ISRO ने लांच किया अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1, यहां जाने इसरो के सूर्य मिशन का उद्देश्य

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च कर दिया है। पढ़िए पूरी खबर

Update: 2023-09-02 07:51 GMT

ISRO ने लांच किया अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-१।

Mission Aditya L1: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) ने आज अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च कर दिया है। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 को लांच किया गया है। इस अंतरिक्ष यान को अपनी तय मंजिल तक पहुंचने में चार महीने यानी कि 125 दिन लगने वाले हैं। आदित्य एल-1 को पृथ्वी सूर्य के बीच लैंग्रेंज प्वाइंट 1 (L1) में रखा जाएगा। पृथ्वी से इसकी दूरी 15 लाख किलोमीटर है।

L1 प्वाइंट से सूर्य को सीधे देखने का प्रमुख लाभ मिलता है और यहां किसी भी अंतरिक्ष यान पर सूर्य और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण बराबर हो जाती है, जिससे अंतिरक्ष यान की स्थिति स्थिर हो जाती है। इससे ईंधन की खपत भी नहीं होगी।

क्या करेगा आदित्य एल-1 मिशन

ISRO के अनुसार इस सूर्य मिशन का उद्देश्य सूर्य के क्रोमोस्फेयर और कोरोना की गतिशीलता, सूर्य के तापमान, कोरोनल मास इजेक्शन, कोरोना के तापमान, अंतरिक्ष मौसम समेत कई दूसरे वैज्ञानिक पहलुओं का अध्ययन करना है।

मिशन से यह होगा फायदा

सूर्य की सतह पर बहुत अधिक तापमान होता है। उसकी सतह पर मौजूद प्लाजमा विस्फोट तापमान की वजह है। प्लाजमा के विस्फोट की वजह से लाखों टन प्लाजमा अंतरिक्ष में फैल जाता है, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) कहते हैं। ये प्रकाश की गति से पूरे ब्रहाांड में फैल जाता है। कई बार सीएमई धरती की तरफ भी आ जाता है, लेकिन अमूमन घरती की मैगनेटिक फील्ड के कारण घरती तक पहुंच नहीं पाता। लेकिन कई बार सीएमई धरती की बाहरी परत को भेद कर धरती के वातावरण में घुस जाता है।

सूर्य के कोरोनल मास इजेक्शन के धरती की तरफ आने पर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर काट रहे सैटेलाइट का काफी नुकसान होता है। पृथ्वी पर भी शार्ट वेब संचार में बाधा पैदा होती है। इसलिए मिशन आदित्य एल-1 को सूर्य के नजदीक भेजा जा रहा है, ताकि समय रहते हुए सूर्य की तरफ से आने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और उसकी तीव्रता का अंदाजा लगाया जा सके। इसके साथ ही शोध की दृष्टि से भी मिशन के कई लाभ हैं।

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