महंत नरेंद्र गिरि का कौन लिखा था सुसाइड नोट राइटिंग एक्सपर्ट ने की पुष्टी

Update: 2021-11-21 06:27 GMT

महंत नरेंद्र गिरि सुसाइड प्रकरण में जब सीबीआई जांच करने पहुंची तो सुबूत के नाम पर सिर्फ सुसाइड नोट और सुसाइड से पहले बनाया गया वीडियो ही उसके पास थे। इन्हीं दोनों के आधार पर जांच शुरू हुई। राइटिंग एक्सपर्ट ने जांच के बाद इस बात की पुष्टि की थी कि सुसाइड नोट में नरेंद्र गिरि की ही राइटिंग थी। जांच के दौरान सीबीआई को कई ऑडियो क्लिप भी मिले थे। इन सब सुबूतों के आधार पर सीबीआई ने शनिवार को सीजेएम की अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी।

महंत नरेंद्र ने सुसाइड से पहले न केवल वीडियो बनाया बल्कि 14 पेज का एक सुसाइड नोट भी लिखा था। सुसाइड नोट में उन्होंने अपनी पूरी पीड़ा बयान करते हुए लिखा था कि सम्मान से बड़ा कुछ नहीं। उन्होंने पूरा जीवन शान से जिया लेकिन आनंद गिरि ने उन्हें बदनाम कर दिया है। उसने उनकी फोटो एडिट कर किसी महिला के साथ उनका वीडियो बनाया है। वह इसे वायरल करने वाला है। 

इस बात का पता लगने के बाद वह बेचैन हैं। वह कितने लोगों को समझाएंगे। उन्होंने साफ-साफ लिखा कि वह खुदकुशी करने जा रहे हैं। उनकी आत्महत्या के पीछे आनंद गिरि है। उसकी ब्लैकमेलिंग के कारण वह आत्महत्या कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को भी दोषी ठहराया था। सीबीआई ने सुसाइड नोट की राइटिंग एक्सपर्ट से जांच भी कराई। 

नरेंद्र गिरि की ही राइटिंग की पुष्टि हुई थी। सुसाइड पूर्व बनाए गए वीडियो में भी नरेंद्र गिरि ने कमोवेश वही बातें कही थीं। जांच शुरू होने के बाद सीबीआई ने सुबूत जुटाने शुरू किए। लोगों के बयान दर्ज किए गए। 154 लोगों से पूछताछ के बाद सीबीआई इसी निष्कर्ष पर पहुंची कि आनंद गिरि से विवाद के कारण ही नरेंद्र गिरि मानसिक रूप से परेशान थे।

यह बात न सिर्फ मठ और हनुमान मंदिर से जुड़े सभी लोगों ने बताई बल्कि अखाड़े और मठ से जुड़े साधु संतों ने भी आनंद गिरि से विवाद की बात कही थी। नरेंद्र गिरि के जो भी करीबी थे, उन्होंने साफ साफ यही बताया कि विवाद के बाद जब आनंद गिरि ने उनके खिलाफ मीडिया में अभियान चलाया तो वे बहुत दुखी हुए थे। 

सीबीआई को जांच के दौरान पता चला कि नरेंद्र गिरि की हाल फिलहाल किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। सालों पहले जमीन को लेकर सपा के एक पूर्व विधायक से उनका विवाद हुआ था लेकिन उसके बाद से कोई बड़ा मामला नहीं हुआ था। आनंद गिरि से विवाद ही उनके काल का कारण बना। कुछ साल पहले से आनंद से पेट्रोल पंप की जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ था।

सुसाइड नोट में लिखा था महंत ने तीनों का नाम : बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि की मौत 20 सितंबर को हुई थी। उनका शव प्रयागराज के श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में अतिथि कक्ष के कमरे में पंखे में बंधी रस्सी से लटकता पाया गया था। सेवादारों ने बताया था कि शाम चार बजे तक महंत कमरे से बाहर नहीं आए और आवाज देने पर भी जवाब नहीं दिया तब धक्का देकर दरवाजे को खोला गया था। रस्सी काटकर फंदे से उतारने पर पता चला कि उनकी सांस थम चुकी है। उनके कमरे से आठ पन्ने का दोनों तरफ लिखा हुआ सुसाइड नोट भी मिला था।

सुसाइड नोट में महंत ने अपने बरसों पुराने शिष्य आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उसके पुत्र संदीप तिवारी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का जिम्मेदार बताया गया था। सुसाइड नोट के आधार पर ही प्रयागराज के जार्ज टाउन थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। बाद में सरकार ने पूरे मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी। सीबीआइ ने करीब दो महीने की जांच के बाद कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। तीनों आऱोपित 22 सितंबर को गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं।

इस घटना के बाद शासन ने सीओ कर्नलगंज अजीत सिंह के नेतृत्व में 20 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने भी अपनी जांच में आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को दोषी मानते हुए उन्हें जेल भेज दिया था। सीबीआई भी दो महीने की जांच के बाद इसी नतीजे पर पहुंची है। 


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