Gaganyan Mission: सरकारी विद्यालय से पढ़कर, इसरो तक पहुंचे गगनयान से कमाया नाम

Gaganyaan Mission : गगनयान मिशन से जुड़े पहले परीक्षण पर देशभर की नजरें बनी थी। इस टेस्ट मिशन में यूपी के बांदा जिले के भी एक वैज्ञानिक का अहम योगदान रहा है। सरकारी स्कूल से पढ़े योगेश की इसरो तक की जर्नी दिलचस्प है। पढ़िए पूरी खबर...

Update: 2023-10-22 10:03 GMT

रकारी विद्यालय से पढ़कर, इसरो तक पहुंचे गगनयान से कमाया नाम।

Gaganyaan mission: इसरो ने भारत के पहले मानवयुक्त स्पेस मिशन के लिए बीते शनिवार को पहला सफल परीक्षण किया। इसमें देशभर के सैकड़ों वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का योगदान रहा। जिसमें एक नाम यूपी के एक वैज्ञानिक का भी है। इस वैज्ञानिक का नाम योगेश रत्न है। वह उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के रहने वाले हैं। मानवयान के पहले यान वाले रॉकेट परीक्षण यान D-1 में योगेश रत्न का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।

योगेश रत्न ने बांदा से इसरो तक का सफर सरकारी स्कूल में पढ़कर तय किया है। वह फिलहाल इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के तिरुवनंतपुरम स्थित गुणत्ता आश्वासन विभाग में पिछले चौदह साल से काम कर रहे हैं। वह रॉकेट के ठोस प्रणोदक मोटर बनाने और टेस्टिंग के लिए उत्तरदायी हैं। साथ ही सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्चिंग पैड पर रॉकेट के विभिन्न प्रकार के हिस्सों को जोड़कर लॉन्चिंग के लिए तैयार करने में भी इनकी भूमिका होती है।

बांदा से ऐसे तय किया इसरो तक का सफर

योगेश रत्न बांदा जिले के शिवरामपुर गांव के निवास हैं। उनके पिता रामशंकर साहू एडीओ पंचायत थे। योगेश की 10वीं तक की पढ़ाई सेठ राधाक्रिश्न पोद्दार इंटर कॉलेज चित्रकूट से और 12वीं की चित्रकूट इंटर कॉलेज से हुई है। इसके बाद उन्होंने बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी झांसी से बीटेक की पढ़ाई किया। योगेश ने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के बाद आईआईटी खड़गपुर से एमटेक किया। इसके बाद कुछ समय तक जामनगर में रिलायंस कंपनी में जॉब की। साल 2008 में उन्होंने इसरो संस्थान में शामिल हुए।

इन मिशन में भी रहे हैं शामिल

योगेश रत्न गगनयान ही नहीं, बल्कि इससे पहले भी कई अहम मिशन में शामिल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वह अब तक 40 पीएसएलवी, 3 एलवीएम, 2 एसएसए वी सहित कई रॉकेट निर्माण में शामिल रहे। जिसका इस्तेमाल चंद्रयान-2, मंगलयान वन-1 वेब सहित कई मिशन में काम कर चुके है।

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