एग्जिट पोल पर जयंत चौधरी ने उठाए सवाल, सच हुए तो भी सपा और अखिलेश यादव के लिए 4 खुशखबरी
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सोमवार शाम आए लगभग सभी एग्जिट पोल का अनुमान है कि एक बार फिर योगी आदित्यनाथ की अगुआई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने जा रही है। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) 2017 के मुकाबले बहेतर प्रदर्शन के बावजूद बहुमत से दूर रह सकती है। कई बार एग्जिट पोल में सटीक भविष्यवाणी कर चुके टुडेज चाणक्या के सर्वे बीजेपी को 275 से 313 सीटें मिलने का दावा किया गया है तो सपा को 86-124 वोट मिलने मिलने की संभावना जताई गई है। लेकिन सर्वे रिपोर्ट आने के बाद से राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ गई है। तमाम आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। अब हर किसी को 10 मार्च का इंतजार है, जब नतीजें आएंगे।
राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी ने एग्जिट पोल पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, जब तक ईवीएम नहीं खुलता तब तक किसी को भी रिजल्ट नहीं मालूम चल सकता। जयंत ने कहा, एग्जिट पोल का एक प्रॉसेस होता है। मैंने तो एक भी पोलिंग बूथ पर किसी भी एग्जिट पोल वाले को नहीं देखा। पता नहीं, ये लोग कहां से डेटा लाते हैं। ये केवल उनकी सोच है, मैं इससे सहमत नहीं हूं। ये मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का एक तरीका है।
यदि एग्जिट पोल्स सच भी साबित हुए तो सपा के लिए राहत और खुशी के कई संदेश हैं।
लगभग सभी एग्जिट पोल्स ने एकमत से कहा है कि सपा गठबंधन 100 से 150 सीटों पर कब्जा कर सकता है, जबकि 2017 में महज 47 सीटों से संतोष करना पड़ा था। आज तक एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक सपा को 71 से 101 सीटें मिल सकती हैं। एबीपी-सी वोटर ने 132 से 148 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। न्यूज 24 चाणक्या ने 86-124 सीटें मिलने की बात कही है। टाइम्स नाउ वीटो का कहना है कि सपा 151 सीटें हासिल कर सकती है। वहीं, रिपब्लिक-पी मार्क के मुताबिक सपा 130-150 सीटों सीटों तक जा सकती है। वहीं पार्टी के वोट शेयर में भी 2017 के मुकाबले काफी इजाफा होता दिख रहा है। वहीं, लगभग सभी एग्जिट पोल्स में सपा के लिए वोट शेयर में 10-15 फीसदी इजाफे का अनुमान लगाया गया है।
-एग्जिट पोल्स का एक और साफ संदेश यह है कि यूपी की राजनीति अब भाजपा और सपा पर ही केंद्रित हो गई है। बसपा का जनाधार लगातार सिमट रहा है तो तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस जमीन नहीं तलाश पा रही है। ऐसे में यदि इस चुनाव में सपा सत्ता से दूर भी रह जाती है तो उसे यह संतोष जरूर होगा कि आने वाले समय में यदि जनता बीजेपी का विकल्प तलाश करेगी तो उसके सामने सिर्फ सपा होगी।
-2017 और फिर 2019 के चुनाव में पहले कांग्रेस और फिर बसपा के साथ गठबंधन के बावजूद सपा को निराशाजनक परिणाम मिले थे। 2022 के एग्जिट पोल्स में भी पार्टी को सत्ता मिलती नहीं दिख रही है, लेकिन पार्टी के प्रदर्शन में जो इजाफा हुआ है, उससे काडर में एक सकारात्मक संदेश जरूर जाएगा। पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह जरूर बढ़ सकता है, जोकि किसी भी राजनीतिक दल के लिए संजीवनी की तरह होता है।
-लगभग सभी एग्जिट पोल्स में वोट शेयर को लेकर जो अनुमान लगाया गया है उसके विश्लेषण से पता चलता है कि सपा-बसपा के वोट शेयर में सेंधमारी में कामयाब रही है। पार्टी के लिए यह राहत की बात है कि सपा के खिसकते जनाधार को वह अपनी ओर मोड़ने में कामयाब रही है। यदि बसपा का वोटर शेयर बीजेपी की ओर ट्रांसफर होता तो बीजेपी पिछले साल के रिकॉर्ड को भी तोड़ सकती थी। मुस्लिम, यादव के बेस के साथ पार्टी को यदि दलित वोटर्स का भी साथ मिला है तो अभिवष्य में सपा के लिए यह शुभ ही साबित होगा।