समाजवादी सियासत के ध्रुवतारा हैं नीतीश कुमार, देश-प्रदेश को है उन पर नाज: संजय कुमार
राष्ट्रीय अध्यक्ष, युवा जदयू ने कहा कि हमने "शराब छोड़ो, दूध पीयो" मुहिम को चलाया है, इसे मुकाम तक पहुंचा कर ही दम लूंगा.
कमलेश पांडेय/विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर पर "शराब छोड़ो, दूध पीयो" जनांदोलन के प्रणेता और युवा जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार समाजवादी सियासत के भविष्य के रूप में एक नहीं बल्कि कई छाप छोड़ चुके हैं। समसामयिक समाजवादी सियासी गलियारे में उन्हें सोशलिस्ट यूथ आइकॉन के रूप में देखा, जाना और पहचाना जा रहा है। भारत के विभिन्न हिस्सों में अपने उल्लेखनीय जनांदोलनों के द्वारा उन्होंने युवाओं को जिस तरह से जगाया है, उससे समाजवादी सोच को एक नई बुलंदी मिली है। यही वजह है कि हमारे विशेष संवाददाता कमलेश पांडेय ने उनके आवासीय कार्यालय सीआर पार्क में खास बातचीत की है, ताकि भारतीय राजनैतिक क्षितिज पर समाजवादी युवाओं की भावी योजनाओं का अंदाजा लगाया जा सके।
# सवाल:- कभी कांग्रेस का विकल्प समझी जाने वाली समाजवादी सियासत आज कहां खड़ी है?
जवाब:- सुप्रसिद्ध समाजवादी नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में समाजवादी राजनीति अपने आपको एक नई धार देते हुए तेजी से आगे बढ़ रही है। क्योंकि नीतीश कुमार ने वंशवाद, जातिवाद और सम्प्रदायवाद को कभी अपने आगे-पीछे फटकने नहीं दिया। समता मूलक समाज कैसे बने और गरीबों का जीवन स्तर कैसे उठे, इसी मिशन को सफल बनाते हुए उन्होंने बिहार की तकदीर बदली है, जिनके कई युगान्तकारी निर्णयों की नकल आज सारा देश कर रहा है। जेपी और लोहिया के तथाकथित अनुयायियों ने जिस तरह से जातिवाद, वंशवाद और साम्प्रदायिक तुष्टीकरण का खेल खेला है, उससे समाजवादी सियासत कलंकित हुई है।
जिस राजनीति से कांग्रेस जैसी पुरानी राजनैतिक पार्टी की जड़ें हिल गई, जिसने एक नहीं बल्कि तीन बार केंद्र में अपनी सत्ता स्थापित की, जिसकी कई राज्य सरकारें दशकों तक हिंदी पट्टी क्या, दक्षिणी राज्यों में भी सत्तारूढ़ हुईं, उसका वर्तमान चाहे जितना धुंधला बताया जा रहा हो, लेकिन भविष्य हमारा ही है। जनहितैषी समाजवादी सरोकारों की अब सबको जरूरत पड़ेगी। हमलोगों ने अपने संघर्षरत अतीत से कई सबक सीखें हैं और नीतीश कुमार के नेतृत्व में किसी भी गलती को भविष्य में नहीं दुहराने का जज्बा दिखलाते हुए ही जदयू को मौजूदा मुकाम तक पहुंचाए हैं। हमसबों को उम्मीद है कि हमारी राजनीति का भविष्य और अच्छा होगा।
# सवाल:- जदयू और नीतीश कुमार की कुछ खूबियां बताएं, जिससे राजनैतिक लाभ मिलने के प्रबल आसार हैं।
जवाब:- जितने भी शीर्षस्थ समाजवादी नेता हुए, उनमें से नीतीश कुमार इकलौते नेता हैं, जिन पर परिवारवाद, जातिवाद और सम्प्रदायवाद का आरोप नहीं लगाया जा सकता। सभी नेताओं ने अपने परिवार को आगे बढ़ाया या अपने परिवार के बल पर आगे बढ़े, लेकिन नीतीश कुमार ने कभी ऐसा नहीं किया। देश में ऐसे अनेकों नेता हैं, जिनके दल प्रमुख या तो पिता से विरासत पाकर बने या फिर अपने पुत्र को ही अपनी विरासत सौंप दी, लेकिन नीतीश कुमार वह समाजवादी ध्रुवतारा हैं, जो दूर से ही चमकते-दमकते हैं। उनके प्रांत बिहार की चमक धमक अब पूरी दुनिया देख रही है। जदयू और नीतीश कुमार, एक दूसरे के पूरक हैं और जदयू की टीम उनके दिए हुए सुसंस्कारों से ही जनसेवा में सदैव ततपर रहती है।
# सवाल:- समकालीन युवा राजनीति को आप किस नजरिए से देखते हैं।
जवाब:- मैं भारतीय राजनीति में युवाओं की सक्रिय भूमिका को सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानता हूँ। मेरी राय में केवल युवाओं में ही वह शक्ति है, जो एक प्रगतिशील देश का निर्माण कर सकती है और यदि युवा दृढ़ संकल्प के साथ, ऊर्जावान होकर आगे बढ़ें तो देश की राजनीति की एक सकारात्मक छवि निर्मित होगी। हमारा स्पष्ट मानना है कि आज भारत में युवा शक्ति की कोई कमी नहीं है, उसे बस एक सही और विकसित दिशा दिए जाने की आवश्यकता है।
# सवाल:- आपके जनता दल यूनाइटेड से जुड़ने का क्या कारण है?
जवाब:- जनता दल यूनाइटेड देश की पहली ऐसी पार्टी है, जो परिवारवाद या वंशवाद को बढ़ावा नहीं देती है। नीतीश कुमार हमेशा से ही राजनीति की स्वच्छ एवं विकासपरख धारा को प्रमुखता देते हैं। समाज में समानता और भेदभाव, छुआछूत जैसे सामाजिक कोढ़ से दूरी बनाकर सर्वहित की बात रखते हैं। वहीं, जदयू की नीतियां आम जनता से जुड़ी हैं, उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर पार्टी की कार्यशैली कारगर रही है, इसी कारण उन्होंने जदयू के साथ मिलकर कार्य करना अपना ध्येय बना लिया। बिहार की नौकरियों और चुनावी राजनीति में महिलाओं को 33 से 35 प्रतिशत तक आरक्षण दी जा रही है, जिसकी नकल देश के अन्य राज्य भी कर रहे हैं। वहां जिस तरह से अन्य पिछड़ा वर्ग में से अत्यंत पिछड़ा वर्ग को और दलित वर्ग में से महादलित वर्ग को अलग पहचान दी गई और उनका अलग आरक्षण प्रतिशत निर्धारित किया गया, उसका अनुकरण भी अन्य राज्य कर रहे हैं। परदेश में बिहार के जो लोग पहले अपनी बिहारी पहचान छिपाते थे, वो अब नीतीश कुमार के अथक प्रयत्नों से बिहार की उपलब्धियों पर नाज करते हैं। बिहारी होना अब शर्म नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा की बात बन चुकी है। बिहार ने सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल, कुपोषण, आधारभूत संरचना विकास, समता मूलक समाज निर्माण आदि क्षेत्र में आशातीत तरक्की की है, जिससे वहां का विकास दर बढ़ा है और दो अंकों में पहुंच चुका है।
सवाल:- एक युवा राजनेता के तौर पर सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए आप कितना संकल्पित हैं?
जवाब:- समाज में पनप रही बुराइयों से राष्ट्रहित प्रभावित होता है। राज्य विशेष पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है। इन कुरीतियों के खिलाफ हमलोग आगे बढ़कर अभियान चलाते रहते हैं। शराबबंदी, दहेज़बंदी, बाल-विवाह जैसी समाजिक कुरीतियों के खिलाफ जदयू के बैनर तले हम सब अक्सर अभियान चलाते रहते हैं। हमारा मानना है कि शराब एक ऐसे रावण के समान है, जो युवाओं के विकास का मार्ग अवरुद्ध कर देता है तथा महिलाओं के मान-सम्मान को भी प्रभावित करता है। साथ ही इसके कारण समाज की नींव कही जाने वाली इकाई अर्थात परिवार भी टूट जाते हैं। इसलिए पूर्ण नशाबन्दी जरूरी है। स्कूलों-कॉलेजों में और महिलाओं में भी पूर्ण नशाबंदी को लागू किया जाए। इसके अतिरिक्त, दहेज़ प्रथा और बाल-विवाह जैसी बुराइयों के खिलाफ भी हमलोग आन्दोलन चलाते रहते हैं, जिससे बच्चियों का भविष्य सुरक्षित रह सके। उन्होंने कहा कि हालिया घटनाओं व खुलासों से पता चलता है कि नशाखोरी को बढ़ावा देने में हाई प्रोफाइल परिवारों के कुछ भटके हुए युवा भी शामिल हैं, जिनसे अन्य युवाओं को बचाने के लिए समाज को और अधिक सजग होना पड़ेगा।
# सवाल:- आसेतु हिमालय वाले भारत के प्रति आपकी विचारधारा क्या है?
जवाब:- भारत वर्ष के प्रति हमारी विचारधारा स्पष्ट है। हमलोग वसुधैव कुटुंबकम के हिमायती हैं। सर्वे भवन्तु सुखिनः हमारा लक्ष्य है। आपको पता है कि उन्नत समाज से ही राष्ट्र की उन्नति होती हैं। भारत गावों का देश है, इसलिए गांवों एवं किसानों का उचित विकास होना चाहिए। देश में पारस्परिक एकता तथा सद्भावना को भी हम विकसित भारत की रीढ़ मानते हैं। हमलोग विशेष रूप से देश में युवाओं का विकास होते देखना चाहते हैं, जिसके लिए वे पूर्ण संकल्पित होकर प्रयास भी कर रहे हैं।