बीरभूम हिंसा: कलकत्ता हाईकोर्ट का कल दो बजे तक ममता सरकार को दिया ये अल्टीमेटम, गवाहों को सुरक्षा देने का भी दिया निर्देश
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुईं हिंसा और मौतों ने ममता सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। हिंसा के बाद ममता सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। इसी बीच घटना को लेकर आज कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
मुख्य न्यायाधीश खंडपीठ ने कल (गुरुवार) दोपहर 2 बजे तक राज्य सरकार से हिंसा पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है। हाई कोर्ट ने जिला जज की मौजूदगी में सीसीटीवी कैमरे लगाने और घटनास्थल की चौबीसों घंटे निगरानी करने का भी निर्देश दिया है।
गवाहों को सुरक्षा देने का भी निर्देश
हाई कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सीएफएसएल दिल्ली टीम को मौके से तुरंत जांच के लिए साक्ष्य एकत्र करे। साथ ही प्रत्यक्षदर्शियों को जिला न्यायाधीश के परामर्श से डीजी और आईजीपी द्वारा सुरक्षा दी जाए। इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर केस पर सुनवाई की थी।
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट में हुई हिंसा का मामला गहराता जा रहा है। राज्य की फोरेंसिक टीम (SFSL) और एसआईटी टीम मौके पर पहुंच गई है। राज्य की सीएम ममता बनर्जी इस हिंसा पर घिर गई हैं। उन्होंने हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है, लेकिन अन्य राज्यों में ऐसी वारदातें लगातार होने का जिक्र कर जिम्मेदारी से बचने का प्रयास किया।
ममता बनर्जी ने कहा कि वह इस हिंसा को उचित नहीं ठहरा रही हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं यूपी, गुजरात, मप्र, बिहार व राजस्थान में तो लगातार होती हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि हमारी सरकार है, हमें राज्य के लोगों की चिंता है। हम नहीं चाहते कि कोई प्रताड़ित हो। रामपुरहाट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने तत्काल ओसी व एसडीओपी को बर्खास्त कर दिया है। मैं कल रामपुरहाट जाऊंगी ।
दरअसल, बंगाल के बीरभूम के रामपुरहाट में टीएमसी नेता की हत्या के बाद सोमवार देर रात हिंसा भड़क गई थी। यहां भीड़ ने 10-12 घरों के दरवाजे को बंद कर आग लगा दी। एक ही घर से 8 लोगों के शव निकाले गए हैं। भड़की हिंसा में अब तक कुल 10 लोगों की मौत हो गई है। रामपुरहाट में टीएमसी के उपप्रधान की हत्या का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया।