देश की स्वतंत्रता को लेकर फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने जो बयान दिया है उससे पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है. उस समय देश के हिंदी के पुरोधा और जाने माने विश्व के कवि डॉ कुमार विश्वास ने बेहद नाराजगी व्यक्त की है.
डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि लोग अब किस पर विश्वास करेंगे. जब हम आजादी का भी वर्गीकरण कर रहे है. आज़ादी महान देशों को अनगिनत शहादतों से मिलती है. हमें-आपको मिली है तो इसका आदर करिए और इसे अक्षुण्ण रखने की सोचिए. जिनकी स्वयं की प्रासंगिकता, तात्कालिक-सत्ताओं की ग़ुलामी के कारण बरकरार है उनकी टीका-टिप्पणियों से हमारे महान और गौरवशाली शहीदों के सम्मान पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.
इस पर लोंगों ने लिखा कि मंगल पांडे को फांसी, भगत सिंह को फाँसी, लाला लाजपत राय मारे गए, खुदीराम को फाँसी, बिस्मिल को फाँसी, एसएन बोस को फाँसी, अशफाकउल्लाह को फाँसी, सूर्य सेन को फाँसी, कंगना : हमें आजादी भीख में मिली है.
शिखा मिश्रा ने लिखा कि जो कलम, कलमकार, फनकार और पत्रकार सत्ता के सामने घुटने टेक देते हैं वो सफल तो अवश्य हो सकते हैं लेकिन महान नहीं और उनकी कथनी पर महानुभावों की महानता का आंकलन नहीं किया जा सकता.
क्रष्ण कुमार ने लिखा आज जहां हम एक ओर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं दूसरी तरफ इतिहास से अनभिज्ञ कुछ लोग स्वार्थवश हजारों वीरो के बलिदान पर ही प्रश्न उठा रहे है. आज जिसे पूरा विश्व पूजनीय मानता है क्या कोई अदना सा कलाकार उसकी महत्ता को नजरंदाज कर ऐसे पर प्रश्न उठाने की हैसियत रख सकता है?