नागालैंड गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिवारों ने मुआवजा लेने से किया इंकार, रखी यह मांग

Update: 2021-12-13 07:37 GMT

नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में सेना की कथित गोलीबारी में मारे गए 14 निवासियों के परिवार वालों ने घटना में शामिल सुरक्षा कर्मियों को ''न्याय के कटघरे'' में लाने तक कोई भी सरकारी मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है। ओटिंग ग्राम परिषद ने एक बयान में कहा कि पांच दिसंबर को जब स्थानीय लोग गोलीबारी और उसके बाद हुई झड़प में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर रहे थे, तब राज्य के मंत्री पी पाइवांग कोन्याक और जिले के उपायुक्त ने 18 लाख 30 हजार रुपये दिए।

बयान में कहा गया कि पहले उन्हें लगा कि यह मंत्री ने सद्भावना के तौर पर दिए हैं, लेकिन बाद में पता चला कि यह मारे गए और घायलों के परिवारों के लिए राज्य सरकार की ओर से अनुग्रह राशि की एक किस्त थी। बयान में कहा गया, ''ओटिंग ग्राम परिषद और पीड़ित परिवार, भारतीय सशस्त्र बल के 21वें पैरा कमांडो के दोषियों को नागरिक संहिता के तहत न्याय के कटघरे में लाने और पूरे पूर्वात्तर क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) को हटाने तक इसे स्वीकार नहीं करेंगे।''

इस बयान को रविवार को जारी किए गया, जिस पर ग्राम परिषद के अध्यक्ष लोंगवांग कोन्याक, अंग (राजा) तहवांग, उप अंग चिंगवांग और मोंगनेई और न्यानेई के गांव बुराह (गांव के मुखिया) के हस्ताक्षार थे। पुलिस के अनुसार, जिले में चार से पांच दिसंबर के दौरान एक असफल उग्रवाद विरोधी अभियान और जवाबी हिंसा में कम से कम 14 नागरिक की मौत हो गई और एक सैनिक की जान चली गई थी।

बता दें कि नागालैंड हिंसा में मरने वाले लोगों के परिजनों को सरकार ने 11 लाख रुपये और सरकारी नौकरी देने की बात कही है. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पूरी घटना पर खेद जताते हुए इसकी जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने को कहा है. इसके साथ ही सभी एजेंसियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा ना हों. वहीं नागालैंड पुलिस ने 21वें पैरा एसएफ कमांडोज के खिलाफ नागरिकों पर गोलीबारी में कथित संलिप्तता के लिए हत्या का मामला दर्ज किया है.

क्या है पूरा मामला?

गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब शनिवार शाम कुछ कोयला खदान कर्मी एक पिकअप वैन में सवार होकर गाना गाते हुए घर लौट रहे थे. सेना के जवानों को प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-के (एनएससीएन-के) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी और इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें 14 मजदूरों की जान चली गई.


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