Journalist Mahesh Jhalani: पत्रकार महेश झालानी को अवैध रूप से गिरफ्तार करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग

Journalist Mahesh Jhalani: पूर्व चिकित्सा मंत्री तथा भाजपा के कद्दावर नेता राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर वरिष्ठ पत्रकार महेश झालानी को रात 9 बजे अर्द्ध नग्न अवस्था मे हिरासत में लेकर मानसिक और शारीरिक यातना देने वाले चितौड़गढ़ के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यंत सहित इस षड्यंत्र में लिप्त सभी पुलिसकर्मी और उन राजनेता व अफसरों के खिलाफ अविलम्ब मुकदमा दायर किया जाए जिनके इशारे और साजिश के आधार पर इस घृणित कृत्य को अंजाम दिया ।

Update: 2024-07-25 07:57 GMT

Journalist Mahesh Jhalani: पूर्व चिकित्सा मंत्री तथा भाजपा के कद्दावर नेता राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर वरिष्ठ पत्रकार महेश झालानी को रात 9 बजे अर्द्ध नग्न अवस्था मे हिरासत में लेकर मानसिक और शारीरिक यातना देने वाले चितौड़गढ़ के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यंत सहित इस षड्यंत्र में लिप्त सभी पुलिसकर्मी और उन राजनेता व अफसरों के खिलाफ अविलम्ब मुकदमा दायर किया जाए जिनके इशारे और साजिश के आधार पर इस घृणित कृत्य को अंजाम दिया ।

मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में राठौड़ ने कहा है कि श्री झालानी कांग्रेस की अंदरूनी कलह के शिकार हुए । तत्कालीन मुख्यमंत्री ने टेलीफोन टेपिंग सहित कई गंभीर अपराधों को जन्म दिया । अपनी कुर्सी बचाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने विधायको की होटल में बाड़ेबंदी की और पूर्व उप मुख्यमंत्री श्री सचिन पायलट बगावत के लिए मजबूर किया । यहां तक कि श्री गहलोत ने पायलट के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा भी दर्ज करवाया । इन दोनों की आपसी कलह की चपेट में कई पत्रकार भी पिसकर रह गए जिनमे महेश झालानी मुख्य है ।

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पत्र में राठौड़ ने लिखा है कि संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के व्यक्तिगत हस्तक्षेप की वजह से वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश झालानी को चितौड़गढ़ पुलिस द्वारा अवैध रूप से पुलिस हिरासत में रखने के मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच हुई । श्री झालानी के साथ तत्कालीन सियासतदानों और पुलिसकर्मियों ने जो बर्ताव किया, वह न केवल अक्षम्य है बल्कि पीड़ादायक भी है ।

इस जांच में स्पस्ट रूप से यह निष्कर्ष निकला है कि श्री झालानी जो एक वरिष्ठ नागरिक भी है, को चितौड़गढ़ पुलिस ने मुकदमा नम्बर 470/2022 में दिनांक 28 जनवरी, 2023 को रात करीब 9 बजे उनके निवास से अवैध रूप से हिरासत में लेकर चितौड़गढ़ लेगये तथा रास्ते मे शारीरिक और मानसिक यातना दी । यह ऐसा मुकदमा नही था जिसके अंतर्गत रात 9 बजे 7 पुलिसकर्मियों को हथियारो से लैश होकर चितौड़गढ़ से जयपुर आना पड़े । गौरतलब है कि यह मुकदमा सोशल मीडिया पर अपने विचार प्रकट करने से सम्बंधित था ।

ज्ञातव्य है कि इसी धारा में तत्कालीन मुख्यमंत्री के इशारे पर थाना कांकरोली में भी श्री झालानी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया था । लेकिन राजसमन्द के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्री सुधीर चौधरी ने किसी तरह की गिरफ्तारी नही की । जबकि चितौड़गढ़ के पुलिस अधीक्षक रहे राजन दुष्यंत नम्बर बटोरने के चक्कर मे श्री झालानी को गिरफ्तार कर उनके साथ आतंकवादी जैसा व्यवहार किया ।

नियमानुसार किसी भी वरिष्ठ नागरिक से शाम के बाद पूछताछ करने के लिए हिरासत में लेना कानूनी अपराध है । सर्वोच्च न्यायालय, पुलिस गाइड लाइन एवं मानवाधिकार आयोग के इस बारे में स्पस्ट निर्देश है । स्वयं राजस्थान पुलिस ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि श्री झालानी को 28 जनवरी, 23 की रात 9 बजे से लेकर कई घण्टो तक अवैध रूप से हिरासत में रखा ।

गौरतलब बात यह है कि आरटीआई एक्ट में उपलब्ध सूचना के अनुसार श्री झालानी से 28 जनवरी की रात को पुलिस थाना महेश नगर में पूछताछ की । जबकि महेश नगर पुलिस ने इस तथ्य को पूर्ण निराधार बताया है । महेश नगर आमद-रफत डायरी की रिपोर्ट के मुताबिक कोतवाली चितौड़गढ़ के थाना प्रभारी विक्रमसिंह मय जाब्ता के 28 जनवरी की रात 9 बजे अभियुक्त महेश झालानी को साथ लेकर थाने आए और अपने साथ चितौड़गढ़ लेगये ।

मेरी अधिकतम जानकारी के अनुसार सीएमओ के निर्देश पर कराई गई जांच रिपोर्ट की अनुपालना में चितौड़गढ़ के वर्तमान पुलिस अधीक्षक श्री सुधीर जोशी ने इस प्रकरण में लिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ राजस्थान सेवा नियम 15 सीसीए के अंतर्गत आरोप पत्र जारी करने के लिए पुलिस मुख्यालय को अनुशंसा की है । चूंकि आरोपी पुलिसकर्मी तत्कालीन मुख्यमंत्री के बहुत ही निकट है, इसलिए पुलिस मुख्यालय आरोप पत्र जारी करने के बजाय इस प्रकरण में लीपापोती करने की जुगत में है ।

मैं वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश झालानी को कॉलेज जमाने से निजी तौर पर जानता हूँ । वे बहुत ही जुझारू, निर्भीक, निष्पक्ष और सच्चाई को बहुत ही ईमानदारी से परोसने वाले पत्रकार है । उत्कृष्ट और खोजपूर्ण पत्रकारिता के लिए ये 1987 में ही राजस्थान के सबसे प्रतिष्ठित "माणक अवार्ड" से सम्मानित हो चुके है । इसके अतिरिक्त अलवर के कलेक्टर रहे श्री सुनील अरोड़ा ने भी 1988 में इनकी काबिलियत को देखते हुए गणतंत्र दिवस पर समानित किया था । खबरों के मामले में आजतक इन्होंने कोई समझैता नही किया और बेबाकी और निर्भीकता के लिए ये विख्यात है ।

सामाजिक मुद्दों पर हमेशा इन्होंने बेबाकी से अपनी कलम चलाई है । देश भर में लॉटरी बन्द कराने का श्रेय इन्हें ही जाता है । राजस्थान की अल्लादीन लॉटरी के खुलने वाले नम्बर इन्होंने पहले से बताकर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खिया बटोरी । सीबीआई जांच में श्री झालानी ने बताया कि लॉटरी की आड़ में प्रतिदिन कैसे किरोडो रुपये की धोखाधड़ी हो रही है । तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह और वित्त मंत्री मधु दंडवते ने भी श्री झालानी से लॉटरियों में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी हासिल की ।

इसी निर्भीकता और बेबाकी के चलते श्री झालानी कांग्रेस की अंतर्कलह के शिकार होगये । लड़ाई थी श्री अशोक गहलोत और श्री सचिन पायलट की और बीच मे सेन्डविच बन गए श्री झालानी । मुझे जो जानकारी उपलब्ध कराई गई उसके मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के इशारे और षड्यंत्र के श्री झालानी बुरी तरह शिकार हुए । इस षड्यंत्र के अन्य महत्वपूर्ण किरदार थे तत्कालीन डीआईपीआर पुरुषोत्तम शर्मा, मुख्यमंत्री के ओएसडी देवाराम सैनी, शशिकांत तथा चितौड़गढ़ के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यंत ।

राजस्थान अपनी शालीन राजनीतिक संस्कृति के लिए विख्यात है । तत्कालीन मुख्यमंत्री का यह कृत्य न केवल निंदनीय है बल्कि अक्षम्य भी है । एक 69 वर्षीय ईमानदार और निष्पक्ष पत्रकार को रात 9 बजे अर्ध नग्न अवस्था मे उठवाकर उसे शारीरिक और मानसिक यातना दिलवाना निकृष्टता की पराकाष्ठा है । राजनीतिक लड़ाई में किसी पत्रकार को मोहरा बनाकर "सबक" सिखलाना कांग्रेस की घिनोनी संस्कृति का परिचायक है ।

मेरा आपसे व्यक्तिगत आग्रह है कि इस प्रकरण में आप स्वयं हस्तक्षेप करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के अलावा इस षड्यंत्र में लिप्त यथा पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यंत, ओएसडी देवाराम सैनी, तत्कालीन डीआईपीआर पुरुषोत्तम शर्मा के खिलाफ जांच कर आरोप पत्र जारी किया जाए । इसके अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री की इस प्रकरण में क्या भूमिका रही, इसकी विस्तृत पड़ताल की जाए । इसके अलावा इस बात की भी जांच कराना वांछनीय होगा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ मंत्री श्री बीडी कल्ला, श्री महेश जोशी और श्री प्रतापसिंह खाचरियावास के पत्रों पर क्या कार्रवाई की ।

उम्मीद करता हूँ कि आप त्वरित और यथोचित कार्रवाई करते हुए मुझे शीघ्र ही की गई कार्रवाई से अवगत कराएंगे । क्योंकि यह मामला निष्पक्ष पत्रकारिता की अस्मिता से जुड़ा हुआ है । इसके अलावा पीड़ित पत्रकार श्री झालानी को उचित मुआवजा दिया जाए ।

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