LJD का RJD में हुआ विलय, इसके के पीछे क्या है शरद यादव की प्लानिंग? पूर्व मंत्री ने किया खुलासा

Update: 2022-03-20 11:47 GMT

फाइल फोटो

बिहार की राजनीति में एक बार फिर से बड़ा उलटफेर हुआ है। 2018 में नीतीश कुमार से अलग होकर अलग पार्टी बनाने वाले शरद यादव की अब लालू यादव के साथ शुरू हुई उनकी 25 साल पुरानी राजनीतिक दुश्मनी भी खत्म हो गई। दिल्ली स्थित अपने आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने अपनी पार्टी एलजेडी का राजद में विलय कर दिया।

इस मौके पर शरद यादव ने कहा कि देश में मजबूत विपक्ष स्थापित करना समय की मांग है। मैं इस दिशा में न केवल बिखरी हुई तत्कालीन जनता दल बल्कि अन्य समान विचारधारा वाली पार्टियों को एकजुट करने के लिए लंबे समय से काम कर रहा हूं। इसी वजह से अपनी पार्टी एलजेडी का राजद में विलय करने का फैसला किया। अब मजबूती से लड़ाई लड़ी जाएगी। शरद याव का कहना है कि पहले एकता जरूरी है। बीजेपी से लड़ाई में विपक्षी खेमे का नेतृत्व कौन करेगा, ये बाद का सवाल है।

उन्होंने कहा कि वो जनता दल के अपने पुराने साथियों को एकजुट करने में लंबे अर्से से लगे थे। एक मजबूत विपक्ष का होना आज वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है। अगर समय रहते ऐसा नहीं हो पाता तो ये बड़ी हार होगी। हमें अपने अहम भूलकर बीजेपी के खिलाफ मजबूत फ्रंट बनाना होगा। तभी हम 2024 में उसे शिकस्त देने में कामयाब हो पाएंगे।

पूर्ववर्ती जनता दल को एक करने का प्रयास

शरद यादव ने राजद में विलय की घोषणा पहले ही कर दी थी। उन्होंने बुधवार को ट्वीट करके यह स्पष्ट कर दिया था। शरद यादव ने कहा था कि, "यह पूर्ववर्ती जनता दल के अलग-अलग संगठनों को एक साथ लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा होगा। देश में मजबूत विपक्ष स्थापित करना समय की मांग है। इसलिए मैं इस दिशा में पूर्व जनता दल के साथ-साथ अन्य समान विचारधारा वाली पार्टियों को एकजुट करने के लिए लंबे समय से काम कर रहा हूं। इसलिए, मैंने अपनी पार्टी एलजेडी का राजद में विलय करने का फैसला किया है।"

1997 में अध्यक्ष पद को लेकर लालू-शरद में ठनी

जुलाई, 1997 में जनता दल के अध्यक्ष पद को लेकर लालू यादव और शरद यादव में ठन गई। उस समय जनता दल के कार्यकारी अध्यक्ष शरद यादव हुआ करते थे। लालू प्रसाद यादव ने अध्यक्ष पद को लेकर शरद यादव को चुनौती दे दी। इस चुनाव के लिए लालू प्रसाद यादव ने अपने सहयोगी रघुवंश प्रसाद सिंह को निर्वाचन अधिकारी बनाया था, शरद यादव इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए और सुप्रीम कोर्ट ने रघुवंश प्रसाद सिंह को हटाकर मधु दंडवते को निर्वाचन अधिकारी बना दिया। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रहते हुए शरद यादव ने पार्टी की कार्यकारिणी में अपने समर्थकों की संख्या इतनी कर ली थी कि लालू प्रसाद यादव को अंदाजा हो गया था कि अगर वे चुनाव लड़ेंगे तो उनकी हार होगी। इसलिए लालू ने अलग पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बनाने का फैसला लिया।

लालू के प्रतिद्वंदी के रूप में थी पहचान

राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने 1997 में जनता दल छोड़ दिया था और इसके नेतृत्व के साथ अपने मतभेदों के कारण अपनी पार्टी बनाई थी क्योंकि चारा घोटाले के खिलाफ जांच में तेजी आई थी, जिसमें वह मुख्य आरोपी थे। शरद यादव को तब जनता दल के भीतर उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा गया था और बाद में वह नीतीश कुमार के साथ 2005 में बिहार में राजद के 15 साल के शासन को समाप्त करने के अभियान में शामिल हो गए थे।

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