PM मोदी आज गोरखपुर में करेंगे जिस खाद कारखाने का उद्घाटन, जानें उसकी खास बातें

Update: 2021-12-07 04:57 GMT

गोरखपुर जिले के विकास के सफर में मंगलवार को एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 हजार करोड़ की लागत से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट खाद कारखाना, एम्स और बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के रिजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) का मंगलवार को लोकार्पण करेंगे। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री ने ही खाद कारखाना और एम्स की नींव रखी थी। अब वे खुद अपने हाथों इसे जनता को समर्पित करेंगे। पीएम फर्टिलाइजर परिसर में लोकार्पण के बाद जनसभा को भी संबोधित करेंगे। आइए जानते हैं पीएम के हाथों आज लोकार्पित होने जा रहे खाद कारखाने, एम्‍स और आईसीएमआर लैब की खासियत-

खाद कारखाना- 8603 करोड़ से तैयार हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड के इस कारखाने में सालान करीब 12.7 लाख टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा। ट्रायल हो चुका है। लोकार्पण के दौरान मंच पर एलईडी स्क्रीन के जरिए यूरिया उत्पादन का लाइव प्रसारण किया जाएगा। पीएम मोदी ने जुलाई 2016 में शिलान्यास किया था।

एम्स- करीब 1011 करोड़ रुपये से बन रहे गोरखपुर एम्स की क्षमता 750 बेड की है। 112 एकड़ में बन रहे केंद्रीय संस्थान की नींव जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री ने रखी थी। फिलहाल 300 बेड के अस्पताल के साथ लोकार्पण होगा। हालांकि ओपीडी एक साल से चल रही है। इसके शुरू होने से पूर्वांचल के साथ बिहार व नेपाल को भी लाभ होगा।

आरएमआरसी- बीआरडी मेडिकल कालेज परिसर स्थित रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर की अत्यधुनिक लैब 36 करोड़ की लागत से तैयार की गई हैं। इनके शुरू हो जाने से यहां वेक्टर बॉर्न डिजीज की पूरी जांच हो सकेगी।

गोरखपुर खाद कारखाने का सफर और खूबियां

नेप्था आधारित पुराना गोरखपुर यूरिया प्लांट 1969 में लगा था। हादसे के बाद 1990 में बंद हो गया।

एफसीआई के बंद पड़े यूरिया प्लांट की जगह हिन्दुस्तान उवर्रक रसायन लिमिटेड द्वारा चार गुना बड़ा ग्रीन फील्ड यूरिया प्लांट लगाया गया है।

भारत सरकार द्वारा 2016 में एफसीआई और एचएफसीएल के बंद पड़े पांच यूरिया प्लांट- गोरखपुर , सिंदरी , बरौनी, रामागुंडम और तालचर को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया गया।

गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी की बंद पड़ी यूरिया प्लांट की दोबारा शुरू करने के लिए वर्ष 2016 में एनटीपीसी, आईओसीएल, सीआईएल और एफसीआईएल का ज्वाइंट वेंचर हर्ल स्थापित स्थापित किया गया।

रामागुंडम और तालचर के यूरिया प्लांट को शुरू करने के लिए अलग कंपनी बनाई गई।

जुलाई 2016 में गैस आधारित गोरखपुर यूरिया प्लांट की आधारशिला रखी गई थी।

नये यूरिया प्लांट में प्रतिदिन 2200 मीट्रिक टन अमोनिया और 3850 मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया बनेगी। इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 12.7 लाख मीट्रिक टन होगी।

प्लांट की निर्माण लागत 8600 करोड़ रुपये आयी है।

प्लांट के निर्माण में भारत सरकार के बजट का उपयोग नहीं हुआ है। इसमें प्रोमोटर कंपनियों की इक्विटी और बैंक लोन का उपयोग हुआ है। भारत सरकार ने 1257 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया है।

इस प्लांट से यूरिया उत्पादन लागत लगभग 28000 रुपये प्रति मीट्रिक टन आएगी।

प्लांट 46 महीने में बनकर तैयार हुआ है। कोविड 19 के चलते प्रोजेक्ट आठ महीने लेट हुआ है।

प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा प्रोजेक्ट की गेल गैस पाइपलाइन से इस प्लांट को 2.23 एमएमएस-सीएमडी आरएलएनजी गैस मिल रही है।

प्लांट के अमोनिया यूनिट की तकनीक केबीआर और यूरिया यूनिट की तकनीक टोयो जापान की है। जिसका निर्माण टोयो ने किया है।

रिजर्व वायर में वाटर स्टोरेज के लिए रबर डैम का उपयोग किया गया है। यह एक ज़ीरो डिस्चार्ज प्लांट है।

यूरिया प्लांट से 400 लोगों को सीधा और लगभग 20000 हज़ार लोगों को परोक्ष रोज़गार मिलेगा।


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