योगी की नई कैबिनेट में वाराणसी के अनिल राजभर को मिली जगह, ओमप्रकाश की चुनौती स्वीकारी और अरविंद राजभर को हराया

Update: 2022-03-25 13:56 GMT

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हो गया है। प्रदेश सरकार के नए मंत्रिमंडल को लेकर शुक्रवार की सुबह से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के विधायकों पर भी लोगों की नजरें थी। पिछली बार की ही तरह इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के 2 विधायक अनिल राजभर और रवींद्र जायसवाल दोबारा मंत्री की कुर्सी पर आसीन होने में सफल रहे।

वही अनिल राजभर ने वाराणसी की शिवपुर सीट से जीत हासिल की है। अनिल राजभर ने न सिर्फ ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को हराया बल्कि राजभर समाज का नेता होने का दंभ भर रहे सुभासपा प्रमुख की उम्मीदों को धराशायी किया है।

अनिल राजभर वाराणसी से सटी चंदौली के नागेपुर जिले के मूल निवासी है। तकनीकी रूप से शिवपुर विधानसभा सीट भले ही वाराणसी जिले में स्थित है लेकिन यह चंदौली लोकसभा सीट का ही हिस्सा है।अनिल राजभर ने अरविंद राजभर को 27,687 वोट के भारी अंतर से हरा कर जीत हासिल की है।

अनिल राजभर को करीब एक लाख 15 हजार वोट मिले। अरविंद राजभर 88 हजार वोट ही हासिल कर सके। शिवपुर विधानसभा पहले चिरईगांव विधानसभा सीट हुआ करती थी। 2008 के परिसीमन के बाद यहां बदलाव हुआ। इस सीट पर मुख्यतः बसपा और भाजपा का दबदबा रहा है।

शिवपुर सीट का मुकाबला इसलिए दिलचस्प था क्योंकि ओम प्रकाश राजभर पहले योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल थे। ओम प्रकाश राजभर को बर्खास्त करने के बाद उनका पोर्टफोलियो अनिल राजभर को दे दिया गया था। चुनाव से ठीक पहले ओमप्रकाश राजभर ने अनिल राजभर को चुनौती दी थी।

बीजेपी ने अनिल राजभर को राजभर समाज के नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की और जीत के साथ ही उसमें काफी हद तक कामयाब भी मिली है। ओम प्रकाश राजभर ने अपने बेटे को अनिल राजभर के सामने उतारकर मुकाबला दिलचस्प कर दिया था। यहां पर असली मुद्दा यही था कि राजभर समाज का असली नेता कौन है।

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