लखीमपुरी खीरी मामले में आखिरकार मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन जिस सम्मान से गिरफ्तारी हुई है उसमें जमानत कितनी देर में मिलती है यह देखने वाली चीज होगी। वैसे तो वह शुक्रवार को पेश हो गया होता तो शायद शनिवार को जमानत मिल जाती लेकिन शनिवार को पेश होने का लाभ चाहे जो मिला हो आज इतवार को जमानत मिलना भी विशेष हो जाएगा इसलिए शायद एक दिन झेलना पड़े। वैसे अभी मुद्दा यह नहीं है। मुद्दा यह है कि मंत्री पुत्र को किन आरोपों में गिरफ्तार किया गया है उसपर कौन सी धाराएं लगाई गई हैं। आमतौर पर धाराओं की सूची इतनी लंबी होती है साधु-संत और पत्रकार भी अपराधी मान लिए जाते हैं। लेकिन मंत्री पुत्र की गिरफ्तारी का जो कारण अधिकारियों ने बताया और अखबारों में छपा है वह है सहयोग नहीं करना।
मुझे नहीं पता सहयोग कैसे किया जाता है और जो पुलिस हिरासत में मर जाते हैं उनसे सहयोग लेने की क्या कोशिशें की जाती हैं और आशीष का सहयोग हासिल करने के लिए मंत्री जी से क्या कैसे निवेदन किया गया होगा। पर सहयोग नहीं करना कोई अपराध नहीं है और कई बार पत्नियां भी सहयोग नहीं करती हैं तो गिरफ्तारी नहीं होती है। इस मामूली से अपराध में गिरफ्तारी दिखाने का मतलब मीडिया जाने और पाठक देखें कि वे क्या सूचनाएं दे रहे हैं तथा सरकार विरोधी मामले में क्या कुछ कैसे छपता है।
आज के अखबारों में लगाई गई धाराओं का जिक्र नहीं हैं क्योंकि पुलिस ने बताया ही नहीं होगा। इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर को लीड जरूर बनाया है और फोटो, अंदर की खबर या प्रचार की सूचना के साथ चार कॉलम की लीड जरूर है लेकिन पहले पन्ने पर कुल जमा 12 लाइन की खबर है। दो लाइन में बाईलाइन और और इतने में ही डेटलाइन है। एक लाइन में बताया गया है कि खबर अगले पन्ने पर जारी है।
मंत्री पुत्र की गिरफ्तारी को इंडियन एक्सप्रेस ने इतना महत्व दिया है कि जो बातें शीर्षक और उपशीर्षक में हैं वह पहले पन्ने पर नहीं है। हालांकि इंडियन एक्सप्रेस अकेला अखबार है जिसकी खबर की शुरुआत होती है, हत्या के आरोपों का सामना कर रहे केंद्रीय मंत्री गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मित्रा ....। हिन्दुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि मंत्रीपुत्र की गिरफ्तारी 3 अक्तूबर की लखीमपुरी खीरी की हिन्सा में हुई है। अखबार ने पहले ही पैरे में बताया है कि इस मामले में कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की खिंचाई के बाद गिरफ्तारी हुई।
द हिन्दू ने भी गिरफ्तारी का कारण असहयोग ही बताया है लेकिन आगे लिखा है, घटना के बाद एफआईआर में आशीष का नाम था जो अन्य आरोपों के अलावा हत्या, आपराधिक साजिश, रैश ड्राइविंग और लापरवाही से मौत के मामले में है। वैसे आशीष और उसके पिता का दावा है कि वह घटना वाले दिन मौके पर था ही नहीं। ऐसे मामलों में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देने और लेने की नौतिक जिम्मेदारी की चर्चा सबसे महत्वपूर्ण है लेकिन उसकी चर्चा नहीं के बराबर है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि किसानों की मौत के हफ्ते भर बाद गिरफ्तार किया गया। लेकिन यहां भी महत्वपूर्ण आरोप असहयोग का ही है।
द टेलीग्राफ का शीर्षक है, जवाब देने से बचने की कोशिश करने वाला वीआईपी पुत्र गिरफ्तार। फ्लैग शीर्षक है, कार्रवाई से पहले 12 घंटे पूछताछ हुई। द टेलीग्राफ ने बताया है कि आशीष दो वकीलों और चार रिश्तेदारों के साथ आया था और पूछताछ के दौरान सभी बिल्डिंग के अंदर थे। जबकि पत्रकार बाहर इंतजार करते रहे। इस मामले में दैनिक जागरण की रिपोर्टिंग अधिकृत या सरकारी या विज्ञप्ति के हवाले से की गई लगती है। शीर्षक है, 12 घंटे की पूछताछ के बाद केंद्रीय मंत्री का बेटा आशीष गिरफ्तार। उप शीर्षक है, कसा शिकंजा - लखीमपुर कांड में पहली गिरफ्तारी, आज मजिस्ट्रेट के सामने पेशी।
मंत्री पुत्र हैं तो इतवार को पेशी खास बात नहीं है लेकिन खबर सबको नहीं मिलती जबकि पाठक के नाते मेरी दिलचस्पी यही जानने में थी। ऊपर मैंने लिखा है कि मंत्री जी के इस्तीफे के कहीं कोई चर्चा नहीं है। लेकिन दैनिक जागरण ने खबर दी है कि मंत्री जी के संसद कार्यालय पर रहा समर्थकों का जमावड़ा। अब इस सूचना का आप जो करना चाहें कीजिए, हिन्दी के सबसे बड़े अखबार की एक्सक्लूसिव खबर है। इसके साथ अजय मिश्र के इस्तीफे की मांग को लेकर मौनव्रत रखेंगे कांग्रेसी भी खबर है। दैनिक जागरण ने अंदर अपने मालिक संपादक, संजय गुप्त का लेख भी होने की सूचना दी है, राजनीतिक दलों के रवैये से साफ है (गिरफ्तारी में हफ्ते भर लगने से शायद) कि न तो लखीमपुर खीरी कांड की जांच का इंतजार करने वाले हैं और न ही उसके नतीजे से संतुष्ट होने वाले हैं।