अमर उजाला को यह ख़बर पहले पन्ने पर छापनी चाहिए था। एक चोर पकड़ा जाता है और वह पुरानी वारदातों के बारे में बताता है कि उसने नोटबंदी से पहले दिल्ली के एक जज के घर से 65 लाख कैश की चोरी की थी। उस जज के घर में दो बैग थे। इरफ़ान एक ही उठा सका था।
हैरानी की बात है कि जज ने पुलिस में शिकायत नहीं कराई। ज़ाहिर है शिकायत कराते तो सवाल उठता कि इतना कैश कहाँ से आया। अब तो जज साहब भी आराम से कह देंगे कि उनके घर तो चरी नहीं हुई। इस तरह से मामला रफ़ा दफ़ा हो जाएगा।
इरफ़ान चोरों के यहाँ चोरी करता था। जिनके घर में अथाह कैश भरा होता था वहाँ से चोरी करता था। फिर करोड़ों रुपये लेकर अपनी चार प्रेमिकाओं में से किसी एक के घर जाता था। ऐसा नहीं कि इरफ़ान अपनी पत्नी को प्यार नहीं करता था। पत्नी पंचायत चुनाव जीत सके इसके लिए उसने चोरी के पैसे से सात गाँवों में सड़क बनवा दी।
लोग सड़क बनाने में पैसा चोरी करते हैं लेकिन इरफ़ान पहले चोरी करता है फिर सड़क बनवाता है। एक चोर की ऐसी ईमानदारी बेईमानों को लग जाए तो सरकारी कर्मचारी, ठेकेदार, नेता मिलकर ही देश का निजी तौर पर विकास करा देंगे।
आप चाहें तो इरफ़ान की ख़बर के नीचे जो ख़बर है उसे भी पढ़ सकते हैं। हिन्दू धर्म को ख़तरे में डालने वाले ख़तरनाक लोगों की ख़बरें पढ़नी चाहिए।