गोरखपुर जिले में बाढ़ और जलभराव की वजह से इंसेफेलाइटिस के मरीज बढ़ गए हैं। इससे स्वास्थ्य महकमा चिंतित है। जानकारी के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल मरीजों की संख्या बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ का प्रकोप कम होने के बाद संक्रामक बीमारियों में तेजी से इजाफा हुआ है। ऐसे में इंसेफेलाइटिस के केस में भी बढ़ोतरी हुई है। पिछले पूरे साल जहां 130 मरीज मिले थे और छह मरीजों की मौत हुई थी। इस बार चार अक्तूबर तक 161 मरीज मिल चुके हैं और 12 मरीजों की मौत भी हो चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से बाढ़ का पानी कम हुआ है उसके अनुसार मामले अभी और बढ़ेंगे। क्योंकि यह बीमारी गंदगी की वजह से होती है। इसके अलावा स्क्रब टाइफस भी एक बड़ा कारण है। बाढ़ के दौरान गाय, भैंस, बकरी और कुत्ते जैसे पालतू जानवर भी पानी के संपर्क में रहे। इनमें चार तहर के बैक्टीरिया पाएं जाते हैं। यह बैक्टीरिया जू (किलनी) में पाए गए हैं। इनमें बोफिलस माइक्रोप्लस, हायलोमा कुमारी रिफिसेफेलस, सैंग्वीनियस और डर्मासेंटर आरोटस नामक बैक्टीरिया मिले हैं। यह चारों बैक्टीरिया बेहद खतरनाक है। स्क्रब टाइफस इन्हीं बैक्टीरिया के कारण होता है।
बाढ़ का पानी जिन इलाकों में कम हो गया है। उन इलाकों में जलजनित बीमारियों के फैलने का खतरा ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे इलाके के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। इन इलाकों के लोग पानी को उबाल कर पीएं और साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो इंसेफेलाइटिस का खतरा बढ़ सकता है।
सीएमओ डॉ सुधाकर पांडेय ने बताया कि इस साल कुछ इंसेफेलाइटिस के केस बढ़े हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम रोकथाम में पूरी तरह से लगी है। जिन इलाकों में केस मिले हैं, वहां पर टीम को भेजकर साफ-सफाई के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है।