1988 के रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद सिद्धू ने शुक्रवार को आत्मसमर्पण कर दिया। कल शाम करीब साढ़े सात बजे औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सिद्धू को बैरक में बंद कर दिया गया। उनकी सुरक्षा में एक बड़ी चूक हुई है। उन्हें पटियाला सेंट्रल जेल के अंदर लाइब्रेरी बैरक नंबर 10 में रखा गया है, जहां ड्रग्स और अवैध हथियारों के मामलों का एक आरोपी भी बंद है।
आपको बता दें कि पूर्व सिपाही इंद्रजीत सिंह (सेवा से बर्खास्त) कथित तौर पर प्रमुख ड्रग्स सांठगांठ में शामिल होने के आरोपों का सामना कर रहा है। इस सांठगांठ में कई हाई-प्रोफाइल अधिकारी भी शामिल हैं। कई अभी भी सेवा में हैं। सिंह को भी शुक्रवार को सिद्धू की बैरक में रखा गया था, लेकिन पूछताछ के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया।
बर्खास्त सीआईए इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह के आवास से 2017 में एके-47 सहित अवैध हथियार और नशीला पदार्थ बरामद किया गया था। उन्हें सिद्धू के बैरक में ही रखा गया था। जेल विभाग के सूत्रों ने इस घटना की पुष्टि की है।
सूत्रों ने कहा कि सिद्धू को उसी बैरक में कैदी के रूप में देखकर निचले स्तर के जेल कर्मचारी भी हैरान थे। एक सूत्र ने कहा, "पंजाब की जेलों में पहले ही हत्याएं देखी जा चुकी हैं और सिद्धू अपने ड्रग विरोधी रुख के कारण उनकी हिट लिस्ट में हैं।"
एक वरिष्ठ IPS अधिकारी ने कहा कि यह सिद्धू के साथ-साथ शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। अधिकारी ने कहा, "जेल प्रशासन को सिद्धू के साथ बैरक साझा करने वाले कैदियों की पृष्ठभूमि की जांच करनी चाहिए थी। मादक पदार्थों के तस्करों के खिलाफ उनके रुख को देखते हुए उनके आस-पास के लोगों को भी निगरानी की जरूरत है।"