Archana Sharma suicide in Dausa, Rajasthan: डॉक्टर अर्चना शर्मा आत्महत्या मामले में भाजपा नेता गोठवाल गिरफ्तार
दौसा डॉक्टर आत्महत्या मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। वही राजस्थान सरकार महिला डॉक्टर आत्महत्या मामले में एक्शन में आ गई है. अशोक गहलोत सरकार ने दौसा डॉक्टर सुसाइड मामले में एसपी को हटा दिया है. इस मामले में एसएचओ को निलंबित कर दिया गया है. इसके साथ ही डिप्टी एसपी को लाइन हाजिर करने का आदेश दिया गया है.
प्रसूता आशा बैरवा के पति ने कहा कि उसने डॉक्टर के खिलाफ दर्ज हत्या के केस की रिपोर्ट ना लिखी और ना पढ़ी। कुछ लोगों ने उससे सादा कागज पर साइन ले लिए थे। मामले में भाजपा नेता जितेंद्र गोठवाल का नाम सामने आया है। जिसके बाद पुलिस ने डॉक्टर को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में जितेंद्र गोठवाल को गिरफ्तार कर लिया है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार मृतका अर्चना शर्मा के पति ने आरोप लगाया था कि सोमवार को डिलीवरी हुई थी। प्रसूता की हालत नाजुक थी, हम उसे बचा नहीं सके। परिजनों ने ये सब देखा। उन्होंने हमसे कहा कि आपने बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन हमारी किस्मत खराब थी। जिसके बाद शव को घर भेजवाने की तैयारी चल रही थी। इसी बीच मुआवजा दिलाने के नाम पर वहां भाजपा के ही हरकेश मटलाना और जितेंद्र गोठवाल आ गए थे।
मेरे खिलाफ की जा रही साजिश-जितेंद्र गोठवाल
जितेंद्र गोठवाल का पुलिस ने मेडिकल करवाया है। वहीं गोठवाल ने सफाई दी कि मेरे खिलाफ साजिश की जा रही है। मेरे पहुंचने से पहले ही मुकदमा दर्ज हो गया था। वहीं जितेंद्र गोठवाल समर्थकों का कहना है कि लालसोट में बैरवा समाज से आने वाली मृतक महिला की डिलीवरी के समय मृत्यु हो गई। उसके परिजन और ग्रामीण निष्पक्ष जांच के लिए धरने पर बैठे थे। धरने में जितेंद्र गोठवाल ने अपनी उपस्थिति दर्ज की, जो कि एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। जो किसी भी जननेता का उत्तरदायित्व है। डॉक्टर अर्चना शर्मा द्वारा जल्दबाजी में आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठाना अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यजनक है।
क्या था मामला
डॉक्टर अर्चना शर्मा और उनके पति राजस्थान के दौसा के लालसोट हॉस्पिटल में कार्यरत हैं. खेमावास निवासी लालूराम बैरवा अपनी पत्नी आशा देवी (22) को डिलीवरी के लिए सोमवार सुबह हॉस्पिटल लेकर आया था. डिलीवरी के दौरान प्रसूता की मौत हो गई थी, वहीं नवजात सकुशल है.
राजस्थान के दौसा जिले की डॉक्टर अर्चना शर्मा का यह सुसाइड नोट रुला देने वाला है। एक प्रसूता की मौत पर अर्चना के खिलाफ हत्या का केस दर्ज हो गया। डॉक्टर अर्चना डिप्रेशन का शिकार हो गईं। डॉक्टर अर्चना कहतीं रहीं कि मौत medical negligance से नहीं बल्कि medical complication से हुई। गलती न होने पर भी प्रताड़ना से तंग आकर अर्चना ने जान दे दी। सुसाइड नोट में परिवार से कहा - मेरा मरना शायद मेरी बेगुनाही साबित कर दे. मेरे बच्चों को मां की कमी महसूस न होने देना.
गोल्ड मेडलिस्ट गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर अर्चना जी, जिन्होंने अपने पति के साथ लालसोट जैसी छोटी जगह को अच्छा अस्पताल दिया था। एक मरीज की डिलिवरी के बाद पोस्ट पार्टम हेमरेज (डिलिवरी का एक rare कॉम्प्लिकेशन जिसमे अधिक खून बह जाता है, और जो कि किसी भी महिला को हो सकता है, इसमें डॉक्टर की कोई लापरवाही नहीं होती है) के कारण मृत्यु होने पर मरीज के परिजनों द्वारा हंगामा करने और पुलिस द्वारा उनके विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज करने की वजह से उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
इस देश में गुंडे बदमाशों के विरुद्ध हत्या के मुकदमे दर्ज नहीं होते हैं, डॉक्टर्स के विरुद्ध होते हैं। एडिट नोट=मैडम के पति खुद बहुत सीनियर मनोचिकित्सक हैं, उनके ऊपर भी पुलिस ने हत्या का मुकदमा लगा रखा है।कितना प्रेशर होगा राजनेताओं, जनता का, गुंडागर्दी चली है अस्पताल के सामने, जलालत की है, सार्वजनिक तौर पर, हत्यारन का मुकदमा दर्ज करके।
लालसोट में अस्पताल चालू करने के पहले, मैडम गांधीनगर में Gynae डिपार्टमेंट की हेड थीं, अत्यधिक प्रतिभाशाली, अनेकों पब्लिकेशन, सैंकड़ों कॉम्प्लिकेटेड सर्जरी के रिकॉर्ड्स दर्ज हैं मैडम के नाम के आगे। किसी प्रतिभाशाली डॉक्टर की ऐसी हर आत्महत्या या हत्या के बाद मेरे दिल का कोई हिस्सा मर जाता है।