बालकनाथ ने ली भूपेंद्र यादव को हराने की सुपारी, केंद्रीय श्रम मंत्री की अलवर में हालत खस्ता
अगर भूपेंद्र यादव हारते है तो इसके एकमात्र जिम्मेदार बाबा बालकनाथ होंगे । इसके अलावा डॉ करण सिंह यादव को अपने कुनबे में शामिल करना बीजेपी के लिए घाटे का सौदा रह सकता है ।
भले ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अलवर में भूपेंद्र यादव को जिताने के लिए अलवर गए हो, लेकिन यहां भाजपा के प्रत्याशी की स्थिति फिलहाल बेहद नाजुक दिखाई दे रही है । केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को पराजय का सामना करना पड़े तो कोई ताज्जुब नही होना चाहिए ।
अजमेर के मूल निवासी भूपेंद्र यादव को इस दफा भाजपा ने अलवर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है । इनके सामने है कांग्रेस के ललित यादव । भूपेंद्र यादव केंद्र में श्रम मंत्री है तो ललित यादव मुंडावर से विधायक है । दोनों में से कोई एक हार भी गया तो इनको कोई फर्क नही पड़ने वाला है । यदि भूपेंद्र यादव हार जाते है तो वे मंत्री तो बने ही रहेंगे । जबकि ललित यादव की पराजय से उनकी विधायकी पर कोई फर्क नही पड़ने वाला है ।
भूपेंद्र यादव को बेहद सूझबूझ, अनुशासित और ठोस रणनीति बनाने वाला नेता माना जाता है । बिहार और गुजरात की जीत के पीछे इनकी रणनीति का बहुत बड़ा योगदान रहा है । वे कभी चुनाव नही लड़े । शायद पहली दफा लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे है । भूपेंद्र यादव 2012 से राज्यसभा के सदस्य है । अगर ये चुन लिए जाते है तो लोकसभा के सदस्य बन जाएंगे ।
भले ही भूपेंद्र यादव को बेहतर रणनीतिकार समझा जाता हो । लेकिन अलवर में अभी से इनके प्रति मतदाताओं में जबरदस्त नाराजगी इसलिए क्योंकि इनका अलवर से कोई सीधा ताल्लुक नही रहा है । इसके अतिरिक्त श्रम तथा वन मंत्री रहते हुए इन्होंने अलवर के लिए कोई कार्य नही किया । जनता में इनकी छवि एक निष्क्रिय मंत्री के रूप में अंकित है ।
उधर बाबा बालकनाथ ने भूपेंद्र यादव को हराने की सुपारी ले रखी है । उनके समर्थकों द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा है लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद खैरथल के बजाय तिजारा को जिला बनाया जाएगा । बालकनाथ तिजारा से विधायक है । इस खबर से खैरथल के आसपास के इलाकों में बालकनाथ के साथ साथ भूपेंद्र यादव के प्रति जबरदस्त आक्रोश है ।
अलवर जिले संख्या की दृष्टि से सबसे ज्यादा यादव है । यादवो की बहुलता को देखते हुए ही बीजेपी ने भूपेंद्र यादव को आलवर के लिए आयात किया है । वैसे पहले ये हरियाणा से चुनाव लड़ने वाले थे । बाबा बालकनाथ भी जाति से यादव है । यादवों के अलावा आम जनता भी इनसे बहुत ज्यादा रुष्ट है । अलवर के सांसद रहते हुए इन्होंने धेले भर का काम नही करवाया । जबकि कांग्रेस के भंवर जितेंद्र सिंह और डॉ करण सिंह के कार्यो को आज भी जनता याद करती है ।
पांच साल बाबा केवल धूणी जमाते रहे । इन्होंने इलाके में कभी दौरा करने की जरूरत नही समझी और न ही इनकी ओर से लोगो को समुचित रेस्पॉन्स दिया जाता था और न ही आज दिया जाता है । ये आज भी अपने को मुख्यमंत्री से कम नही समझते । इनकी उदासीनता की वजह से आम जनता में बीजेपी के प्रति आक्रोश है जिसका खामियाजा निश्चित रूप से भूपेंद्र यादव को भुगतना पड़ेगा ।
यादव नेता के रूप में जसवंत यादव में अच्छी पहचान है । लेकिन उनका दायरा बहरोड़ तक सीमित है । अलवर, किशनगढ़ बांस, तिजारा, खैरथल, कोटकासिम, राजगढ़, थानागाजी, मुंडावर आदि में बहुत ज्यादा प्रभाव नही है । डॉ करणसिंह यादव की पूरे अलवर जिले में अच्छी पकड़ है । लेकिन कांग्रेस का दामन छोड़कर उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर अपना बुढापा खराब कर लिया । अब तक इन्होंने जो इज्जत कमाई थी, वह मिट्टी में मिल गई । वे भूपेंद्र यादव की जिताने में नही, हराने में अवश्य मदद करेंगे । जहां जहां डॉक्टर साहब जाएंगे, बीजेपी का सूपड़ा साफ ।
कांग्रेस के प्रत्याशी ललित यादव युवा नेता है तथा इनकी इलाके में अच्छी छवि है । मुंडावर विधानसभा क्षेत्र से इन्होंने बीजेपी के मनजीत चौधरी को बुरी तरह पराजित किया था । इनके पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि इनकी कोई कार सेवा करने वाला नही है । लोगो को उम्मीद है कि यह उत्साही नौजवान जीत गया तो निश्चित रूप से अलवर का भला होगा । इनकी एक ही कमी है कि ये कांग्रेस के प्रत्याशी है । कुछ लोग यह मानकर चल रहे है कि बीजेपी की केंद्र में सरकार बन गई (लगभग तय है) तो ये काम कैसे कराएंगे ?
बहरहाल भूपेंद्र यादव जैसे कद्दावर नेता का विकेट गिर गया तो यह मानकर चलना चाहिए कि कांग्रेस की राजस्थान में सम्मानजनक स्थिति रहेगी । फिलहाल उसकी जेब खाली है । 25 में से 25 सीटो पर बीजेपी का कब्जा है । अगर कांग्रेस पांच सीट भी जीत गई तो उसे सीधे 20 टके का फायदा होगा । आज की तारीख में भूपेंद्र यादव से ललित यादव भारी पड़ रहे है । अगर भूपेंद्र यादव हारते है तो इसके एकमात्र जिम्मेदार बाबा बालकनाथ होंगे । इसके अलावा डॉ करण सिंह यादव को अपने कुनबे में शामिल करना बीजेपी के लिए घाटे का सौदा रह सकता है ।