मुंडका अग्निकांड: जिस बिल्डिंग में लगी थी आग, जानें- उसकी तीन साल पहले की सच्चाई
दिल्ली के मुंडका इलाके में मेट्रो स्टेशन के पास स्थित चारमंजिला व्यावसायिक इमारत में शुक्रवार शाम भीषण आग लग गई। हादसे में महिला समेत 27 लोगों की मौत हो गई, देर रात तक दमकल की 30 गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हुईं थी। ईमारत में आग लगने की घटना के बाद व्याकुल परिजन अपने प्रियजनों की तलाश में शुक्रवार की रात से कभी अस्पातल तो कभी थाने और कभी घटनास्थल के चक्कर काट रहे हैं। इस घटना में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमों को अंदर कुछ लोगों के अवशेष मिले है। इससे माना जा रहा है कि मृतकों की संख्या बढ़कर 30 तक पहुंच सकती है। फिलहाल रेस्क्यू बंद कर दिया गया है।
दिल्ली के मुंडका गांव में जिस चार मंजिला इमारत में आग लगी उसके ग्राउंड फ्लोर को करीब तीन साल पहले उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने पुलिस के सहयोग से सील किया था। निगम के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि बिल्डिंग मालिक ने दूसरी तरफ से रास्ता बनाकर उसकी दो मंजिलों को किराये पर दे दिया था और चौथी मंजिल पर वह अपने परिवार के साथ रहता है। सील बिल्डिंग में अवैध रूप से फैक्ट्री चल रही थी, इस पर ना केवल उत्तरी निगम बल्कि स्थानीय पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध बनी हुई है।
27 लोगों की जिंदगी के लिए लाक्षागृह बनी यह इमारत मुंडका गांव के गैर औद्योगिक क्षेत्र में आती है। इस फैक्ट्री के अलावा यहां अनेक फैक्ट्रियां और गोदाम भी गैर कानूनी तरीके से चल रहे हैं। यह इलाका उत्तरी निगम के नरेला जोन के तहत आता है। पुलिस ने फैक्ट्री के दोनों मालिकों हरीश गोयल और वरुण गोयल को गिरफ्तार कर लिया है।
गोयल बंधुओं की यह फैक्ट्री भी बगैर किसी लाइसेंस के चल रही थी। इस संबंध में नरेला जोन के उपायुक्त रंजीत का कहना है कि फैक्ट्री मालिक ने लाइसेंस लेने के लिए कुछ साल पहले आवेदन किया था, लेकिन जब उनके दस्तावेजों की जांच की गई तो पता चला कि उन्होंने दस्तोवजों में फैक्ट्री के स्थान को औद्योगिक क्षेत्र में दिखा रखा था, जो कि गलत था। उनका कहना है कि दस्तावेज गलत पाए जाने पर लाइसेंस जारी नहीं किया गया था।
निगम के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि यह फैक्ट्री गैर कानूनी तरीके से चल रही थी। इस इमारत के ग्राउंड फ्लोर को करीब तीन साल पहले निगम विभाग ने पुलिस के साथ मिलकर सील कर दिया था। ग्राउंड फ्लोर पर ही शराब की दुकान भी चल रही थी। उसके बाद इमारत मालिक ने इसकी दो मंजिलों को फैक्ट्री के लिए किराये पर दिया था।