ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के नेता ने अपने बयान से सबको चौंकाया
ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन पूजन को लेकर वाराणसी के सिविल जज के आदेश पर सर्वे का कार्य कराया जा रहा है। लेकिन मुस्लिम पक्ष के लोग इस सर्वे का लगातार विरोध कर रहे हैं।
शुक्रवार को गहमागहमी के बीच पौने चार घंटे की कार्रवाई हो सकी। वहीं शनिवार को मुस्लिम पक्ष के विरोध, बहिष्कार और हंगामे के बीच शनिवार को दूसरे दिन ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी और सर्वे का काम रोकना पड़ा। परिसर पहुंचे अधिवक्ता आयुक्त और सर्वे टीम के अन्य सदस्यों को परिसर स्थित मस्जिद में प्रवेश नहीं करने दिया गया। टीम बीच में ही काम रोककर बाहर आ गई। यह कार्रवाई 9 मई तक के लिए टाली गई है।
काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी परिसर के सर्वे को लेकर अभी तक किसी राजनीतिक दल की ओर से कोई बड़ा बयान सामने नहीं आया था। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शशी प्रताप सिंह ने एक बयान जारी कर चौंका दिया। उन्होंने मुस्लिम समाज से ज्ञानवापी मस्जिद को हिंदू पक्ष को सौंप देने की अपील की है।
ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के नेता शशी प्रताप सिंह ने बयान जारी कर बताया कि बाबा विश्वनाथ मंदिर के बगल में बना हुआ ज्ञानवापी मस्जिद वास्तव में कभी मंदिर था। इस मस्जिद को ध्यान से देखें तो यह साफ दिखाई देता है कि किसी जमाने में मंदिर का ऊपरी हिस्सा को तोड़कर मस्जिद का ढांचा बनाया गया है।
इस मंदिर के बारे में पूर्वजों का कहना है कि मंदिर के अंदर श्रृंगार गौरी माता की मूर्ति थी। शायद आज भी ज्ञानवापी में वह मूर्ति स्थापित है। बाहरी दीवार देखेने से तो शुद्ध रूप से वह मंदिर का ही डिजाइन दिखाई देता है। शशिप्रताप सिंह ने इस मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की अपील की।
कहा कि हिंदुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए मां श्रृंगार गौरी के मंदिर को हिंदुओं के हाथ में देने की प्रक्रिया शुरू करें। जहां तक मुसलमान भाइयों की बात है तो बनारस जनपद में अनगिनत मस्जिदें हैं। ज्ञानवापी मस्जिद के लिए मुस्लिम पक्ष को कहीं और प्रदेश सरकार को जमीन देनी चाहिए। बनारस पूरी दुनिया में गंगा-जमुनी तहजीब, राम-रहीम सद्भावना और भाईचारा के लिए प्रसिद्ध है। दोनों समाज की आस्था को ध्यान में रखते हुए कोर्ट सही फैसला करें।
मुस्लिम भाइयों को जिद छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद के प्रांगण को हिंदू भाइयों को दे देना चाहिए। जिससे बाबा के दरबार को और भी व्यवस्थित और भव्य बनाया जा सके। कोर्ट के आदेश को मानना चाहिए। इसमें राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।