कवर्धा-शहर में मंगलवार को जमकर हंगामा और तोड़फोड़ हुआ। कई मोहल्लों में ईंट व पत्थर फेंके गए, कुछ असामाजिक तत्व तलवार लेकर भी उतर आए। पुलिस इंटेलिजेंस की फेलियर के कारण इतना बड़ा बवाल हुआ, जिससे आज पूरा शहर खौफजदा है। लोहारा नाका चौक पर 3 अक्टूबर को झंडे को लेकर हुए झगड़े की मजिस्ट्रियल जांच की मांग को लेकर एक धड़े ने मंगलवार को शहर बंद और नेशनल हाईवे पर चक्काजाम किया।
इसी दौरान सैकड़ों की संख्या में पहुंचे प्रदर्शनकारी अलग- अलग टोलियों में बंट गए और शहर में जमकर बवाल किया। गंभीर बात यह है कि इंटेलिजेंस (मुखबिर तंत्र) फेलियर की वजह से पुलिस को इसका जरा भी आभास नहीं हुआ। जो पुलिस बल शहर के भीतर ड्यूटी पर थे, उन्हें सड़कों पर तैनाती की बजाय 25-26 गाड़ियों में इधर से उधर घुमाया जाता रहा। इसलिए वे उपद्रवियों को रोक नहीं पाए। जानकारी के मुताबिक हंगामे को रोकने के लिए 11 जिलों से करीब 1500 पुलिस बल बुलाए गए थे।
कुछ आउटर पर शहर के एंट्री प्वाइंट पर तैनात थे, तो वहीं ज्यादातर हाईवे पर चक्काजाम में ड्यूटी कर रहे थे। शहर में जिस वक्त हंगामा व तोड़फोड़ हुआ, प्रदर्शनकारियों ने 100 से अधिक गाड़ियां तोड़ीं। तब पुलिस प्रदर्शनकारियों को रोकने में लगी थी। इस दौरान पुलिसकर्मियों को भी मार खानी पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर भी हमला किया। इस दौरान एक डीएसपी का सिर फूटा है। वहीं कुछेक पुलिसकर्मियों को चोटें भी आई है।
झंडे को लेकर हुए झगड़े की मजिस्ट्रियल जांच की मांग को लेकर एक धड़े ने शहर बंद व चक्काजाम का आह्वान किया था। रैली निकालने आवेदन दिया था, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। प्रशासन को भरोसा दिलाया था कि विपरीत परिस्थितियां नहीं बनने देंगे।
जानिए, इस पूरे मामले में पुलिस की ये 3 बड़ी चूक
चूक 1: 1 अक्टूबर को लोहारा नाका चौक पर दो पक्षों में हल्की झड़प हुई थी। उस दिन कोतवाली पुलिस ने इसे मामूली विवाद समझने की भूल की। पुलिस ने इसे गंभीरता से न लेकर हल्के में लिया।
यह होना था: कोतवाली पुलिस ने उसी दिन झड़प करने वालों को पकड़कर थाने लाना था। उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जानी थी, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया। इसे लेकर गंभीरता दिखाी जानी थी।
चूक 2: 3 अक्टूबर को लोहारा नाका चौक पर ही फिर झंडे के लिए विवाद हुआ। पुलिस ने सड़क पर ही दोनों पक्षों का समझौता कराने कोशिश की। नतीजा पुलिस के सामने दो पक्षों में मारपीट हुई और भीड़ इकट्ठा हाे गई।
यह होना था: पुलिस को यह समझना चाहिए था कि सड़क के झगड़े सड़क पर नहीं सुलझाए जाते। विवाद करने वालों को तत्काल थाने लाया जाना था। एफआईआर करना था, नहीं किए।
चूक 3: शहर बंद व चक्काजाम के ऐलान को पुलिस ने हल्के में लिया। सभी 27 जिलाें से बल आने वाले थे, लेकिन 11 जिलाें से ही आए। मंगलवार सुबह आखिर भीड़ को रैली निकालने क्यों दी गई।
यह होना था : 3 अक्टूबर की दोपहर में ही धारा 144 लागू हो गई थी। पुलिस को इसका सख्ती से पालन कराया जाना था। मंगलवार को शहर में उपद्रव की शुरूआत में ही सख्ती से निपटना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मदद के लिए 94791-92499 पर करें कॉल
कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया है। प्रशासन की ओर से कहा है कि कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर न निकलें। घर में सुरक्षित रहें। शहर में सुरक्षा को देखते हुए कोई व्यक्ति किसी स्थान पर फंसा हुआ है या कहीं पर दुर्घटना घट रही है, उसकी जानकारी तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम के नंबर 9479192499 में सूचित करें। ताकि जानकारी मिलते ही तत्काल आवश्यक व्यवस्था की जा सकेे।
बतौर कप्तान एडीजी संभाल रहे थे कमान
पिछले 3 दिन से दुर्ग रेंज के आईजी व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) विवेकानंद सिन्हा कवर्धा में ही हैं। विवाद शुरू होने के बाद से बतौर कप्तान वे ही कानून व्यवस्था को संभाल रहे हैं। इसके अलावा दुर्ग एसएसपी बद्री नारायण मीणा, कवर्धा एसपी मोहित गर्ग, कमान्डेंड डॉ. लाल उमेंद सिंह, राजनांदगांव एसपी डी श्रवण समेत विभिन्न जिलों से आए 10 एडिशनल एसपी कवर्धा में हैं। इसके बावजूद वे उपद्रव को रोकने में नाकाम रहे।
कबीरधाम में इंटरनेट भी बंद करने की तैयारी
कवर्धा में हुए घटनाक्रम को लेकर अब जिला प्रशासन इंटरनेट बंद करने केन्द्रीय गृहमंत्रालय को पत्र भेजने वाला है। कबीरधाम जिले में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर संभव है कि जिले में आने वाले कुछ दिनों तक इंटरनेट बंद कर दिया जाए। जिला प्रशासन के वरिष्ठ अफसर मंगलवार को यह पूरी प्रक्रिया समझते रहे। इसके बाद पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से भी इसे लेकर चर्चा की गई।
बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक, बाजार व दुकानें बंद रहेंगी
कर्फ्यू के दौरान शहर में बाहरी लोगों की एंट्री पर पूरी तरह से रोक रहेगी। इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई की जा सकेगी। परेशानी न हों, इसलिए सरकारी विभागों में काम करने वाले अफसरों – कर्मचारियों और पत्रकारों को विशेष पास जारी किया जाएगा। ताकि वे शहर में आना- जाना कर सकें। कर्फ्यू के दौरान बाजार पूरी तरह बंद रहेंगे। डेली नीड्स, किराना दुकानें बंद रखा जाना है।
एक्सपर्ट व्यू
क्या है धारा 144: यह दंड प्रक्रिया संहिता की एक धारा है। इस धारा को लागू करने का अर्थ है कि 5 से 5 से अधिक व्यक्ति सार्वजनिक स्थल पर इकट्ठा नहीं हो सकते। कलेक्टर को बतौर मजिस्ट्रेट धारा 144 लागू करने के अधिकार हैं।
ये सजा : धारा 144 के उल्लंघन पर भादवि की धारा 188 के तहत दंड के प्रावधान हैं। इकट्ठा होने के बाद यदि आपराधिक कृत्य करते हैं, तो उसी अनुरूप भादवि की धाराएं लगेंगी। इसके उल्लंघन पर एक महीने की जेल व जुर्माना के प्रावधान हैं। यदि क्षति व दंगा के उद्देश्य से इकट्ठा होते हैं, तो 6 महीने की जेल व जुर्माने का प्रावधान है।
प्रशासन की जिम्मेदारी: धारा 144 लागू करने के बाद प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि इसका पालन कठोरता से कराए। जहां भी इसका उल्लंघन होता दिखे, पहले समझाइश दे। फिर भी जानबूझकर कोई 144 का उल्लंघन करे तो तुरंत 188 का मामला दर्ज करें व कानून के अनुसार कार्रवाई करे।
मेरी क्या जिम्मेदारी: जब भी धारा 144 की घोषणा हो, तो बतौर नागरिक इसका अनिवार्य रूप से पालन करना होगा।
लेकिन यह हुआ: धारा 144 के कायदे जो कहते हैं, कवर्धा शहर में ठीक उसका उलट हुआ। न तो नागरिकों ने अपनी जिम्मेदारी समझी और न ही प्रशासन ने। 5 अक्टूबर को तो प्रशासन पूरी तरह फेल रहा। धारा 144 के बाद भी रैली निकाली गई, और बड़ी घटना घट गई।
(वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर बख्शी के अनुसार)