वीरांगनाओं के प्रकरण में अपनो और विपक्ष के बयानों से घिरे गहलोत, बुरे फंसे
नए जिलों के मामलों में भी लोग निराश, अगर जिले नही बनाने थे तो सरकार जिले की मांग के लिए मिलने वालों को क्यों रखा भरोसे
रमेश शर्मा
सत्तारूढ़ सरकार विपक्ष के निशाने पर तो रहती आई है। मगर सरकार में बैठे सत्ता पक्ष के लोगों को ही निशाना बनाकर राजनीति निशाने का शिकार बनाने का खेल राजस्थान में पिछले 4 साल से लगातार देखा जा रहा है। जहां मुख्यमंत्री के पद को लेकर सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री किसी भी सूरत में अपने पद को नहीं छोड़ना चाहते। मुख्यमंत्री के पद के लिए ही उन्होंने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद को भी महत्व नहीं दिया। ऐसे राजनीतिक खींचतान के बावजूद भी राजस्थान में कांग्रेस रिपीट होने के दावे किस आधार कर कर रही है यह दावे करने वाले नेता ही जाने!
अगर कांग्रेस पार्टी की आपसी खींचतान की पिछली घटनाओं को भुला कर नए घटनाक्रम की बात की जाए तो वीरांगनाओं के मामले में यह सब कुछ वापस गहलोत और पायलट की आपस में खींचतान उजागर कर रहा है। अपने 3 सूत्री मांगों को लेकर पुलवामा में शहीद हुए शहीदों की तीन वीरांगनाओं ने एक 12 दिन पहले जयपुर में धरना शुरू किया था लेकिन धरने के तीसरे दिन पुलिस के दुर्व्यवहार से पीड़ित होकर तीनों विरागनाए सचिन पायलट के सरकारी आवास के बाहर धरने पर बैठ गई। पायलट ने वीरांगनाओं के समर्थन में मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख दिया।और यहीं से फिर खींचतान का नजारा सामने आने लगा।
जिसकी शुरुआत मुख्यमंत्री के दूत बनकर वीरांगनाओं से बात करने गए मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और शकुंतला रावत की समझाइश पर वीरांगनाओं से कुछ मुद्दों पर बात चीत में सहमति बनी थी। लेकिन अपने ही दूतों की सहमति का गहलोत ने ट्वीट कर यह कहते दो टूक जवाब दिया कि इससे तो शहीदों के बच्चों को आगे लाभ नहीं मिल पाएगा। इसके बाद बात बढ़ती गई हालात यह हुए की वीरांगनाओं को मुख्यमंत्री से मिलने उनके आवास पर जाने से पुलिस ने न केवल रोका बल्कि रात के साए में अपने बल पर वीरांगनाओं को वहां से हटा भी दिया। इस सब का विरोध करने पर डॉ किरोड़ी लाल मीणा जो शुरू से ही इस धरने का समर्थन कर रहे थे उनके साथ भी पुलिस का दुर्व्यवहार बड़ा मुद्दा बन गया जिसको लेकर आज जयपुर में भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया पूर्व मंत्री मदन दिलावर की तबीयत बिगड़ गई, सतीश पूनिया के पांव में चोट आई ।
भाजपा के कार्यकर्ताओं को जबरन सिविल लाइंस की ओर बढ़ते देख भीड़ को नियंत्रित करने की दृष्टि से आखिर पुलिस ने सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़, अशोक लाहोटी सहित कुछ नेताओं को हिरासत में ले लिया। सचिन पायलट ने अपने क्षेत्र के दौरे के दौरान बिना किसी का नाम लिए इसे इगो बताया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि संभवतः पायलट ने इगो वाली बात गहलोत को लेकर ही कही होगी क्योंकि पायलट ने इतना भी कहा कि दो तीन लोगों को विशेष रूप से नौकरी देने में कोई कानून कायदे प्रभावित नहीं होते हैं। इस तरह ऐसा लगता है कि अभी वीरांगनाओं के मामले में गहलोत न केवल विपक्ष से बल्कि अपनों से भी गिर चुके हैं।
बात करें जिले की तो नए जिला बनाए जाने के मामले में हर वर्ष की तरह बजट सत्र से पहले नए जिले बनने की मांग फिर से शुरू हो गई कुछ लोगों ने अपने क्षेत्र के लिए पदयात्रा की तो कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री से मिलकर भी मांग की मगर उन्होंने जिले बनाने से इनकार नहीं किया। 17 मार्च को बजट सत्र में मुख्यमंत्री के आने वाले बयान को लेकर फिर नए जिलों की घोषणा की आस लगना शुरू हो गई थी। मगर पिछले तीन-चार दिनों से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रघु शर्मा द्वारा केकड़ी को जिला बनाए जाने की पुरजोर मांग को लेकर जिलों की घोषणा जोर पकड़ने लगी लेकिन उस समय फिर जिला बनने की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को आज उस समय निराशा मिली जब मीडिया में खबर आने लगी की जिला बनाने के लिए बनाई गई राम लुभाया समिति का कार्यकाल 6 महीने और बढ़ा दिया गया है।
कुल मिलाकर राजस्थान में वही होगा जो खुद मुख्यमंत्री चाहेंगे और जिले भी तभी बनेंगे जब मुख्यमंत्री खुद ही जिलों की सौगात देना चाहेंगे। देखने वाली बात यह होगी कि अब वीरांगनाओं के मामले में और पार्टी की अंदरूनी खींचतान के मामले में क्या कांग्रेस आलाकमान कुछ दखल देगा!