इलाहाबाद हाईकोर्ट का पीएम और चुनाव आयुक्त से आग्रह, यूपी चुनाव टालिए सरकार, कोर्ट की कही बातों पर एक नजर

Update: 2021-12-24 03:32 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देश व विदेशों में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के प्रसार को देखते हुए प्रधानमंत्री और चुनाव आयुक्त से यूपी विधानसभा चुनाव कुछ समय के लिए टालने का आग्रह किया है। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में लोगों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए राजनीतिक दलों की भीड़ एकत्रित करने वाली चुनावी रैलियों पर रोक लगाई जाए।

कोर्ट ने सुझाव दिया कि राजनीतिक दलों से चुनाव प्रचार टीवी व समाचार पत्रों के माध्यम से करने को कहा जाए। साथ ही प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि राजनीतिक दलों की चुनावी सभाओं व रैलियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं। यह भी कहा कि प्रधानमंत्री चुनाव टालने पर भी विचार करें क्योंकि जान है तो जहान है।

यह बात न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने गैंगस्टर एक्ट के एक आरोपी की जमानत अर्जी पर पारित आदेश में कही है। उन्होंने प्रयागराज के कैंट थाने में दर्ज मामले के आरोपी संजय यादव की जमानत मंजूर कर ली है।

कोर्ट ने कहा कि आज इस न्यायालय के समक्ष लगभग 400 मुकदमे सूचीबद्व हैं। इस न्यायालय के समक्ष नित्य इसी प्रकार मुकदमे सूचीबद्व होते हैं जिसके कारण अधिक संख्या में अधिवक्ता उपस्थित होते हैं और उनके बीच किसी भी प्रकार की सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होती। न्यायमूर्ति ने कहा कि अधिवक्ता आपस में सटकर खड़े होते हैं। जबकि कोरोना के नए वैरिएंट के मरीज बढ़ते जा रहे हैं और तीसरी लहर आने की आशंका है।

कोर्ट ने कहा कि दैनिक समाचार पत्र के अनुसार 24 घंटे में छह हजार नए मामले मिले हैं और 318 लोगों की मौत हुई है। साथ ही यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इस भयावह महामारी को देखते हुए चीन, नीदरलैंड, आयरलैंड, जर्मनी, स्कॉटलैंड जैसे देशों ने पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। ऐसी स्थिति में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से आग्रह है कि वह इस विकट स्थिति से निपटने के लिए नियम बनाएं।

रोज दिख रही भयावह स्थिति

कोर्ट ने कहा कि दैनिक समाचार पत्र और दूरदर्शन में ऐसी भयावह स्थिति दिखाई जा रही है। जबकि रोज कोरोना के नए वेरिएंट के मरीज बढ़ रहे हैं और तीसरी लहर दस्तक दे रही है। दूसरी लहर में हमने देखा है कि लाखों की संख्या में लोग कोरोना संक्रमित हुए और बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई है। ग्राम पंचायत चुनाव एवं बंगाल विधानसभा के चुनाव ने लोगों को काफी संक्रमित किया, जिससे लोग मौत के मुंह में गए।

कोर्ट ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश विधानसभा का निकट है। जिसके लिए सभी राजनीतिक दल रैली, सभाएं आदि करके लाखों की भीड़ जुटा रहे हैं। इन रैलियों- सभाओं में किसी भी प्रकार से कोरोना प्रोटोकाल का पालन करना संभव नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इसे समय रहते नहीं रोका गया तो परिणाम दूसरी लहर से कहीं अधिक भयावह होगा। ऐसी स्थिति में चुनाव आयुक्त से न्यायालय का अनुरोध है कि इस प्रकार की रैली, सभाएं आदि जिनमें भीड़ एकत्रित हो, उन पर तत्काल रोक लगाएं और चुनावी पार्टियों को आदेश दें कि अपना प्रचार व प्रसार रैली एवं सभा में भीड़ जुटाकर न करें बल्कि दूरदर्शन एवं समाचार पत्रों के माध्यम से करें। संभव हो सके तो फरवरी में होने वाले चुनाव को भी एक-दो माह के लिए टाल दें क्योंकि जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी।

कोर्ट ने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री, जिन्होंने भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में कोरोना मुफ्त टीकाकरण का जो अभियान चलाया है, वह प्रशंसनीय है और न्यायालय उसकी प्रशंसा करता है। साथ ही प्रधानमंत्री से अनुरोध करता है कि इस भयावह महामारी की स्थिति को देखते हुए कड़े कदम उठाते हुए रैली, सभाएं एवं होने वाले चुनाव को रोकने और टालने के बारे में विचार करें क्योंकि जान है तो जहान है। कोर्ट ने आदेश की प्रति रजिस्ट्रार जनरल, चुनाव आयुक्त और केंद्र सरकार को प्रेषित करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट की कही बातों पर एक नजर

• ग्राम पंचायत चुनाव और बंगाल विधानसभा चुनाव ने काफी लोगों को संक्रमित किया। इससे लोग मौत के मुंह में गए।

• अब फिर से यूपी में विधानसभा चुनाव निकट है।

• इसके लिए सभी पार्टियां रैली, सभाएं करके लाखों की भीड़ जुटा रही हैं।

• रैलियों में किसी भी प्रकार से कोरोना प्रोटोकाॅल का पालन करना संभव नहीं है।

• इसे समय रहते नहीं रोका गया, तो स्थिति दूसरी लहर से ज्यादा भयावह होगी।

• ऐसी दशा में चुनाव आयुक्त से न्यायालय का अनुरोध है कि इस प्रकार की रैली और सभाओं पर तत्काल रोक लगाए।

• आयुक्त पार्टियों को आदेशित करें कि वह अपना प्रचार दूरदर्शन और समाचार पत्रों के माध्यम से करें।

• संभव हो तो फरवरी में होने वाले चुनाव को भी एक-दो महीने के लिए टाल दें।

• जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी।

• जीवन का अधिकार हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में भी दिया गया है।

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