Rajsthan Congress : रंधावा नही, उच्चस्तरीय कमेटी निकलेगी संकट का हल, गहलोत और पायलट में सुलह के लिए आएंगे पर्यवेक्षक
राजस्थान के स्थायी समाधान के लिए एक बार फिर से पर्यवेक्षक जयपुर आ सकते है। गुप्त मतदान या रायशुमारी के आधार पर रास्ता खोजने की कोशिश होने के आसार है।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच फिलहाल सुलह की संभावना दिखाई नही दे रही है । कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की राजस्थान यात्रा की कार्यसूची में सुलह कराना शामिल नही है । वे विशुद्ध रूप से संगठन को मजबूत करने की गरज से जयपुर आ रहे है ।
रंधावा से आज टेलीफोन पर हुई बातचीत में स्पस्ट रूप से कहाकि उनका बुनियादी उद्देश्य संगठन को मजबूत और सुदृढ करना है । इसी गरज से वे जयपुर आ रहे है । उन्होंने कहाकि अभी मुकम्मल रूप से संगठन का ढांचा तैयार नही हुआ है । मेरी कोशिश होगी कि संगठन के ढांचे को मजबूती प्रदान की जाए ।
रंधावा का कहना था कि गहलोत और पायलट के बीच सुलह के लिए दिल्ली से एक कमेटी जयपुर आएगी जिसमे वे भी सम्मिलित रहेंगे । कमेटी कब आएगी, इस बारे में उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया । रंधावा ने इस बात पर गहरी नाराजगी व्यक्त की कि गहलोत और पायलट के बीच नाराजगी को लेकर पार्टी आलाकमान से ज्यादा चिंता प्रेस को है ।
लगता है कि पिछले चार साल से गहलोत और पायलट के बीच युद्ध स्थायी तौर पर थमता दिखाई नही दे रहा है । राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पहले दोनो का भरत मिलाप हुआ था । लेकिन वह केवल दिखावे के अलावा कुछ नही था । राहुल चाहते थे कि उनकी यात्रा के बीच किसी प्रकार का विध्न नही पड़े । इसलिए दोनो में मेल मिलाप आवश्यक था । राहुल की राजस्थान यात्रा समाप्त होगई, लेकिन जंग फिर से जारी है ।
विधायकों की रायशुमारी के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन 25 सितम्बर को जयपुर आए थे । लेकिन दोनों की ऐतिहासिक फजीहत हुई और उन्हें बैरंग लौटना पड़ा था । उस वक्त गहलोत गुट की ओर से तीन शर्ते प्रभारियों के जरिये आलाकमान को भेजी गई थी । पहली शर्त यह थी कि नए सीएम का चयन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव के बाद हो । चुनाव हुए ढाई महीने होगये और नए सीएम का चुनाव नही होना इस बात का प्रमाण है कि यह गहलोत गुट की बहुत बड़ी जीत है ।
नया सीएम बनेगा या नही, यह भी फिलहाल तय नही है । गहलोत गुट की दूसरी शर्त यह थी कि नया सीएम 102 विधायकों में से बनाया जाए । इस शर्त का सीधा मतलब यह है कि सचिन पायलट के अलावा दीगर व्यक्ति को सीएम बनाया जाए । तीसरी शर्त थी कि गहलोत की रजामंदी से नए सीएम का चयन होना चाहिए । जाहिर है कि गहलोत नकारा, निकम्मा और गद्दार व्यक्ति के नाम पर तो किसी हालत में सहमत होंगे नही । यदि मजबूरीवश होना भी पड़ा तो उन्हें रायता बिखेरना बखूबी आता है । अभी तक सारी स्थितियां गहलोत के अनुकूल है ।
कांग्रेस के उच्च स्तरीय सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक गहलोत सीएम की कुर्सी छोड़ने के कतई मूड में नही है । उधर पायलट की जिद है कि वे एक बार सीएम बनकर ही रहेंगे । लेकिन बनेंगे कैसे ? सीएम की पोस्ट वेकेंट है नही । पोस्ट तभी वेकेंट हो सकती है जब गहलोत वीआरएस ले । फिलहाल वे वीआरएस के मूड में है नही । उधर आलाकमान भी गहलोत की मर्जी के खिलाफ कोई अप्रिय कदम उठाने की स्थिति में नही है ।
राजस्थान का संकट हल करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी केसी वेणुगोपाल और सुखजिंदर रंधावा के हाथ मे है । देखना है कि दोनों कैसे इस संकट का हल खोज पाते है या नही । कहीं ऐसा नही हो कि अजय माकन की तरह इन्हें भी असफलता का मुंह देखना पड़े । वैसे रंधावा से कांग्रेसियो को बहुत ज्यादा उम्मीद है । संगठन के रिक्त पद शीघ्र भरे जा सकते है जो पिछले कई साल से खाली पड़े है । ऐसा माना जा रहा है कि राजस्थान के स्थायी समाधान के लिए एक बार फिर से पर्यवेक्षक जयपुर आ सकते है । गुप्त मतदान या रायशुमारी के आधार पर रास्ता खोजने की कोशिश होने के आसार है ।