आरोग्य भारत : चुनौतियाँ एवं समाधान
लगभग 1.3 अरब जैसे विशाल देश में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिये भागीरथी, बहुआयामी, अभियान चलाने कि आवश्यकता है ।
कहते हैं पहला सुख है "निरोगी काया" ! पंरतु कम विकसित और विकासशील देशों में बहुसंख्य को स्वास्थ्य के प्रति उदासीन और लापरवाही बरतते देखा गया है! हालांकि सिर्फ जनता को ही इसका दोषी ठहराना समस्या के बहुआयामी पहलुओं को नजरअंदाज करना भी है ! यदि भारत में असंतोषजनक स्वास्थ्य सुविधाएं होने के पीछे कि कारण टटोलते हैं तो मुख्य रूप से जनसंख्या की तुलना में अपर्याप्त स्वास्थ्य ढांचा ,सकल घरेलू उत्पाद का नगन्य भाग स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता ( कोरोना महामारी के कुप्रबंधन में एक कारक) कुशल मानव संसाधन की कमी ( डाक्टर: मरीज- .7 : 1000) पाठ्यक्रम में मूल भूत स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों का तत्परता से क्रियान्वयन न होना इत्यादि कारण हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार गैर संचारी रोगों के कारण समय से पहले होने वाली मौतों से प्रभावित देशों में भारत का स्थान बहुत ऊंचा है !जो भारत में होने वाली मौतों का 60% है!भारत में लगभग 5.8 मिलियन भारतीय मधुमेह, कैंसर, स्ट्रोक, हृदय और फेंफड़ों की बीमारियों के कारण हर साल अपनी जान गंवा देते हैं। 5 साल से कम लगभग 3 लाख बच्चे हर साल उल्टी दस्त की भेंट चढ़ जाते हैं!( जिसे महज ओआरएस घोल से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है !!
अर्न्स्ट एंड यंग के संयुक्त अध्ययन के अनुसार यदि यूँ ही गैर संचारी रोग गतिमान होते रहे तो 2025 के अंत तक भारत को 17.5 करोड़ अतिरिक्त बिस्तरों की आवश्यकता होगी! भारत में लगभग 3.2 करोड़ लोग लोग एक ही वर्ष में अपनी जेब से स्वास्थ्य सेवा पर खर्च करने से गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं!
लगभग 1.3 अरब जैसे विशाल देश में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिये भागीरथी, बहुआयामी, अभियान चलाने कि आवश्यकता है ।
लगभग 5% जीडीपी का स्वास्थ्य पर खर्च हो ,निजी और सरकारी संस्थाओं का समन्वय योगदान, स्वयं सेवी संगठनों का स्वास्थ्य सेवा प्रदत्त बनकर उभरना, सार्वजनिक स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत करना, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार कुशल मानव संसाधन की कमी को पूर्ण करना, समावेशी स्वास्थ्य योजनायें, स्वास्थ्य ढांचे में विश्व स्तरीय निवेश, निवारक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देते रहना, स्वास्थ्य योग अनुशासित जीवन शैली के प्रति जागरूकता और लोगों की सक्रिय भागीदारी इत्यादि प्रयास भारत को निरोगी एवं स्वस्थ्य राष्ट्र बनने में सहायक हो सकते हैं। स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन ही एक उत्कृष्ट मनन कर सकता है !! भारत का विश्व गुरु बनने का संकल्प स्वास्थ्य के बेहतर और समावेशी चिंतन से ही संभव है!!
- डाॅ देवेन्द्र दांगी
जनरल फिजीशियन
संस्थापक: अथ युवा फाउंडेशन