जहांगीरपुरी हिंसा मामले में पुलिस की क्राइम ब्रांच ने तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हैरान करने वाली बात ये है कि इसमें एक नाम है तबरेज खान। ये वही तबरेज खान है जो शांतिदूत होने का दिखावा करते हुए पुलिस का साथ दे रहा था। वही इस हिंसा मामले का मुख्य साजिशकर्ता है। तबरेज का असली चेहरा बेनकाब होने पर पुलिस की भी किरकिरी हो रही है। हाईटेक कही जानी वाली दिल्ली पुलिस शांतिदूत के अंदर के शैतान को जान न पाई। तबरेज शांति वार्ता के मंचों से लेकर सड़क तक पुलिस के साथ दिखता था। अंदर से शैतान और बाहर शांतिदूत बनकर वो लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करता था।
सूत्रों के मुताबिक, जहांगीरपुरी हिंसा का यह आरोपी पथराव के बाद अमन का 'रखवाला' बन पुलिस के आला अधिकारियों के बीच ही घूमता रहा, ताकि पुलिस को उस पर शक न हो। हालांकि, इस मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने शनिवार को तबरेज को गिरफ्तार कर लिया।
हिंसा के बाद वह डीसीपी समेत तमाम आला अधिकारियों के इर्द-गिर्द ही दिखाई देता था। वह मंच से लेकर सड़क तक अक्सर इलाके की डीसीपी उषा रंगनानी के बगल में ही खड़ा या बैठा दिखाई देता था। इतना ही नहीं, शांति कायम करने का ढोंग करते हुए उसने ही इलाके में तिरंगा यात्रा भी आयोजित की थी और पत्र लिखकर पुलिस से इसके लिए अनुमित भी हासिल कर ली थी।
इतना ही नहीं, तबरेज का नाम दिल्ली दंगो में भी सामने आया था। वह शाहीन बाग में भी आजाद चौक से बसें भर-भर के लेकर गया था और जाफराबाद में भी भीड़ इसी ने इकठ्ठा की थी। हालांकि, पुलिस ने केस मजबूत करने के लिए इसे गवाह बना लिया था।
गौरतलब है कि जहांगीरपुरी इलाके में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में पुलिस ने तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही पुलिस ने अब तक तीन नाबालिगों समेत 36 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जहीर खान उर्फ जलील (48) और अनाबुल उर्फ शेख (32) को शुक्रवार को जहांगीरपुरी से गिरफ्तार किया गया, वहीं तीसरे आरोपी तबरेज (40) को भी शनिवार को उसी इलाके से गिरफ्तार किया गया। झड़प के दिन से ही जहीर खान और अनाबुल दोनों फरार थे। पुलिस ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से और गवाहों के बयानों के आधार पर उनकी पहचान की गई, जिन्होंने आरोप लगाया था कि दोनों हिंसा में सक्रिय भागीदार थे।
गौरतलब है कि 16 अप्रैल को राजधानी के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती की शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़पों में आठ पुलिस कर्मी और एक स्थानीय घायल हो गया था। पुलिस के मुताबिक, झड़पों के दौरान पथराव और आगजनी हुई और कुछ वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया था।
हिंसा के कुछ दिनों बाद, दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने मामले के मुख्य आरोपी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिखा था। पुलिस ने मामले के पांच आरोपियों के खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया है।