जैसा कि हम सब जानते हैं कि सहारा इंडिया में लाखों लोगों के पैसे फंसे हुए हैं और इसकी कोई सुनवाई होती भी नजर नहीं आ रही थी। पर अब इसी कड़ी में जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग ने सहारा इंडिया के खिलाफ आदेश जारी कर दिए हैं । जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग के आदेश के अनुसार सहारा इंडिया को जमा की गई राशि का भुगतान 9 प्रतिशत ब्याज के साथ करना होगा। इतना ही नहीं आयोग ने आवेदक को ₹10,000 मानसिक, शारीरिक और आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में एवं 3,000 मुकदमा खर्च के रूप में सहारा इंडिया को भुगतान करने का आदेश दिया है।
तीन खातों में जमा किए थे करीब 60 हजार रुपए
बताया जाता है कि सिधवलिया थाना क्षेत्र के परसौनी गांव के केशव कुमार सिंह ने सहारा इंडिया की बरौली शाखा में सहारा क्यूशाप यूनियन प्रोडक्टस लिमिटेड स्कीम के तहत तीन फिक्स के माध्यम से कुल 59,900 रुपया जमा किया था। उन्होंने दायर वाद में आरोप लगाया कि परिपक्वता पर छह वर्ष बाद मूलधन का सवा दो गुना प्राप्त होना था। परिपक्वता तिथि बीतने के बाद भी सहारा इंडिया ने परिपक्व राशि का भुगतान नहीं किया।
परिपक्वता पर दोगुना राशि मिलने का दावा नहीं माना
इसके बाद निवेशक ने सहारा इंडिया कमर्शियल लिमिटेड लखनऊ, सहारा इंडिया की गोपालगंज शाखा के प्रबंधक तथा बरौली शाखा के प्रबंधक वीरेंद्र प्रसाद के खिलाफ जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में मुकदमा किया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान परिपक्वता पर जमा राशि का सवा दो गुना राशि मिलने का आवेदक का दावा प्रमाणित नहीं हुआ।
अतिरिक्त 13,000 का भी करना पड़ेगा भुगतान
ऐसी स्थिति में आयोग के अध्यक्ष जनार्दन त्रिपाठी तथा आयोग के सदस्य मनमोहन कुमार ने सहारा इंडिया को एकल या संयुक्त तौर पर जमा राशि का भुगतान आवेदक को 9% ब्याज के साथ करने के आदेश तो जारी किए ही, साथ ही आवेदक को मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक तनाव के लिए ₹10,000 और मुकदमा खर्च के लिए ₹3,000 यानी कुल ₹13,000 का अतिरिक्त भुगतान 2 महीने में करने का आदेश दिया है।
आपको बता दें कि सहारा इंडिया के निवेशकों का पैसा फंसे होने का यह अकेला मामला नहीं है। बिहार की अलग-अलग अदालतों के साथ ही पटना हाई कोर्ट में भी इसकी सुनवाई हो चुकी है। पटना हाई कोर्ट में सहारा की ओर से कहा गया कि उनका पैसा सेबी ने रोक रखा है। सेबी से उनके फंड पर लगी पाबंदी खत्म होते ही निवेशकों को पैसा लौटा दिया जाएगा।