हिंद महासागर में चीनी नौसेना को करारा जवाब देने के लिए भारतीय नौसेना ने सरकार से मांगी परमाणु सबमरीन और एयरक्राफ्ट

भारतीय नौसेना हिंद महासागर में चीन को देखते हुए सरकार से परमाणु सबमरीन और एयरक्राफ्ट की मांग की है।

Update: 2023-09-28 08:16 GMT

हिंद महासागर में चीनी नौसेना को करारा जवाब देने के की तैयारी कर रही है भारतीय नौसेना।

Indian Navy News: चीन की नौसेना हिंद महासागर में लगातार अपनी शक्ति बढ़ा रहा है। चीन के इन कोशिशों को देखकर भारतीय नौसेना भी अपनी ताकत को बढ़ाना चाहती है। भारतीय नौसेना ने सरकार से कहा है कि एक और एयरक्राफ्ट कैरियर यानी विमानवाहक पोत, तीन परमाणु संचालित पनडुब्बी (सबमरीन) और छह डीजल-इलेक्ट्रिक कंवेंशनल पनडुब्बी का निर्माण किया जाए। भारतीय नौसेना चाहती है कि इन सबके जरिए उसकी ताकत में इजाफा हो, ताकि वह चीनी नौसेना को करारा जवाब दे सके।

विमानवाहक पोत लेकर पनडुब्बियों तक का निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत विजन के तहत भारतीय शिपयार्ड में किया जाएगा। चीन न बेल्ट-रोड-इनिशिएटिव की आड़ में मलक्का जलडमरूमध्य के पास कंबोडिया के रीम में लॉजिस्टिक्स बेस, बंगाल की खाड़ी में कोको द्वीप पर लिसनिंग पोस्ट, श्रीलंका में हंबनटोटा बेस, बलूचिस्तान में ग्वादर, ईरान में जस्क नौसैनिक बेस है और लाल सागर में जिबूती में एक बेस बनाया है।

समुद्र में चीन को करारा जवाब देने की तैयारी

सूत्रों की माने तो 2025-2026 तक चीने के विमानवाहक पोत हिंद महासागर में गश्त लगाने लगेंगे। भारतीय नौसेना नहीं चाहती है कि वह किसी भी तरह से समुद्र में चीन से पीछे रह जाए। भारत का पहला विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य वर्तमान में ऑपरेशन है, जबकि आईएनएस विक्रांत कारवार नेवल बेस पर रूटीन ऑवरऑल से गुजर रहा है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए नई पनडुब्बियों और विमानवाहक पोत को सेना में शामिल किया जाने का प्लान है।

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