नाटक के द्वारा अंधविश्वास के खिलाफ मुहिम
नाटक कथा एक गांव की मैं ग्रामीण संस्कृति एवं ग्राम जीवन का जीवंत दृश्य देखने को मिला प्रस्तुत नाटक में अंधविश्वास बेमेल विवाह कम उम्र में लड़कियों का विवाह हो जाना एवं आर्थिक तंगी तथा शराब एवं अन्य प्रकार के नशा सेवन से उत्पन्न परिणाम को दिखाया गया
भागलपुर। कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर छात्र युवा किसान नाट्य कला परिषद लालूचक, चंपानगर के आयोजन में लालूचक चंपानगर शीतला स्थान के प्रांगण में रंग ग्राम जन सांस्कृतिक मंच भागलपुर द्वारा दो नाटक का मंचन किया गया पहला नाटक रंग ग्राम वर्कशॉप में तैयार आलेख कथा एक गांव की एवं दूसरा नाटक गांधी चौक का मंचन हुआ।
नाटक कथा एक गांव की मैं ग्रामीण संस्कृति एवं ग्राम जीवन का जीवंत दृश्य देखने को मिला प्रस्तुत नाटक में अंधविश्वास बेमेल विवाह कम उम्र में लड़कियों का विवाह हो जाना एवं आर्थिक तंगी तथा शराब एवं अन्य प्रकार के नशा सेवन से उत्पन्न परिणाम को दिखाया गया और नाटक के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि अंधविश्वास के कारण हमारे समाज की प्रगति में रुकावट आ रही है।
नाटक में मनु विवाह कर अपनी दुल्हन को लाता है और घर आते ही दुल्हन बेहोश हो जाती है इस क्रम में झाड़-फूंक वाले को बुलाता है लेकिन दुल्हन को होश नहीं आता है l नायक दिवाकर द्वारा परेशानी में पानी का छींटा मारकर उसे होश में लाता है और ग्रामीणों से कहता है कि आप लोग किसी भी समस्या के जड़ में अंधविश्वास को देखते हैं l
नाटक में आगे राधिया नामक छोटी उम्र की लड़की की शादी उत्तर प्रदेश से आए एक बूढ़े के साथ करवाने की बात हो रही है और शादी के एवज में वह बूढ़ा राधिया के पिता को पैसे देने की भी बात करते हैं। जब नायक को यह बात मालूम होती है तो आकर या शादी को रुक जाता है आगे की कथा में गांव में लगातार एक भुतहा पेड़ की चर्चा होती है जिसमें सर्च लगती है कि जो रात में भूत पेड़ के पास चला जाएगा और भाई यदि जिंदा रहेगा तो मान लिया जाएगा कि भूत उस गांव में नहीं है।
दिवाकर शर्त को पूरा करने के लिए रात के समय पेड़ के पास चला जाता है और वह बेहोश हो जाता है सुबह गांव में यह चर्चा फैल जाती है कि दिवाकर मर गया लेकिन बाद में दिवाकर होश में आ जाता है पुणे गांव में यकीन हो जाता है कि भूत भूत कुछ नहीं होता हैऔर लोग नायक दिवाकर को अपना आदर्श मानने लगते हैं इसी कथा क्रम में शराब एवं अन्य प्रकार के नशे का भी दिवाकर द्वारा विरोध किया जाता है।
नाटक का निर्देशन मनजीत सिंह ने किया जिसमें अंगिका रायअमन सागर आदित्य आनंदम स्वीटी प्रिया मनीषा कुमारी हर्षवर्धन कृष्ण नायक आदर्श आनंद राजेश प्रज्ञा भारती सूरज मनोज कुमार मदन कुमार गणेश कुमार कोमल तिवारी गौतम कुमार पायल कुमारी प्रीति कुमारी ने जीवंत अभिनय किए।
दूसरा नाटक अशोक मिश्र लिखित गांधी चौक में वर्तमान समय में गांधी के आदर्शों को किस प्रकार शासन प्रशासन द्वारा सिर्फ गांधी जयंती के दिन खानापूर्ति किया जाता है इसी बात को इस नाटक में दर्शाया गया वर्तमान समय में समाज एवं राष्ट्र को आगे बढ़ाने में गांधी का आदर्श कितना कारगर हो सकता है इस बात को मंचन के क्रम में कलाकारों ने बताया इस नाटक का निर्देशन कपिल देव रंग ने किया था। गांधी चौक में कपिल देव रन गौतम कुमार सौरभ कुमार डॉक्टर जयंत जलद लोटन आदि ने सराहनीय अभिनय किए।
आयोजन के मौके पर छात्र युवा किसान नाटक कला परिषद के अध्यक्ष कार्तिक मंडल ने कहा कि आज ग्रामीण इलाकों में नाट्य मंचन का काफी जरूरत है ताकि लोग इस मंचन के माध्यम से कुछ सीख कर समाज को आगे बढ़ा सके। मौके पर सुनील कुमार मंडल कैलाश मंडल विजय कुमार संतोष कुमार लखन कुमार सागर विपिन अरविंद कुमार आदि ग्रामीणों की भूमिका सराहनीय रही।