ताजमहल पर जगदगुरु परमहंसाचार्य को ताजमहल में एंट्री न देने का विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ है कि आगरा में राजा मंडी स्टेशन पर बने चामुंडा देवी मंदिर को हटाने का विवाद गर्माने लगा है। रेलवे द्वारा मंदिर को हटाने का नोटिस देने के बाद से हिंदूवादी संगठन आक्रोशित हैं। गुरुवार को रेलवे स्टेशन पर हिंदूवादियों ने विरोध प्रदर्शन किया। उधर, मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचने के बाद रेलवे और जिला प्रशासन इस प्रकरण में बीच का रास्ता निकालने की कवायद में जुट गया है।
आगरा के राजा मंडी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर चामुंडा देवी मंदिर बना हुआ है। ये मंदिर करीब ढाई सौ साल पुराना बताया जाता है। यह मंदिर 1716 वर्ग मीटर में बना है। इसमें 172 वर्ग मीटर निर्माण राजा की मंडी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर है। रेलवे ने 12 अप्रैल को मंदिर हटाने के लिए नोटिस चस्पा किया था और 10 दिन का समय दिया था।
रेलवे के नोटिस चस्पा करने के बाद हिंदूवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था। यात्रियों की सुविधा व सुरक्षा के अलावा ट्रेनों रफ्तार कम होने का हवाला देते हुए डीआरएम ने ट्वीट कर अवैध निर्माण नहीं हटने पर स्टेशन को यात्रियों के लिए बंद करने की बात कही।
हिंदूवादी संगठनों ने रेलवे के निर्णय पर आपत्ति जताते हुए विरोध-प्रदर्शन का एलान किया। गुरुवार को राजामंडी स्टेशन परिसर पर हिंदूवादियों ने प्रदर्शन करते हुए रेलवे के खिलाफ नारेबाजी की। सूत्रों के मुताबिक आगरा रेल मंडल के डीआरएम आनंद स्वरूप ने इस मामले से जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया है। जिसके बाद बुधवार को बुधवार को प्रशासन की टीम ने मंदिर की पैमाइश कराई।
एडीएम प्रशासन अजय कुमार सिंह ने बताया कि टीम के साथ निरीक्षण किया है। सभी पहलुओं की जांच होगी। मंदिर पहले बना या स्टेशन ये भी जांच का विषय है। निर्माण की पैमाइश की गई है। नक्शा बनाया है। एडीएम, एसडीएम व प्रशासनिक टीम के लौटने के बाद बुधवार शाम को जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह व एसएसपी सुधीर कुमार सिंह मंदिर का मुआयना करने पहुंचे। करीब 15 मिनट उन्होंने मंदिर परिसर के अलावा प्लेटफार्म एक पर हुए निर्माण का जायजा लिया।
मंदिर के महंत का कहना है कि अंग्रेजों ने जब यहां पहली बार लाइन बिछाई थी तो उसे सीधा ले जाने के लिए मंदिर को हटाने की कोशिश की थी। तमाम प्रयास के बाद भी अंग्रेज अधिकारी मंदिर को तोड़ नहीं सके थे। आखिर में उन्हें यहां रेल की पटरी को घुमावदार आकार में बिछाना पड़ा था। इससे पहले भी रेलवे कई बार मंदिर हटाने का प्रयास कर चुका है, लेकिन वो अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाया है।