संसद में एक दिन सिर्फ बच्‍चों पर बहस हो

Update: 2020-12-17 10:50 GMT

नई दिल्‍ली। बच्‍चों के लिए श्री कैलाश सत्‍यार्थी को नोबेल शांति पुरस्‍कार मिलने की छठी वर्षगांठ के अवसर पर इंडिया फॉर चिल्‍ड्रेन और कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (केएससीएफ) की ओर से ''बच्चों के लिए नेतृत्व संवाद ऋंखला के तहत "कोविड-19 महामारी के दौरान बाल अधिकारों का महत्‍व और संरक्षण" विषयक एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में पूर्व सांसद और एशिया कनवेनर, पार्लियामेंटेरियन्स विटाउट बार्डर श्री केसी त्‍यागी और राज्‍यसभा सांसद श्रीमति अमी याजनिक ने भाग लिया। परिचर्चा का संचालन लोकसभा टीवी के वरिष्‍ठ एंकर श्री अनुराग पुनेठा ने किया।

परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए केसी त्‍यागी ने कहा कि एक भारतीय के नाते कैलाश सत्‍यार्थी को नोबेल शांति पुरस्‍कार मिलने पर हम गौरवान्वित महसूस करते हैं। कोरोना सन 1918 के बाद के मानव इतिहास की सबसे बड़ी महामारी है, वहीं 1930 के बाद की इसने सबसे बड़ी मंदी भी पैदा कर दी है। कल-कारखाने बंद हैं। कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया है। कोरोना ने बच्‍चों को सबसे ज्‍यादा अपना शिकार बनाया है। भारत में बाल श्रमिकों की संख्‍या में कटौती हुई है लेकिन अभी भी 1 करोड़ से ज्‍यादा बाल श्रमिक देश में कार्यरत हैं। कोरोना काल में स्‍कूलों के बंद होने से बच्‍चों को मिड डे मील की सुविधा नहीं मिल पा रही है जिससे वे कुपोषण के शिकार हुए हैं। वे बौने होंगे और उनका शारीरिक विकास रुक जाएगा। इंटरनेट ने पोर्नोग्राफी को बढाने का काम किया। वहीं कोरोना ने चाइल्‍ड पोर्नोग्राफी को बढ़ा दिया है। सरकार को चाहिए कि वह इस पर अविलंब रोक लगाए। अब पुराने ढर्रे पर काम नहीं चलेगा और इसके खिलाफ सांस्‍कृतिक-सामाजिक माहौल बनाने की जरूरत है। सामाजिक-राजनीतिक जागरुकता बढानी होगी। अगर अगली पीढ़ी को बचाना है तो पोर्नोग्राफी को जघन्‍य अपराध की श्रेणी में लाना होगा। संसद में एक दिन सिर्फ और सिर्फ बच्‍चों पर बहस हो। यह चिंता करने की बात है कि भारत सरकार स्‍वास्‍थ्‍य पर मात्र 1 प्रतिशत खर्च करती है। कोरोनाकाल में तो और रोग बढ़ गए हैं। अगर यह महामारी गांवों में पहुंच गई, तो हम सिर्फ लाशें गिनेंगे। केंद्र सरकार को चाहिए कि बदलते वक्‍त के अनुसार वह स्‍वास्‍थ्‍य पर कम से कम 3 प्रतिशत खर्च करे और राज्‍य सरकारें 7-8 प्रतिशत।

वहीं बच्चों की उपेक्षा पर चिंता जाहिर करते हुए राज्‍यसभा सांसद अमी याजनिक ने कहा कि सरकार और समाज की निष्क्रियता और संवेदनहीनता का बच्‍चों पर बुरा असर पड़ा है। कोरोना काल में बच्‍चों के साथ जो ज्‍यादती हुई है वह शुभ संकेत नहीं है। इसलिए बच्‍चों के लिए तत्‍काल एक सुरक्षा जाल फैलाने की जरूरत है। बच्‍चे हमारी भावी पीढ़ी है यह सोचकर सरकार को स्‍पेशल बजट बनाना चाहिए। उनके लिए अलग हटकर काम करना होगा। जब तक कुछ नया नहीं करेंगे तब तक बच्‍चों की सुरक्षा हम नहीं कर पाएंगे। कानून बनाने में हम हमेशा आगे रहते हैं लेकिन उसको लागू करवाने में पीछे रह जाते हैं। इसीलिए यही वह सही समय है जब हमें बाल अधिकारों के कानूनों को लागू करने की मांग करनी चाहिए। स्‍कूलों के बंद रहने से बच्‍चों के शिक्षा के अधिकार का उल्‍लंधन हो रहा है। बच्‍चों की शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य की सुविधाओं में ही अधिकांश समस्‍याओं का समाधान निहित है। बच्‍चों की सुरक्षा के बारे में यदि हम नहीं सोचेंगे तो हमारा समाज अधूरा रह जाएगा। जहां तक पोर्नोग्राफी की बात है, तो सरकार को चाहिए कि वह पोर्नोग्राफिक साइट्स को बंद कर दे। जैसा की अन्‍य देशों की सरकारों ने भी किया है। बच्‍चों को उनका अधिकार दिलाने के लिए हमें पार्टी लाइन से ऊपर उठना होगा।

बच्‍चों के लिए नोबेल शांति पुरस्‍कार प्राप्ति की छठी वर्षगांठ के छठे दिन आयोजित यह कार्यक्रम ''फ्रीडम वीक'' के तहत आयोजित किया गया। फीडम वीक के तहत छह दिनों से चल रही वर्चुअल परिचर्चाओं और फिल्‍म स्‍क्रीनिंग का यह सिलसिला पूरे देश में चल रहा है।

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