भरी अदालत मासूम बेटों से मां ने रिश्ता किया खत्म, कोर्ट ने कहा- बच्चों से मिलने नहीं दिया जाएगा; मां ने कहा- मंजूर है

Update: 2022-05-08 11:22 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अनोखा मामला सामने आया है। भरी अदालत में फतेहपुर के युवक की ओर से पत्नी के लिए दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पत्नी ने अपने दो मासूम बच्चों से रिश्ता तोड़ दिया और कहा कि उसका दोनों बच्चों से और पति से मेरा कोई वास्ता नहीं। मैं उन्हें देखना तक नहीं चाहती। कोर्ट ने इस पर कहा कि हम आपको कभी बच्चों से मिलने नहीं देंगे, तो महिला ने कहा मंजूर है। पति और दो मासूम बच्चों के सामने महिला का बयान सुनकर कोर्ट भी हैरान हो गया।

फतेहपुर के रहने वाले प्रमोद कुमार ने अपनी पत्नी क्रांति देवी बालकेश को अंकुर द्वारा दिल्ली में बंदी बताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी। पति का कहना था कि उसकी पत्नी क्रांति को अंकुर ने दिल्ली में बंदी बनाकर रखा है। उसे छोड़ नहीं रहा है। वह वहीं कैद है। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश देते हुए पत्नी को कोर्ट में पेश करने को कहा था।

सुनवाई के दौरान पत्नी कोर्ट में उपस्थित हुई, तो कोर्ट ने उससे कई सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि क्या उसे किसी ने बंदी बनाया है? तो क्रांति देवी ने कहा कि उसे किसी ने बंदी नहीं बनाया है। वह दिल्ली में रहकर जॉब कर रही है। उसे अपने पति प्रमोद कुमार से कोई लेना-देना नहीं है। पति उसे परेशान करता है। सुनवाई के दौरान पति और उसके दोनों बच्चे नौ साल का वैभव और एक पैर से दिव्यांग पांच वर्षीय शौर्य भी मौजूद थे।

कोर्ट ने पूछा अपने बच्चों को साथ रखोगी, तो महिला ने कहा वह बच्चों को नहीं चाहती है। उन्हें अपने साथ नहीं रखेगी। उनसे उसका कोई सरोकार नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि उसे बच्चों से मिलने नहीं दिया जाएगा, तो महिला ने जवाब दिया कि मंजूर है। कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को सही न पाते हुए उसे खारिज कर दिया। बच्चों को उसके पिता के पास ही रहने दिया।

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