कभी सीएम योगी से दो-दो हाथ करने वाले मनोज तिवारी, अब उनका का गुणगान करते फिर रहे है
निखिल कुमार सिंह, स्वतंत्र पत्रकार
भोजपुरी सुपरस्टार रहे मनोज तिवारी अब तो भाजपा से सांसद है, लेकिन एक समय ऐसा था मनोज तिवारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दो-दो हाथ करने चले थे और आज उनका गुणगान करते फिर रहे हैं। मनोज तिवारी राजनीति में आने से पहले भोजपुरी गायक के तौर पर प्रसिद्ध थे। उनको बड़ी प्रसिद्धि मिली थी "ससुरा बड़ा पईसा वाला" फिल्म से। उस समय मनोज तिवारी का राजनीति से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। वह पूरी तरह से फिल्म इंडस्ट्री में रमे हुए थे। उनका राजनीति में आना अचानक हुआ था। उनको राजनीति में अचानक लाने वाले दिवंगत अमर सिंह थे। हुआ यह कि वर्ष 2009 में लोकसभा का चुनाव था और गोरखपुर राजनीति का गुणा भाग अपने चरम पर था। बसपा ने यहां से बाहुबली हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय शंकर तिवारी पर दांव लगाया था।
भाजपा से योगी आदित्यनाथ चौथी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। उस समय कहा जा रहा था कि बसपा के दांव से एक वर्ग का वोट वोट बसपा के पक्ष में गोलबंद हो रहा था। इसी को लेकर भाजपा के समक्ष चुनौती खड़ी हो गई कि गोलबंद हो रहे वोट को कैसे तोड़ा जाए। इधर तर्क-वितर्क चल ही रहा था कि अचानक इसी बीच अमर सिंह गोरखनाथ मंदिर में दर्शन करने पहुंच गए। उस समय अमर सिंह समाजवादी पार्टी में थे और पार्टी में उनकी तूती बोला करती थी। कहा जाता था कि उस समय मुलायम सिंह यादव सिर्फ और सिर्फ अमर सिंह की बातों पर भरोसा करते थे। उनकी हर एक कही गई बात पर मुलायम सिंह यादव अपनी सहमति देने में देर नहीं करते थे। अमर सिंह की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि दुश्मनों को भी अपने पाले में लाकर उन्हें पूरी तरह से दोस्ती के रंग में खोल देते थे। गोरखनाथ मंदिर दर्शन करने के बाद जब अमर सिंह वहां बंद कमरे में भाजपा के लोगों के साथ चर्चा हुई तो इसके बाद खबर लखनऊ से दिल्ली तक पहुंच गई कि गोरखपुर में अमर सिंह की भाजपा के पदाधिकारियों के साथ चर्चा चल रही है।
उधर यह खबर सुनकर बसपा सुप्रीमो के माथे पर शिकन पड़ गई आखिर सपा नेता भाजपा नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठकर कौन सा नया शिगूफा छोड़ने वाले है। अगले दिन पता चला कि सपा ने यहां से भोजपुरी गायक मनोज तिवारी को योगी के खिलाफ उम्मीदवार बनाया है और यह अमर सिंह के संतुष्टि पर किया गया था। इसके फौरन बाद बसपा सुप्रीमो ने अमर सिंह पर आरोप आरोप लगाया कि "अमर सिंह ने बसपा के पक्ष में गोलबंद हो रहे वोटों को तोड़ने करने के लिए यह सब किया है। यानी कि बसपा सुप्रीमो कहने का अर्थ यह था कि अमर सिंह की सलाह पर सपा की तरफ से जिस उम्मीदवार को खड़ा किया गया है, उसे सिर्फ वोट कटवा के तौर पर खड़ा किया गया है। अमर सिंह इस रणनीति के तहत योगी आदित्यनाथ की जीत की राह आसान करने का काम कर रहे हैं।"
इधर जब मनोज तिवारी के पास यह सूचना पहुंची कि उनको योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सपा ने लोकसभा से उम्मीदवार बनाया है, पहले तो वो हैरत में पड़ गए। आखिर वह समय भी आया कि जिस गोरखनाथ मंदिर के प्रांगण में मनोज के फिल्म की शूटिंग हुई, उसी से मनोज तिवारी को बड़ी पहचान मिली थी। अब उसी मंदिर के मठाधीश से चुनाव में दो-दो हाथ करने की तैयारी है। मनोज तिवारी को सुझा भी नही जा रहा था आखिर योगी के खिलाफ जीत की रणनीति क्या हो? उस समय कुछ बड़े सपा नेताओं ने मनोज तिवारी के पक्ष में प्रचार की बात तो कही मगर वोट की बात से मुकर गए । इसलिए की मनोज तिवारी यहां के सपा के जमीनी कार्यकर्ताओं के गुस्से की वजह थे। उधर मनोज तिवारी को प्रत्याशी बनाने वाले अमर सिंह उनके प्रचार में ज्यादातर सक्रिय नजर नही आए। हालांकि ग्लैमर का तड़का लगाने के लिए जया प्रदा भी प्रचार में एकाध बार नजर आई थी। गोरखपुर के अधिकांश सपा कार्यकर्ता मनोज तिवारी को महज वोट कटवा के रूप में देख रहे थे। इसीलिए मैदान में अलग थलग पड़े मनोज तिवारी को तैयारियों को धार देने का इंतजाम स्वयं करना पड़ा।
अब प्रत्याशी बनने के बाद मनोज तिवारी अपनी चुनावी तैयारियों को दिशा देने लगे। उस समय मनोज तिवारी की सभाओं में भीड़ उमड़ती थी, भीड़ खासकर उनके गाने की वजह से उमड़ती थी। लेकिन इस चुनाव प्रचार के समय मनोज तिवारी ने शायद ही योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कुछ बोला होगा, क्योंकि यह सिर्फ और सिर्फ अमर सिंह की वजह से था। जब चुनाव परिणाम आया तो योगी आदित्यनाथ चौथी बार लगातार जीतकर सांसद बने और मनोज तिवारी को मुंह की खानी पड़ी थी। सपा के जिला पदाधिकारियों की वह बात भी सही निकली जो उन्होंने मनोज तिवारी के बुरी हार की बात कही थी। उस चुनाव में गोरखपुर में कुल 44.13% वोटों में से मनोज तिवारी को महज 4.9% और विनय शंकर तिवारी को 10.78% वोट मिले थे जबकि योगी आदित्यनाथ को 23.6% वोट मिले थे। इसके बाद से मनोज तिवारी अमर सिंह के साथ-साथ रहकर के राजनीति का ककहरा सीखने के लगे। आजीवन अमर सिंह के साथ रहने की बात कहने वाले मनोज तिवारी अमर सिंह का साथ छोड़कर 2014 लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हो गए। उस लोकसभा लोकसभा चुनाव में दिल्ली के उत्तर पूर्वी सीट से उम्मीदवार बनाए गए जहां से उन्होंने जीत दर्ज की।
इधर हाल के समय में ही एक गाना खासा लोकप्रिय हुआ है "जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे"। कन्हैया मित्तल ने इस गाने को गाया है। जब एक न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ जी इंटरव्यू दे दे रहे थे तब वहां कन्हैया मित्तल को योगी के सामने गाना गाने का मौका मिला था तो उस मौके पर वहां मनोज तिवारी भी मौजूद थे। तब इसकी लोकप्रियता को देखकर मनोज तिवारी के मन योगी जी के लिए एक गाना गाने की सोची थी। कुछ दिनों बाद मनोज तिवारी भी कन्हैया मित्तल के साथ "मंदिर बनने लगा है, भगवा रंग चढ़ने लगा है" गाना लेकर आए लेकिन वह खास सफलता नहीं मिली जो खास सफलता कन्हैया मित्तल के गाने को मिली थी।
पिछली बार योगी के खिलाफ लड़कर बुरी तरह से हराने वाले मनोज तिवारी इस बार गाने के माध्यम से योगी आदित्यनाथ को प्रेरित कर पाने में विफल साबित हुए। अब उनकी जुबां से योगी आदित्यनाथ की तारीफें हर वक्त निकलती रहती है। इसलिए कि मनोज तिवारी वापस यूपी में आना चाहते है और यही से राजनीति की दिशा में आगे बढ़ना चाहते है। दिल्ली की राजनीति में अब तक विफल साबित हुए है। दिल्ली भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद से जल्द हटा दिए जाने का कारण उनकी राजनीति में रणनीतिक कौशलों का अभाव है। बाबुल सुप्रियो को मनाने का जिम्मा ही मनोज तिवारी के पास ही था, लेकिन वह उनको मना पाने विफल रहे। अमर सिंह धोखा देने वाले को भी धोखे का असली दर्द अब समझ आ चुका है। अमर सिंह के साथ रहकर उन्होंने बेहतर रणनीतिक कौशलो के बारे में शायद ही कुछ सीखा होगा। अपनी गिरती राजनीतिक साख बचाने के लिए मनोज तिवारी सिर्फ और सिर्फ योगी के साथ बने रहने के लिए उनकी तारीफों पे तारीफ किए जा रहे है। लेकिन योगी जी शायद ही मनोज तिवारी को उतना महत्व देते हो ,जितना मनोज तिवारी चाहते है। आज वह समय देखने को मिल रहा है, कभी योगी आदित्यनाथ से दो-दो हाथ करने वाले मनोज तिवारी, योगी आदित्यनाथ का गुणगान करते फिर रहे है।