भोपाल।भाजपा के कर्नाटक प्रयोग की बजह से बिना चुनाव जीते चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने फिलहाल हिजाब पर चल रहे कर्नाटक प्रयोग को मानने से इनकार कर दिया है।उन्होंने अपने स्कूल शिक्षा मंत्री के बयान को अपनी सरकार के प्रवक्ता से खारिज करा दिया है।स्कूल शिक्षा मंत्री ने भी अपनी गलती का ठीकरा मीडिया के सिर फोड़ कर अपना बयान वापस ले लिया है।फिलहाल मध्यप्रदेश में हिजाब बैन नही होगा।
इंदर सिंह परमार शिवराज के स्कूल शिक्षा मंत्री हैं।उन्होने कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद पर मंगलवार को बयान दिया था।परमार ने कहा था- हिजाब यूनिफॉर्म कोड का हिस्सा नही है।अगर प्रदेश में कहीं कोई हिजाब पहनकर स्कूल आता है तो उस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।हम स्कूल यूनिफॉर्म कोड को लेकर काम कर रहे हैं।अगले सत्र से पहले यूनिफॉर्म कोड पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा।
परमार के इस बयान के बाद मध्यप्रदेश सुर्खियों में आ गया था।लेकिन बुधवार को कैबिनेट बैठक में शिवराज ने अपने मंत्री के बयान की हवा निकाल दी।बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता और प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से कहा-हिजाब पर बैन का कोई प्रस्ताव नही है।मिश्रा ने कहा-हिजाब पर प्रतिबंध का मामला कर्नाटक के हाईकोर्ट में विचाराधीन है।मध्यप्रदेश में इस तरह का कोई प्रस्ताव नही है।हालांकि हमेशा की तरह उन्होंने इस मामले को भी कांग्रेस के मत्थे मढ़ दिया।
उधर विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि उत्तरप्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव में हिजाब विवाद का उल्टा असर होते देख भाजपा नेतृत्व की चिंता बढ़ गयी है।इसी बजह से यह बयान देने वाले इंदर सिंह परमार को डांटा गया और मुख्यमंत्री से इसे तत्काल रफादफा करने को कहा गया।
इसी बजह से नरोत्तम मिश्रा ने खंडन किया और इंदर सिंह परमार ने सारा दोष मीडिया पर मढ़कर "मंडन" कर दिया। पता यह भी चला है कि बुधवार की कैबिनेट बैठक के बाद शिवराज ने अपने मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे नीतिगत विषयों पर अपनी मर्जी से बयान न दें मीडिया से बात करते समय अपने विभाग के मुद्दों पर ही केंद्रित रहें।
यह पहला मौका नही है जब मंत्रिमंडल के सदस्यों के बयानों के चलते शिवराज की किरकिरी हुई है।इससे पहले उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने भी एक विवादित ट्वीट किया था।हालांकि बाद में उन्होंने अपना ट्वीट हटा लिया था।कई अन्य मंत्री भी समय समय पर सीमा रेखा का उल्लंघन करते रहे हैं।
यह भी संयोग ही है कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार कर्नाटक प्रयोग की बजह से ही बनी थी।आपको याद होगा कि कर्नाटक में कांग्रेस के पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।इस बजह से सरकार गिर गयी थी।बाद में उपचुनाव के जरिये बहुमत पाकर भाजपा ने स्थिर सरकार बना ली थी।
मध्यप्रदेश में भी ऐसा ही हुआ था।मार्च 2020 में कांग्रेस के 26 विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया था।अल्पमत में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को गद्दी छोड़नी पड़ी थी। उसके बाद 15 महीने पहले विधानसभा चुनाव हारे शिवराज सिंह को फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गयी थी।फिलहाल वह बहुमत की सरकार चला रहे हैं।क्योंकि उपचुनाव ने भाजपा की सदस्य संख्या बढ़ा दी थी।
लेकिन हिजाब का प्रयोग उन्होंने प्रदेश में नही होने दिया है।बताया जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व को समझ आ गया है कि कर्नाटक का यह विवाद उत्तरप्रदेश में घातक सिद्ध हो सकता है।इस बजह से ध्रुवीकरण और ज्यादा मजबूत हो सकता है।जिन वोटों को बांटने की हरसंभव कोशिश की जा रही है वह एक हो सकते हैं।बस इसी बजह से इंदरसिंह परमार का बयान बदलवा दिया गया है।