लखीमपुर खीरी के मृतक किसानों के परिजनों को मुख्यमंत्री बघेल, चरनजीत सिंह चन्नी और यूपी के सीएम सरकारी खजाने से खैरात में राशि देकर सरकारी धन को स्वाहा किया जा रहा है । खैरात बांटने का कोई नियम या कानून है? अगर मृतको से इतनी ही सहानुभूति है तो प्रियंका, राहुल, बधेल, चन्नी और योगी आदि को अपनी गांठ से पैसा खर्च करना चाहिए । दूसरे के पटाखों से तो कोई भी आनंद ले सकता है ।
इन नेताओ को बताना चाहिए इन्होने अपनी जेब से कितने पैसे देने की घोषणा की है ? राहुल और प्रियंका को बताना चाहिए कि उनकी ओर से एआईसीसी की ओर से मृतक के परिजनों को कितनी राशि दी गई है या दी जाएगी । राजस्थान के मुख्यमंत्री को भी मृतको के लिये एक एक करोड़ की घोषणा कर आलाकमान का हाथ मजबूत करना चाहिये ।
दरअसल अगले साल यूपी में चुनाव होने वाले है । हकीकत यह है कि किसी भी राजनेता को मृतको से न तो कोई सहानुभूति है और न ही संवेदना । वोटों की बाढ़ बह नही जाए, इसलिए तमाम राजनीतिज्ञ गिद्धों ने लखीमपुर खीरी में पड़ाव डाल दिया है । ताकि वोट बहकर नही चले जाए ।
अगरचे इस वक्त यूपी में कांग्रेस की सरकार होती तो फिर देखते बीजेपी वालो का स्वांग । इस देश मे सबसे बड़ा मजमा और स्वांग भरने की काबिलियत सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी और इमरती ईरानी में है । आंखों पर थूक लगाकर जब मोदी रोने की एक्टिंग करते है तो परेश रावल भी शरमाकर रह जाता है ।
यूपी का नाटक दो चार दिन और चलेगा । इसके बाद सत्ता के लालची फिर नया मुद्दा तलाशने में जुट जाएंगे । जैसे बीजेपी वाले चुनाव आने के साथ ही हिन्दू-मुस्लिम का जाप करते रहते है, ऐसे ही बुझे अलाव को जलाने की प्रियंका फिर कोशिश करेगी । राहुल भी ड्रामेबाजी के अलावा कुछ नही जानता है ।
महेश झलानी