जानें क्यों हनुमानजी ने लिया ये पंचमुखी रूप

Update: 2021-12-15 06:54 GMT

जब राम और रावण की सेना में युद्ध चल रहा था और रावण अपने पराजय के समीप था तब उसने अपने मायावी भाई अहिरावण को बुलाया जो मां भवानी का परम भक्त था इसे तंत्र का अच्छा ज्ञान था। उसने अपनी माया से वानर सेना को निद्रा में डाल दिया तथा राम और लक्ष्मण का अपरहण कर उनकी बली देने के लिए पाताल लोक ले गया।

कुछ घंटे बाद जब माया का प्रभाव कम हुआ तब विभिषण ने यह पहचान लिया कि ये काम अहिरावण का है। इसके बाद हनुमान जी पाताल लोक गए जहां उन्हे श्री राम और लक्ष्मण मिले। वहां पांच दीपक उन्हें पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे।

इन पांचों दीपों को एक साथ बुझाने पर ही अहिरावण मर सकता था इसीलिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा।  इसमें उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख।  इस रूप में उन्होंने पांचों दीप बुझाए तथा अहिरावण का वध कर प्रभु राम,लक्ष्मण को मुक्त कराया।

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