आजम खान की जमानत के साथ ही रामपुर के डीएम को कोर्ट ने दिया ये आदेश, और कहा 30 जून तक करे पूरा
मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय के लिए धोखाधड़ी कर शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान को अंतरिम जमानत देने का आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने मंगलवार शाम खुली अदालत में सुनाया। इसके अलावा कोर्ट ने आजम खान पर शर्त लगाई है कि वह रिहा होने के तत्काल बाद संबंधित अदालत में अपना पासपोर्ट जमा कर देंगे। कोर्ट ने आजम खान को निर्देश दिया है कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान हर तारीख पर व्यक्तिगत रूप से या अपने अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित रहेंगे। ऐसा न करने पर ट्रायल कोर्ट उनकी जमानत निरस्त कर सकेगी। लेकिन अभी वो जेल से बाहर नही आ सकते है क्यों कि 89 मामलों में से 88 में बेल मिली है।
वही कोर्ट ने डीएम रामपुर को निर्देश दिया है कि वह विवादित 13.842 हेक्टेयर भूमि की नापजोख कराकर उस पर वास्तविक कब्जा प्राप्त करें तथा कटीले तार लगाकर उसकी बाउंड्री वाल बनाकर उसे सुरक्षित करें। कोर्ट ने यह कार्रवाई 30 जून तक पूरी कर लेने का निर्देश दिया है। उसके बाद ही आजम खान को नियमित जमानत मिल सकेगी। कोर्ट ने मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय के अधिकारियों से भी इस कार्य में राजस्व अधिकारियों का पूरी तरह से सहयोग करने को कहा है। उन्हें किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कस्टोडियन को निर्देश दिया है कि इस भूमि को अर्धसैनिक बलों को प्रशिक्षण कार्य के लिए उपलब्ध करा दें।
यह है मामला
आजम खान के खिलाफ समाजसेवी अल्लामा जमीर नकवी ने वर्ष 2019 में रामपुर के अजीम नगर थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि आजम खान ने प्रदेश का कैबिनेट मंत्री रहते हुए अपने रसूख का फायदा उठाते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार कर बंटवारे के बाद पाकिस्तान जा बसे बदरुद्दीन कुरैशी की 86 बीघा दो बिस्वा जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया और उसे मौलाना जौहर विश्वविद्यालय परिसर में शामिल कर लिया। जबकि शत्रु संपत्ति होने के कारण जमीन की वास्तविक कस्टोडियन भारत सरकार है।