इसकी दूर दूर तक कोई संभावना नजर नही आती है ।

तबादला सूची में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) अखिल अरोड़ा,अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) आनंदकुमार और अतिरिक्त मुख्य सचिव (ऊर्जा) आलोक का नाम नही देखकर अफसरों में हैरानगी है । अरोड़ा और आनंदकुमार अशोक गहलोत के वक्त से अपने पदों पर बरकरार है । इसमें कोई गफलत नही है कि तीनो ही बेहद सुलझे और काबिल अफसर है । अरोड़ा को केवल काम से मतलब रहता है । फालतू की पंचायतबाजी और गुटबाजी से कोई सरोकार नही रखते । कमोबेश यही हाल आनंदकुमार का है । आलोक की कार्यशैली काबिले तारीफ है । एक अफसर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहाकि सरकार के पास इन दोनों का कोई विकल्प है ही नही ।

उधर गहलोत के ओएसडी रहे देवाराम सैनी को उनके इच्छित पद पर नियुक्ति दे दी गई है । ये पहले भी बीकानेर में पदस्तापित थे और अब भी बीकानेर में ही नियुक्ति हुई है । गहलोत के राज में डीआईपीआर रहे पुरुषोत्तम शर्मा, जिनके खिलाफ एसीबी ने पीई दर्ज कर रखी है, को पदोन्नति के बाद रोडवेज का एमडी बनाया गया है । ये गहलोत के विश्वस्त अफसरों में से एक है । गहलोत को रोज सूचना पहुंचाने वालो में यह भी शुमार है । शुभ्रा सिंह की नाक में दम करने के लिए अकेला पुरुषोत्तम शर्मा ही काफी है ।

पूरी सूची को देखने के बाद यही लगता है कि सुधांश पन्त का वीटो पावर काम कर गया है । वैसे कुछ तबादले शिखर अग्रवाल की सिफारिश पर हुए है । अब आईपीएस की तबादला सूची का इंतजार रहेगा जो कभी भी जारी हो सकती है । पुलिस की तबादला सूची में संजय अग्रवाल, अशोक राठौड़, दिनेश एमएन, अजय लाम्बा, बीजू जॉर्ज जोसफ, मालिनी अग्रवाल, भूपेंद्र साहू और गोविंद गुप्ता का नाम देखने को मिल सकता है ।

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